Dainik Bhaskar Jun 15, 2019, 05:05 PM ISTदिल्ली एम्स के डॉक्टरों ने पश्चिम बंगाल सरकार को 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया, अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की धमकीबंगाल जूनियर डॉक्टर जॉइंट फोरम ने कहा- बातचीत के लिए हम सचिवालय नहीं जाएंगे, ममता खुद मेडिकल कॉलेज आएंकोलकाता. पश्चिम बंगाल में अपने साथियों से हुई मारपीट के विरोध में जूनियर डॉक्टर 11 जून से हड़ताल पर हैं। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को बातचीत का प्रस्ताव दिया था, जिसे डॉक्टरों ने शनिवार को ठुकरा दिया। गुरुवार को ममता ने कहा था कि डॉक्टर अपनी हड़ताल खत्म कर काम पर लौटें, नहीं तो कड़ी कार्रवाई होगी। इसी बयान को लेकर बंगाल जूनियर डॉक्टर जॉइंट फोरम नाराज है। उन्होंने ममता के सामने 6 शर्तें भी रखीं हैं। वहीं, दिल्ली एम्स के डॉक्टरों ने पश्चिम बंगाल सरकार को मांगें मानने के लिए 48 घंटे का अल्टीमेटम दिया। उन्होंने अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की धमकी भी दी।उधर, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने बंगाल में डॉक्टरों के साथ मारपीट की घटना को देखते हुए सभी राज्यों को पत्र लिखा। उन्होंने मुख्यमंत्रियों से कहा कि डॉक्टरों पर हमला करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाए।भाजपा का आरोप- ममता आरोपियों को बचा रहींबंगाल जूनियर डॉक्टर जॉइंट फोरम के प्रवक्ता अरिंदम दत्ता ने कहा, ‘‘हम मुख्यमंत्री के न्योते पर सचिवालय में बैठक के लिए नहीं जाएंगे। वे खुद एनआरएस मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल आएं। यहां वे अपने उस बयान के लिए मांफी मांगें, जो उन्होंने एसएसकेएम अस्पताल में गुरुवार को दिया था।’’ वहीं, बंगाल भाजपा ने आरोप लगाया है कि डॉक्टरों पर हमला करने वाले आरोपी मुस्लिम समुदाय से हैं और ममता बनर्जी उन्हें बचाने की कोशिश कर रही हैं।17 जून को देशव्यापी हड़ताल का आह्वानइंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने 14 जून से तीन दिनों तक देशव्यापी विरोध प्रदर्शन शुरू करने के साथ 17 जून को देशव्यापी हड़ताल का आह्वान किया था। आईएमए ने अस्पतालों में डॉक्टरों के खिलाफ होने वाली हिंसा की जांच के लिए कानून बनाने की मांग की। संगठन का कहना है कि इसका उल्लंघन करने वालों को कम से कम 7 साल जेल की सजा का प्रावधान होना चाहिए।डॉक्टरों की छह शर्तेंमुख्यमंत्री ममता बनर्जी को डॉक्टरों को लेकर दिए गए बयान पर बिना शर्त माफी मांगें। डॉक्टरों पर हुए हमले की निंदा करते हुए एक बयान जारी करना चाहिए। पुलिस की निष्क्रियता की जांच हो। डॉक्टरों पर हमला करने वालों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। जूनियर डॉक्टरों और मेडिकल छात्रों पर लगाए गए झूठे आरोपों को वापस लिए जाएं। अस्पतालों में सशस्त्र पुलिसकर्मियों की तैनाती की जाए।अब तक 300 डॉक्टर इस्तीफा दे चुकेबंगाल के एनआरएस मेडिकल कॉलेज में 11 जून को जूनियर डॉक्टरों के साथ मारपीट हुई थी। इसके बाद से जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर हैं। अब तक कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज के 95, दार्जिलिंग में नॉर्थ बंगाल मेडिकल कॉलेज के 119 और सागर दत्ता मेडिकल कॉलेज के 18 डॉक्टरों समेत कई अस्पतालों के 300 डॉक्टर इस्तीफा दे चुके हैं। उनका कहना है कि वे हिंसा और धमकियों के माहौल में काम नहीं कर सकते।
Source: Dainik Bhaskar June 15, 2019 07:04 UTC