मेरठ (ब्यूरो) । शहरभर में साफ और स्वच्छ पेयजल पहुंचाना नगर निगम की जिम्मेदारी है, लेकिन हालत यह है कि शहर के कई इलाकों में दूषित पानी की सप्लाई हो रही है। अधिकतर मोहल्लों में जिस पानी की सप्लाई हो रही है वह आपकी सेहत के लिए हानिकारक है। पेयजल की इसी स्थिति का पता लगाने के लिए दैनिक जागरण आई नेक्स्ट और बूंद फाउंडेशन ने &ये पानी हानिकारक है&य कैंपेन की शुरूआत की है। इसके तहत टीम ने पब्लिक प्लेस पर लगे नलों में गुणवत्ता की जांच टीडीएस मीटर के माध्यम से की। इस दौरान अधिकतर स्थानों पर पेयजल में टीडीएस यानि टोटल डिजोल्विंग सोलिडस की मात्रा मानक से अधिक मिली। कहीं तो पानी पीने योग्य स्थिति में ही नही मिला।पुराने शहर की हालत खराबइस कैंपेन के जरिए दैनिक जागरण आई नेक्स्ट और बूंद फाउंडेशन की टीम ओवरहेड टैंक के माध्यम से शहर में सप्लाई हो रहे पेयजल की गुणवत्ता की जांच कर रहा है। बंूद फाउंडेशन के अध्यक्ष रवि कुमार के साथ मिलाकर शहर के कुछ प्रमुख इलाकों में पानी का सैंपल एकत्र किए। जांच में कुछ चौकाने वाले खुलासे हुए। जांच में पाया गया कि अधिकतर वाटर सैंपल में टीडीएस की मात्रा मानकों से अधिक मिली है। पेयजल का सैंपल विभिन्न स्त्रोत जिनमें सार्वजनिक स्थलों पर लगे वाटर सोर्स से एकत्र कर मौके पर सैंपल का टीडीएस मापा गया।खतरे के लेवल पर टीडीएसजांच में पुराने शहर के पेयजल में टीडीएस की मात्रा खतरे के स्तर के पार मिली। इसके टीडीएस का स्तर 800 के पार यानि बहुत ही खतरनाक स्तर पर मिला। इनमें बुढाना गेट, छीपीटैंंक, मोहनपुरी, खंदक बाजार, गोलाकुंआ, जागृति विहार आदि प्रमुख मोहल्ले शामिल हैं।सरकारी अस्पतालों में दूषित पानीइसके बाद टीम ने जिला अस्पताल और मेडिकल कालेज के सार्वजनिक वाटर सोर्स के पानी का सैंपल लिया। इसमें जिला अस्पताल में वाटर सोर्स में टीडीएस 475 और मेडिकल कालेज परिसर में 478 तक मिला। टीडीएस की यह मात्रा सामान्य पेयजल स्तर से अधिक है। अशुद्ध पेयजल के स्तर के करीब है। जबकि मेडिकल कालेज और जिला अस्पताल में तीमारदारों के लिए आरओ प्लांट तक की सुविधा है लेकिन इस सुविधा का लाभ परिसर के वाटर सोर्स में नही मिलता है।विभिन्न क्षेत्रों में टीडीएस का स्तरक्षेत्र टीडीएसमेडिकल कालेज 478जिला अस्पताल 475वैशाली कालोनी 450शिवशक्तिनगर 623भोपाल विहार 811गोला कुंआ 544मंगलपांडेयनगर 457कुटी 498मोहनपुरी 993सेंट्रल मार्केट 515सूरजकुंड रोड 652छिपी टैंक 857खैरनगर 595जागृति विहार सेक्टर 6 551जागृति विहार सेक्टर 2 858बुढाना गेट 991लिसाड़ी गेट 744इस्लामाबाद 797वैशाली कालोनी 684खंदक बाजार 973हाई रिस्क में टीडीएसमोहनपुरी 993बुढाना गेट 991खंदक बाजार 973जागृति विहार सेक्टर 2 858छिपी टैंक 857भोपाल विहार 811लिसाड़ी गेट 744शिवशक्तिनगर 623क्या होता है टीडीएसटीडीएस का फुल फॉर्म टोटल डिजोल्विंग सोल्यूशन है। यानि टीडीएस एक जल की गुणवत्ता नापने का पैरामीटर है जो पानी में गंदगी की कुल मात्रा को मापता है। यानि पानी का टीडीएस जितना अधिक होगा उसमें कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटेशियम, कार्बोनेट, नाइट्रेट, सोडियम, भारी धातु, क्लोराइड और सल्फेट जैसे कार्बनिक यौगिकों और अकार्बनिक लवण अधिक होंगे।हाई टीडीएस से नुकसान300 से कम टीडीएस होने पर पानी पीने योग्य होता है।300 से 500 तक टीडीएस पर पानी को पी सकते हैं, लेकिन हानिकारक अशुद्धियां घुली होती है।500 से अधिक टीडीएस पर पानी सेहत को नुकसान पहुंचाता है।600 से पार टीडीएस खतरनाक माना जाता है।800 के पार के टीडीएस का पानी पीने योग्य नहीं रहता है।पथरी की आशंकाहाई टीडीएस से पानी कठोर बन जाता है इस पानी में दो खनिज पदार्थ, कैल्शियम और मैग्नीशियम खनिज आयन जिम्मेदार हैं। इससे शरीर में पथरी की आशंका बन जाती है। टीडीएस के कुछ तत्व जैसे कीटनाशक, सीसा, आर्सेनिक और फ्लोराइड मानव स्वास्थ्य के लिए बहुत हानिकारक हो सकते हैं।घरों में सप्लाई होने वाले पानी के सैंपल में टीडीएस की मात्रा अधिक मिली है। जो कि मानकों से काफी अधिक है। इसका प्रमुख कारण नगर निगम स्तर पर भूगर्भ जल की जांच ना होना और जांच के बाद पानी की शुद्धता के लिए प्रॉपर उपाय ना किए जाना है।रवि कुमार, अध्यक्ष, बूूंद फाउंडेशनयह हमारे क्षेत्र की गंभीर समस्या है कि यहां ओवरहेड टैंक की कई कई साल से सफाई तक नही हुई है। ऐसे में साफ पानी कैसे घरों तक सप्लाई होगा।शशिकांत, जयभीमनगरहमारे क्षेत्र में पेयजल की आपूर्ति नगर निगम के ओवरहैड टैंक से होती है। लेकिन पानी इतना गंदा आता है कि आप उसका रंग ही बता देगा कितना साफ है। अंकित सिंह, भोपाल विहारहमारे क्षेत्र में पानी को फिल्टर किए बिना पीना ही मुश्किल है। डायरेक्ट टोंटी से आने वाला पानी तो बहुत ही गंदा आता है। पानी में गंदगी की बदबू तक आती है।प्रदीप कुमार, खंदकओवरहेड टैंक्स से सप्लाई पानी की गुणवत्ता की नियमित जांच होती है। समय से ओवरहेड टैंक्स की सफाई की जाती है। बाकि भूमिगत जल में टीडीएस की मात्रा कई कारणों से घटती बढ़ती रहती है।दुष्यंत कुमार, सहायक अभियंता, जलकल
Source: Dainik Jagran November 14, 2023 00:36 UTC