फ्लाइट में मोबाइल सेवाएं तीन माह में हो सकती हैं शुरू, फीस सुनकर उड़ जाएंगे होश - News Summed Up

फ्लाइट में मोबाइल सेवाएं तीन माह में हो सकती हैं शुरू, फीस सुनकर उड़ जाएंगे होश


नई दिल्ली, प्रेट्र। उड़ानों और समुद्री यात्रा के दौरान मोबाइल सेवाएं अगले तीन महीनों में शुरू हो सकती हैं। तय समय में सेवाओं की लांचिंग सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने अंतरमंत्रालयी समिति का गठन किया है। यह समिति हर 15 दिनों के बाद बैठक करके आवश्यक मंजूरियां लेने में आने वाली दिक्कतों का समाधान करेगी।सूत्रों के अनुसार एयरलाइनों, शिपिंग कंपनियों, टेलीकॉम ऑपरेटरों और सरकारी विभागों के अधिकारियों की बैठक हुई। जल्दी सेवाएं शुरू करने के लिए अंतरमंत्रालयी समिति बनाने का फैसला किया गया। इस बैठक की अध्यक्षता दूरसंचार विभाग के अतिरिक्त सचिव अंशु प्रकाश ने की।बैठक में डायरेक्टरेट जनरल सिविल एविएशन (डीजीसीए), डायरेक्टरेट जनरल शिपिंग और अंतरिक्ष विभाग के अधिकारियों ने भी हिस्सा लिया। कंपनियों की ओर से एयर इंडिया, विस्तार, इंडिगो, स्पाइसजेट, गो एयर, जेट एयरवेज, एयरएशिया, बीएसएनएल, रिलायंस जियो, भारती एयरटेल, ह्यूजेज इंडिया, टाटा टेलीनेट, इनमारसैट, पैनासॉनिक और नोकिया द्वारा प्रतिनिधित्व किया गया।सरकार ने भारतीय सीमा में हवाई और समुद्री यात्रा के दौरान मोबाइल सेवाओं के लिए नियमों की अधिसूचना जारी कर दी है। सूत्रों के अनुसार बैठक में बातचीत के बाद यह माना गया कि मोबाइल सेवाएं तीन महीनों के भीतर शुरू की जा सकती हैं। स्पाइसजेट ने बताया कि उसने 10 विमानों में सेवाएं शुरू करने की व्यवस्था की है। डीजीसीए विमानों में आवश्यक बदलावों को मंजूरी त्वरित गति से देगा। डीजीसीए के प्रतिनिधियों ने बताया कि नए विमानों में संचार संबंधी उपकरण लगे आ रहे हैं। पुराने विमानों में ये उपकरण लेने के लिए मंजूरी लेने की आश्यकता होगी।दो घंटे की फ्लाइट के लिए चार्ज होगा 1000 रुपयेब्राडबैंड टेक्नोलॉजी कंपनी ह्यूजेज इंडिया ने आगाह किया कि सैटेलाइट ब्रॉडबैंड का अत्यधिक चार्ज देश में फ्लाइट व समुद्री यात्रा के दौरान मोबाइल व इंटरनेट सेवाओं का खेल बिगाड़ सकते हैं। इसके चलते सेवाओं का चार्ज 30 से 50 गुना तक होगा। मोटे तौर पर दो घंटे की यात्रा में 700 से 1000 रुपये तक का खर्च आ सकता है।कंपनी के चीफ टेक्नोलॉजी ऑफीसर के कृष्ण ने पहले कहा था कि भारत में सैटेलाइट ब्रॉडबैंड का चार्ज दूसरे देशों की तुलना में सात-आठ गुना ज्यादा है क्योंकि टेलीकॉम कंपनियों को यह सिर्फ इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (इसरो) से ही खरीदना होगा। हालांकि अंतरिक्ष विभाग ने अधिकारियों ने आश्वासन दिया कि चार्ज को घटाने के प्रयास किए जाएंगे।Posted By: Arun Kumar Singh


Source: Dainik Jagran January 04, 2019 16:30 UTC



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