पिता के अंतिम संस्कार के लिए नहीं आ पाया बेटा: रिश्तेदार को फोन पर रोते हुए बोला- मुझे माफ कर देना, अभी अमेरिका हूं नहीं आ पाऊंगा - News Summed Up

पिता के अंतिम संस्कार के लिए नहीं आ पाया बेटा: रिश्तेदार को फोन पर रोते हुए बोला- मुझे माफ कर देना, अभी अमेरिका हूं नहीं आ पाऊंगा


Hindi NewsLocalRajasthanAlwarPeople Were So Forced Into Corona, Could Not Even Attend The Funeral Of The Father, The Bones Were Also Taken By RelativesAds से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐपपिता के अंतिम संस्कार के लिए नहीं आ पाया बेटा: रिश्तेदार को फोन पर रोते हुए बोला- मुझे माफ कर देना, अभी अमेरिका हूं नहीं आ पाऊंगाअलवर 8 घंटे पहलेकॉपी लिंकवीडियोअलवर पुरुषार्थी धर्मशाला में रखी अस्थियां।कोरोना महामारी ने लोगों को इतना मजबूर कर दिया कि अपने पिता के अंतिम संस्कार में भी नहीं आ पा रहे। अस्थियां भी कोई लेकर जाने वाला नहीं है। ऐसा ही मामला सामने आया अलवर में। अलवर शहर के स्कीम दो में कुछ दिन पहले 77 साल के बुजुर्ग की लॉडर्स अस्पताल में मौत हो गई थी। नगर परिषद की टीम ने अंतिम संस्कार किया। बेटा अमेरिका में होने के कारण पिता के अंतिम दर्शन करने भी नहीं आ सका। बुजुर्ग की दोनों बेटियां भी दूर रहती हैं। इस कारण वे भी नहीं आ सकीं। परिषद की टीम ने अंतिम संस्कार किया। बुजुर्ग की अस्थियां लेने भी कोई नहीं आ सका। बेटे ने अपने किसी रिश्तेदार को भेजकर अस्थियां पुरुषार्थी धर्मशाला में रखवाई थी। जो अब वहीं रखी हैं।पिता की मौत के बाद अमेरिका में रह रहे उसके बेटे का नगर परिषद आयुक्त के पास फोन आया। अपने पिता के अंतिम संस्कार में नहीं आ पाने का दुख जताते हुए वह रोते हुए बोला मुझे माफ करना। मेरे पिता की अस्थियां रखवा लेना। मैं लेने आऊंगा। अभी मैं अमेरिका में हूं। आ नहीं पा रहा हूं।दो दिन श्मशान में रखी रही अस्थियांबुजुर्ग की अस्थियां दो दिन श्मशान में परिषद की टीम ने सुरक्षित रखी। तीसरे दिन बुजुर्ग के किसी रिश्तेदार के जरिए अस्थियों को पुरुषार्थी धर्मशाला में रखवाया गया है। असल में बुजुर्ग के परिवार में अलवर कोई नहीं है। उनकी दो बेटियां भी दूर रहती हैं। फिलहाल बुजुर्ग की पत्नी जयपुर में अपनी बेटी के साथ रहती हैं। उन्होंने बताया कि उनके पति की अचानक तबीयत बिगड़ी थी। दो दिन लॉडर्स हॉस्पिटल में भर्ती रहे। तीसरे दिन मौत हो गई थी। बेटा अमेरिका से नहीं आ सका। बेटियों भी काफी दूर रहती हैं। उस समय आने-जाने की छूट भी नहीं मिल सकी। मजबूरी में परिषद की टीम ने अंतिम संस्कार कराना पड़ा। अब बेटा आएगा। तभी अस्थियों का विसर्जन किया जाएगा।आयुक्त ने कहा बहुत परेशानियांआयुक्त सोहन सिंह नरूका ने बताया कि कोरोना महामारी में आमजन पर मुसीबत का पहाड़ टूटा है। बहुत से परिवारों के लोग अपनों के चले जाने पर अंतिम संस्कार में नहीं आ सके। परिषद की टीम ने अंतिम संस्कार कराए हैं। कइयों की अस्थियां भी परिषद की टीम ने ही सुरक्षित रखवाई हैं। नगर परिषद के मुख्य सफाई निरीक्षक राजकुमार सैनी ने बताया कि जिनके परिजन नहीं आ पाते उनके अंतिम संस्कार हमारी टीम कराती है। 25 अप्रैल के बाद अब तक हम 180 से अधिक लोगों के अंतिम संस्कार करा चुके हैं।


Source: Dainik Bhaskar May 19, 2021 03:56 UTC



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