फ्रांस / गायों के पेट में छेद कर रिसर्च कर रहे वैज्ञानिक, पशु अधिकार समूह ने इसे खतरनाक बताया - News Summed Up

फ्रांस / गायों के पेट में छेद कर रिसर्च कर रहे वैज्ञानिक, पशु अधिकार समूह ने इसे खतरनाक बताया


Dainik Bhaskar Jul 02, 2019, 07:59 AM ISTपेरिस. फ्रांस के एक पशु अधिकार समूह ने गायों पर हो रहे शोध को लेकर आपत्ति जताई है। समूह का कहना है कि गाय के पेट के बारे में अध्ययन करने के लिए के लिए रिसर्चर्स पोर्टहोल (छेद) का इस्तेमाल कर रहे हैं। फ्रांस के पशु अधिकार समूह एल214 ने इसका वीडियो जारी किया है। इसमें साफ देखा जा सकता है कि रिसर्चर्स पोर्टहोल्स के जरिए गाय के पेट में हाथ डाल रहे हैं। वीडियो को उत्तर-पश्चिम फ्रांस में स्थित सॉरचेस एक्सपेरिमेंटल फार्म ने रिकॉर्ड किया है।स्कॉटलैंड के रूरल कॉलेज में अकादमिक निदेशक जेमी न्यूबॉल्ड ने बीबीसी को बताया कि अगर हम खाद्य उत्पादन को बढ़ाने और ग्रीनहाउस गैसों को कम करना चाहते हैं तो गायों के पेट का अध्ययन जरूरी है। सॉरचेस एक्सपेरिमेंटल फार्म में फिलहाल छह गायों पर यह एक्सपेरिमेंट किया जा रहा है। इसका उद्देश्य लाखों पशुओं के पाचन में सुधार लाना, एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग कम करना साथ ही नाइट्रेट और मीथेन का उत्सर्जन कम करना है।उन्होंने कहा कि गाय के पेट का अध्ययन करने के तीन तरीके हैं- पहला मृत गायों के नमूनों का इस्तेमाल, दूसरा पेट में नली लगाकर और तीसरा कैन्युलेशन के जरिए। कैन्युलेशन एक तकनीक है, जिसमें नस के माध्यम से शरीर से ब्लड या तरल निकाला जाता हैं। इसमें गाय के पेट में 15 सेमी तक छेद किया जाता है। यह तकनीक 19वीं सदी में शुरू हुई थी। इसका उद्देश्य गायों के पाचन तंत्र का अध्ययन करना है।न्यूबोल्ड ने कहा कि कैन्युलेशन के माध्यम से रिसर्चर्स आसानी से गायों के रुमेन (जुगाली करने वाले पशुओं का पहला पेट) तक पहुंच जाते हैं। इससे आसानी से उनके सैंपल्स लिया जा सकता है। गाय के पेट के चार भाग होते हैं। इनके नाम हैं- रुमेन, रेटिक्यूलम, ओमैसम और एबोमैसम। सामान्य रूप से ऐनिस्थेटिक का उपयोग कर कैन्युलेशन किया जाता है। इसके बाद औसत गायों की तुलना में यह 12-15 साल ज्यादा समय तक जीवित रहती हैं।


Source: Dainik Bhaskar July 02, 2019 02:26 UTC



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