मेनटेनेंस के नाम पर बंद हो आईवॉश का खेल - News Summed Up

मेनटेनेंस के नाम पर बंद हो आईवॉश का खेल


रांची(ब्यूरो)। राजधानी रांची में सड़कों की क्या हालत है यह किसी से छुपी हुई नहीं है। शहर की सड़कों को दुरुस्त करने के लिए पथ निर्माण विभाग और नगर विकास विभाग मिलकर करोड़ों रुपए हर साल खर्च करते हैं, लेकिन नतीजा ढाक के तीन पात ही नजर आता है। मेन रोड की हालत तो ठीकठाक है, लेकिन मोहल्लों की सड़कों की स्थिति बेहद खराब है। खासकर जब लोगों को पूजा पंडाल में घूमना है तो सड़क की स्थिति अब भी बहुत अच्छी नहीं है। दैनिक जागरण आईनेक्स्ट की ओर से शहर के अलग-अलग कई इलाकों की सड़कों की स्थिति को दिखाया गया कि कैसे करोड़ों रुपए खर्च होने के बाद भी सड़क की हालत बेहतर नहीं है। राजधानी के लोग अपनी बेहतर सड़क की मांग कर रहे हैं। लेकिन उनके मुहल्ले की सड़कें कभी भी बहुत अच्छी नहीं बन पा रही हैं।आखिर कहां जा रहे करोड़ों रुपए20 साल में भी नहीं सुधरी राजधानी रांची की सड़कें। सरकार द्वारा सड़कों को अच्छी स्थिति में रखने के लिए करोड़ों रुपए हर साल खर्च किए जा रहे हैं। लेकिन सड़क ठीक नहीं हो पा रही है, जब सड़कों का मेनटेनेंस किया जाता है तो कुछ दिन तक तो सड़के बेहतर रहती हैं। लेकिन, उसके बाद फि र खराब हो जाती है और खराब हो जाने के बाद दोबारा विभाग उन सड़कों को बनाने पर कोई ध्यान नहीं देता है। किसी भी राजधानी का चेहरा वहां कि सड़क को माना जाता है, लेकिन रांची की सड़कें ऐसी नहीं बन पाई हैं।-रंजन कुमार, कांके रोडवाटरलॉगिंग में फजीहतराजधानी के मोहल्ले की सड़कों की स्थिति बहुत खराब है। शहर के कई इलाके ऐसे हैं जहां बरसात होने के बाद लोग चलने की स्थिति में नहीं रहते हैं। लोग कई-कई घंटे तक सड़क से पानी निकलने का इंतजार करते रहते हैं। शहर में कई मोहल्ले तो ऐसे हैं जहां लोग सड़कों के कारण परेशान हैं। हर बार लोग विभागों से शिकायत करते हैं कि सड़कों को बना दिया जाए, लेकिन सड़कें नहीं बन पा रही है। मोहल्ले की कई सड़कें ऐसी हैं जो पिछले 7 साल से नहीं बनी हैं। हर साल बरसात का मौसम आते ही सड़कों की स्थिति बदतर होती जाती है।भारत भूषण, कोकरअफसरों की अनदेखीअगर राजधानी की सड़कों की स्थिति ऐसी है तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि राज्य के दूसरे जिलों में सड़कों की क्या स्थिति होगी। रांची राजधानी में मुख्यमंत्री से लेकर सभी विभागों के सचिव तक यहीं बैठते हैं। रांची नगर निगम का बजट करोड़ों रुपए हर साल का होता है। फि र भी लोग गड्ढे वाली सड़क पर चलने को मजबूर हैं। रांची नगर निगम में अधिकारी आते हैं कुछ दिन रहते हैं उनका ट्रांसफ र हो जाता है, लेकिन सरकार अधिकारियों को शहर की सड़क बनाने को लेकर कभी भी गंभीर दिखाई नहीं देती है। मोहल्ले के लोग वार्ड पार्षद, डिप्टी मेयर, मेयर से मिलकर सड़कों की स्थिति सुधारने की गुजारिश करते हैं लेकिन स्थितियां नहीं बदलती हैं।विमल कुमार, हिनूपूजा घूमने में लग रहा डरअभी दुर्गा पूजा का सीजन शुरू हो गया है, लोग पंडालों में घूमने की तैयारी कर रहे हैं। लेकिन शहर की कई प्रमुख सड़कों की हालत खराब है। जहां पंडाल बनाया गया है वहां तक पहुंचने वाली कई सड़कें ऐसी हैं जहां गड्ढे हो गए हैं। अब लोग मजबूरी में इन खराब सड़कों पर चलने को मजबूर हैं। पूजा के दौरान रात में भी लोग पंडाल घूमने जाते हैं, सड़कों की स्थिति खराब होने के कारण कभी भी कोई दुर्घटना हो सकती है। रांची नगर निगम के अधिकारी दूसरी कई चीजों पर ध्यान देते हैं लेकिन शहर की सड़कों पर कभी ध्यान नहीं दिया जाता है।अनंत जैन, अपर बाजारकरोड़ों रुपए हर साल खर्चपथ निर्माण विभाग और नगर विकास विभाग मिलकर रांची की सड़कों पर करोड़ों रुपए का बजट हर साल खर्च करते हैं। सड़कों को बनाने के लिए सिर्फ प्रोजेक्ट तैयार किया जाता है, सड़क नहीं बनती हैं। शहर में जितने भी वार्ड पार्षद हैं उनको अपने वार्ड में मोहल्ले की सड़कों को बनाने की जिम्मेदारी है, लेकिन यह वार्ड पार्षद की प्राथमिकता में कभी भी शामिल नहीं होता है। वह अपने वार्ड में दूसरे काम कर लेते हैं, लेकिन जो सबसे महत्वपूर्ण सड़क होती है उसको ठीक नहीं करवाते। राज्य की सरकार रांची में बैठती है लेकिन किसी का ध्यान नहीं जाता है कि सड़कों की स्थिति खराब क्यों है।-रंजीत राजपाल बिट्टू, स्टेशन रोड


Source: Dainik Jagran October 01, 2022 01:01 UTC



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