पीयू काउंसिल के नतीजों का असर, फिर छीना गया छात्रों का वोटिंग राइट - News Summed Up

पीयू काउंसिल के नतीजों का असर, फिर छीना गया छात्रों का वोटिंग राइट


चार वर्ष से प्रत्यक्ष एससीए चुनाव होने की आस लगाए हुए छात्र संगठनों को तगड़ा झटका लगा है। इस बार भी प्रत्यक्ष चुनाव नहीं होंगे। इस बार भी मेरिट अाधार पर ही एससीए का गठन होगा। पीयू इलेक्शन में वामपंथी संगठन की जीत से भी प्रत्यश चुनाव न कराना जोड़ा जा रहा है क्योंिक एचपीयू भी वामपंथ का गढ़ है। अगर प्रत्यक्ष चुनाव कराए जाएं और वामपंथ संगठन जीत जाए तो इसका नुकसान अाने वाले लोकसभा चुनाव में सरकार को झेलना पड़ सकता है। इसलिए विवि समेत कॉलेजों में 10 से 18 सितंबर के बीच एससीए का अप्रत्यक्ष गठन किया जाएगा। एचपीयू के डीएसडब्ल्यू प्रो. कंवलजीत सिंह के प्रशासनिक अनुभव को देखते हुए पहले प्रशासन चुनाव को करवाने को तैयार भी हो गया था। जबकि अब विवि प्रशासन ने प्रत्यक्ष चुनाव करवाने से हाथ पीछे खींच लिए हैं जो छात्रों को वोटिंग राइट का सीधा हनन है।चुनाव की तैयारियों में लगे छात्र संगठनों की फिर टूटी उम्मीदभाजपा सरकार ने सत्ता में आने के लिए प्रदेश के करीब तीन लाख यूथ से वादा किया था कि चुनाव बहाल कर दिए जाएंगे। प्रत्यक्ष चुनाव होंगे। जबकि अब सरकार डर गई है कि कहीं यूथ उन्हें नकार न दें। ऐसे में इस बार भी कांग्रेस सरकार के नक्शे कदम पर चलकर पुराने नियमों के तहत ही मैरिट के आधार पर एससीए के गठन का फैसला लिया गया है।दो दिन पहले पीयू चंडीगढ़ में आए नतीजों का असर भी देखने को मिला है। यहां पर वामपंथी छात्र संगठन का परचम लहराया है। ऐसे में अगले वर्ष हाेने वाले लोकसभा चुनाव में यूथ का इस तरह से मोदी सरकार की नीतियों को नकारने का असर भी छात्रसंघ चुनाव में पड़ेगा। यही सोचकर सरकार एचपीयू में भी प्रत्यक्ष छात्रसंघ चुनाव को मंजूरी नहीं दे रही है।वर्ष 2014 से प्रत्यक्ष एससीए चुनाव पर रोक लगी है। प्रशासन का कहना है कि छात्र संगठनों के कार्यकर्ताओं के बीच खूनी संघर्ष के बाद विवि प्रशासन ने विवि और कालेजों में एससीए चुनाव पर रोक लगाई थी। इसके बाद विवि प्रशासन ने अप्रत्यक्ष रूप से एससीए के गठन का फार्मूला निकाला था और इसी सिस्टम से एससीए को चुना जा रहा है।छात्रों को धोखा देने के लिए बनी थी कमेटीअब विवि प्रशासन की ओर गठित हाई पावर कमेटी के गठन पर भी सवाल उठ रहे हैं। छात्रों का आरोप है कि धरने प्रदर्शन को रोकने के लिए यह कमेटी बनाई गई थी ताकि छात्रों को धोखे में रखा जा सके और बाद में चुनाव को पुराने तरीके से ही कराया जा सके। इससे पहले छात्र संगठन एसएफआई और एबीवीपी ने धरना प्रदर्शन शुरू किया था।एचपीयू सहित 135 कॉलेजों में चुनाव होते हैं।एससीए में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव और सहसचिव चुने जाते हैं।मेरिटोरियस और खेलकूद में अव्वल रहने वालों को ही एससीए में चुना जाता हैं।अगर प्रत्यक्ष छात्रसंघ चुनाव होते हैं तो इसका सीधा असर आने वाले लोकसभा चुनाव पर सीधा पड़ता हैं।


Source: Dainik Bhaskar September 07, 2018 21:11 UTC



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