नगर निगम: सुजान गंगा नहर में लगेंगे फ्लोटिंग फव्वारे, पानी में बनी रहेगी ऑक्सीजन - News Summed Up

नगर निगम: सुजान गंगा नहर में लगेंगे फ्लोटिंग फव्वारे, पानी में बनी रहेगी ऑक्सीजन


Hindi NewsLocalRajasthanBharatpurSujan Ganga Canal Will Have Floating Fountains, Oxygen Will Remain In Waterनगर निगम: सुजान गंगा नहर में लगेंगे फ्लोटिंग फव्वारे, पानी में बनी रहेगी ऑक्सीजनभरतपुर 11 घंटे पहलेकॉपी लिंकनगर निगम ने 2 साल पहले भेजा था फव्वारों का प्रस्ताव, एएसआई ने नहीं दी थी मंजूरी, इसलिए नहीं लग पाएसुजान गंगा नहर के पानी में ऑक्सीजन की मात्रा बरकरार रखी जा सके। इसलिए अब फ्लोटिंग फव्वारे लगाए जाएंगे। इसके लिए नगर निगम एक बार फिर कवायद शुरू की है। इससे पर्यटन भी बढ़ने की उम्मीद है। वैसे दो साल पहले भी सुजान गंगा नहर में तैरता हुआ फव्वारा लगाए का प्रस्ताव नगर निगम की ओर से पुरातत्व विभाग को भेजा गया था। लेकिन, डीपीआर तैयार नहीं होने के कारण यह मामला तब ठंडे बस्ते में चला गया था।इस बीच, प्रदूषण और ऑक्सीजन की कमी से मरी मछलियों को नहर से निकालने का काम बुधवार को शुरू कर दिया गया। लेकिन, अभी भी बदबू कम नहीं हुई है। इससे आसपास की कॉलोनियों में लोगों का घरों में रहना भी मुश्किल हो रहा है। निगम आयुक्त नीलिमा तक्षक ने बताया कि सुजान गंगा नहर में तैरता हुआ फव्वारा लगाने का प्रस्ताव बनाकर इसी महीने एएसआई को भेजेंगे।इधर, एएसआई के वरिष्ठ सहायक संरक्षक आर.के. मीणा ने बताया कि पहले भी नहर के सौंदर्यीकरण का जो प्रस्ताव भेजा गया था, उसकी सैद्धांतिक मंजूरी मिल गई थी। लेकिन, तब डीपीआर नहीं भेजे जाने के कारण यह प्रस्ताव अटक गया। अब फिर से कोई प्रस्ताव आएगा तो उसे मंजूरी के लिए उच्चाधिकारियों को भेजा जाएगा।मछलियों को निकालने में अभी 4-5 दिन लगेंगेनगर निगम सूत्रों का कहना है कि सुजान गंगा नहर से मरी हुई मछलियों को निकालने में अभी 4-5 दिन और लगेंगे। क्योंकि पानी गहरा है और जाल से मरी हुई मछलियों को निकालना मुश्किल हो रहा है। हालांकि इस काम के लिए 6 मछुआरों को लगाया गया है। जो नाव के जरिए और घाटों पर मैनुअली मृत मछलियों को निकालने में जुटे हैं।पानी में 0.5 से कम है आक्सीजन : डंडोतियासेवानिवृत जिला मत्स्य अधिकारी विनोद डंडोतिया ने बताया कि पानी में आक्सीजन का स्तर 6 होना चाहिए। क्योंकि मछलियां 4 से 5 स्तर तक जीवित रहती हैं। लेकिन, नहर में लगातार गंदा पानी और कचरा गिरने एवं साफ पानी की आवक नहीं होने से आक्सीजन की मात्रा 0.5 से भी कम रह गई है। नहर की जल जैविक स्थिति खतरनाक है। मछली को जीवन सूचक (बायोइंडीकेटर) माना गया है। इसलिए चिंता और सावधानी जरूरी है।


Source: Dainik Bhaskar November 05, 2020 00:47 UTC



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