इंफाल, प्रेट्र। भाजपा शासित मणिपुर में गुरुवार को नागरिकता बिल के विरोध में बंद से आम जनजीवन ठहर गया। 66 नागरिक संगठनों के महागठबंधन ने 24 घंटे के बंद का आह्वान किया है, जो बुधवार की मध्यरात्रि से शुरू हुआ। बंद के चलते सड़कों पर वीरानी छाई रही। असम और नगालैंड को जोड़ने वाले दो राष्ट्रीय राजमार्गो समेत प्रमुख सड़कों पर वाहन नजर नहीं आए।इंफाल और थाउबल, लिलांग, चूरचंदपुर, और कांगपोक्पी जैसे शहरों में जगह-जगह विरोध प्रदर्शन हुए। प्रदर्शनों में महिलाओं की भी अच्छी खासी संख्या रही। मणिपुर विश्वविद्यालय परिसर में छात्रों ने भी प्रदर्शन किया। बंद को देखते हुए कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए बड़ी संख्या में सुरक्षा बल तैनात किए गए थे।सड़कों पर उतरे संगठन नागरिकता (संशोधन) बिल, 2016 को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। विरोधियों का कहना है कि बिल के कानून बनने से पूरे पूर्वोत्तर में आबादी का अनुपात बिगड़ जाएगा। अवैध लोगों को देश मेंरहने का अधिकार मिल जाएगा। बता दें कि बिल में बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 31 मार्च, 2014 तक देश में आने वाले गैर मुस्लिम समुदाय के लोगों को छह वर्ष के निवास के बाद नागरिकता देने का प्रावधान है।मुख्यमंत्री एन बिरेन सिंह और 12 राजनीतिक पार्टी के प्रतिनिधि केंद्र सरकार से विरोध दर्ज कराने बुधवार को ही नई दिल्ली चले गए थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के लोगों की आशंकाओं को पहले दूर किया जाना चाहिए। केंद्र सरकार से वह अनुरोध करेंगे कि बिल से राज्य के हितों पर कोई असर ना पड़े, ऐसा प्रावधान करे। प्रदेश कांग्रेस के नेता भी पार्टी नेतृत्व से मिलने दिल्ली गए हैं।लोकसभा में यह बिल 8 जनवरी को पारित हो चुका है। अब उसे राज्यसभा में पेश किया जाना है। पूर्वोत्तर के राजनीतिक दल इसीलिए दबाव बना रहे हैं, ताकि बिल को राज्यसभा में पेश नहीं किया जाए और अगर पेश भी किया जाए तो पारित ना होने पाए।Posted By: Mangal Yadav
Source: Dainik Jagran January 31, 2019 12:59 UTC