सीरो सर्वे सेरोलॉजी टेस्ट से होता है। इसमें ब्लड सैम्पल लेकर टेस्ट किया जाता है। किसी खास इन्फेक्शन के खिलाफ बनी एंटीबॉडी की जांच होती है। जब भी कोई वायरस आपके शरीर में आता है, तो शरीर का इम्यून सिस्टम उस वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनाता है। ये एंटीबॉडी करीब एक महीने तक आपके ब्लड में रहती है। सीधा-सा मतलब है कि अगर आपके शरीर में एंटीबॉडी बनी है तो हाल ही में आप वायरस से इन्फेक्ट हुए थे।सीरो सर्वे कैसे किया जाता है? कितने लोग कोरोना से इन्फेक्ट हुए और इन्फेक्टेड लोगों में एंटीबॉडी कब तक रहेगी? हर्ड इम्यूनिटी 2 तरीकों से हासिल हो सकती है। पहला तरीका है कि ज्यादा से ज्यादा आबादी को वैक्सीनेट किया जाए। दूसरा तरीका है कि आबादी का बड़ा हिस्सा वायरस से इन्फेक्ट होकर एंटीबॉडी डेवलप करे। इन दोनों ही पैरामीटर पर देखें तो फिलहाल भारत में हर्ड इम्यूनिटी काफी दूर है।देश में 23 करोड़ लोगों को वैक्सीन दी जा चुकी है। ये कुल आबादी का केवल 13% है। दूसरी ओर, सीरो सर्वे में 21% आबादी में ही एंटीबॉडी होने की पुष्टि हुई है। कोरोना की दूसरी लहर में ये आंकड़ा बढ़ा जरूर होगा, पर क्या यह हर्ड इम्यूनिटी तक पहुंच सका है? इसकी जानकारी सीरो सर्वे से ही मिलेगी।चौथा सीरो सर्वे कब किया जा सकता है? IMCR इसी महीने देश में चौथा सीरो सर्वे शुरू करेगा। कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों में संक्रमण फैलने की आशंका के बीच इस सर्वे में 6 साल से बड़े बच्चों को भी शामिल किया जाएगा। इससे पहले हुए सर्वे में केवल 10 साल से ज्यादा उम्र के बच्चों को ही शामिल किया गया था। साथ ही दूसरी लहर में ग्रामीण इलाकों में संक्रमण फैलने के मामलों को ध्यान में रखते हुए चौथे सीरो सर्वे का फोकस ग्रामीण क्षेत्रों पर ज्यादा होगा।सीरो सर्वे से क्या पता नहीं लगता है?
Source: Dainik Bhaskar June 07, 2021 04:07 UTC