क्या पति और पत्नी के बीच हुए शारीरिक सम्बन्धों की “न” को वैवाहिक बलात्कार की संज्ञा दी जा सकती है? इनका कहना है कि बलात्कार, बलात्कार है, उसमें चाहे पति ने ही जबरन क्यों न सम्बन्ध बनाए हों! एडवोकेट राव ने ही यह कहा कि हमारे न्यायालयों ने एक लोगों का मनोरंजन करने वाली एक सेक्सवर्कर के अधिकार सुनिश्चित किए हैं और यह कहा है कि वह किसी भी समय न कह सकती है, परन्तु क्या एक पत्नी को आप उससे भी निचले पायदान पर रखते हैं! क्योंकि यह सभी को दिखाई दे रहा है कि यह कानून हिन्दू परिवारों को तोड़ने का सबसे बड़ा हथियार साबित होने जा रहा है. मैरिटल रेप पर हो रही यह बहस कहीं न कहीं स्वतंत्रता की सीमा को भी परिभाषित करती है कि कितना दखल हो!
Source: Dainik Jagran January 15, 2022 09:23 UTC