मुगल बादशाह अकबर भी दीवाने थे बीरबल के पसंदीदा भोजन के, पढ़िए- यह रोचक स्टोरी - News Summed Up

मुगल बादशाह अकबर भी दीवाने थे बीरबल के पसंदीदा भोजन के, पढ़िए- यह रोचक स्टोरी


मुगल बादशाह अकबर भी दीवाने थे बीरबल के पसंदीदा भोजन के, पढ़िए- यह रोचक स्टोरीगुरुग्राम [प्रियंका मेहता दुबे]। बीरबल की खिचड़ी और उनकी हाजिर जवाबी ही नहीं बल्कि उनका कायस्थ भोजन भी बेहद लाजवाब था। इतना कि अकबर को बेहद पसंद आता था। ऐसे ही कायस्थ भोजन का सुस्वाद गुरुग्राम निवासी रीमा की सखी रसोई में भी मिलता है। रीमा कहती हैं कि मां की रसोई के संस्कार अलग ही होते हैं, उनके हाथ का जायका भी सबसे जुदा होता है। ऐसा स्वाद, कि आप कहीं किसी रेस्त्रां में चले जाइए कहीं नहीं मिलेगा। बस मुझे भी बचपन से ही मां की रसोई में रुचि बढ़ने लगी थी। और धीरे-धीरे रसोई से ऐसी दोस्ती हुई कि मां जो भी कुछ बनातीं मैं उसे फिर खुद भी बनाती। अवध से ताल्लुक रखने वाली रीमा बताती हैं कि जायके से मेरा रिश्ता इस कदर गहराया कि उच्चतर शिक्षा में होटल मैनेजमेंट का कोर्स किया। इसके बाद ताज होटल में नौकरी की शुरुआत और फिर अमेरिकन एक्सप्रेस का सफर तय करते हुए लगा कि अब कुछ ऐसा करना चाहिए जिससे अपने हुनर के जरिए लोगों को स्वादिष्ट व्यंजन मुहैया कराया जा सके। मेरा मकसद था कि लोगों को भोजन का असल जायका किसी फाइव स्टार होटल में नहीं बल्कि घर बैठे भी मिल जाए।कायस्थ पाककला में पारंगतबकौल रीमा कायस्थ भोजन की अपनी अलग पहचान है। ऐसे में इस भोजन को लोगों तक पहुंचाने के लिए काम करना शुरू किया। शुद्ध और स्वादिष्ट भोजन लोगों तक पहुंचाने के लिए ही ‘सखी की रसोई’ बैनर बनाकर इसकी शुरुआत की। लोगों को पसंद भी आया। कहती हैं कि पंजाबी भोजन के प्रभाव वाले दिल्ली एनसीआर में अब कायस्थ भोजन को भी पहचान मिलने लगी है। लोग पसंद करते हैं।रसोई में क्या है खासवेज और नॉनवेज दोनों ही तरह की डिशेज में सरसों के तेल का प्रयोग प्रमुखता से प्रयोग करती हूं। इन डिशेज में टमाटर, दही और हल्दी का प्रयोग नहीं होता। बावजूद इसके भोजन में जो सुस्वाद होता है वह लाजवाब होता है। अपनी रसोई की मैं खुद ही शेफ हूं मैंने सखी की रसोई के लिए किसी और को रखना ठीक नहीं समझा क्योंकि मुझे लगता है कि जो स्वाद अपने हाथों से दे सकती हूं वह शायद कहीं और से न आसके। रीमा का कहना है कि कायस्थ क्यूजीन कहीं न कहीं मुगल क्यूजन से प्रेरित है क्योंकि बीरबल कायस्थ थे तो उन्होंने अकबर के दरबार में इस तरह के भोजन को प्रमोट किया था।मटन करी स्टाइलसखी की रसोई में बनने वाला मटन अलग ही स्वाद देता है। उनका दावा है कि यह दिल्ली में मिलने वाले मटन से बिलकुल अलग है। इसमें खड़े मसालों का प्रयोग किया जाता है। इसे लोगों ने इतना पसंद किया है कि अब तक इसके छह हजार से अधिक ऑर्डर आ चुके हैं।अवधी शामी कबाब और कीमा कलेजीपुरानी दिल्ली में भले ही असल शामी कबाब मिल सकता है लेकिन और कहीं इसका वह जायका मिलना मुश्किल है। रीमा अवधी शामी कबाब बनाती हैं। इसकी खासियत यह है कि यह मुंह में घुल जाता है। उनका कहना है कि मुगलों के दरबार में एक ऐसे बादशाह थे जो भोजन को चबा नहीं सकते थे। इस तरह से इस कबाब की रेसिपी इजाद की गई कि वह आसानी से चबाई जा सके। इसमें चना दाल, मटन के अलावा कुछ मसाले मिलाए जाते हैं ताकि यह अधिक सुगंधित बन सके। इसी तरह से मटन का कीमा और कलेजी अवधी अंदाज में ही बनती है।चिकन रजवाड़ारीमा चिकन को शाही अंदाज में बनाती हैं। इसके लिए वे काजू की माइल्ड ग्रेवी में केसर मिलाती हैं इसका स्वाद इतना लजीज होता है कि बड़ों के साथ-साथ बच्चे भी शौक से खाते हैं।नवरात्र में विशेष तैयारियांनवरात्र में बंगाली नॉनवेज भी खाते हैं। ऐसे में रीमा की रसोई में नॉनवेज इस दौरान भी बनता है लेकिन वे फलाहारियों के लिए बिलकुल अलग और शुद्धता के साथ सात्विक फलाहार भी बनाती हैं। रीमा इस बार आलू टमाटर की मारवाड़ी सब्जी, कुट्टू के आटे की डिशेज, पेठे की मीठी सब्जी, साबूदाना वड़ा सिंघाड़े की पूड़ी और मखाने की खीर पर फोकस कर रही हैं।दिल्ली-NCR की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां पर करें क्लिकPosted By: JP Yadavअब खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस, डाउनलोड करें जागरण एप


Source: Dainik Jagran September 27, 2019 05:36 UTC



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