वाराणसी के रवि सिंह का आईपीएल में चयन। राजस्थान रॉयल्स ने बाएं हाथ के बल्लेबाज विकेटकीपर को 95 लाख में खरीदा।मै जब अपने ऑफिस पहुंचा तो वहां सब लोग मेरा इंतजार कर रहे थे। एसपी विजलेंस ने मुझसे हाथ मिलाया और मेरे बेटे के चयन पर बधाई दी। उसी समय मुझे यह एहसास हुआ की रवि नाम अब बड़ा हो गया। यह सम्मान जिंदगी भर नहीं भूलूंगा। रवि ने मुझे जो खुशी दी है वह जीवन की अ. यह कहकर यूपी पुलिस विजलेंस की वाराणसी ब्रांच में तैनात दरोगा पृथ्वीराज सिंह की आंखें छलक उठी। तीन बेटों के पिता पृथ्वीराज सिंह के दूसरे नंबर के बेटे रवि सिंह का चयन आईपीएल-2026 में बतौर विकेटकीपर-बैट्समैन राजस्थान रॉयल्स में हुआ है।रवि साल 2023 से रेलवे में जॉब कर रहे हैं और रेलवे की टीम से उन्होंने विजय हजारे कप और रणजी में भी खेला है। रवि सिंह मूलरूप से मऊ के इमलियाडीह के रहने वाले हैं।राजस्थान रॉयल्स ने उन्हें 95 लाख में खरीदा है। ऐसे में उनके घर में जश्न का माहौल है। रिश्तेदार और पड़ोसी घर पहुंच रहे और माता-पिता का सम्मान कर उन्हें मिठाई खिला रहे हैं। रवि इस समेत विजय हजारे ट्राफी के लिए रेलवे की तरफ से बैंगलूर में कैंप में हैं। रवि हावड़ा में पोस्टेड हैं और रेलवे की तरफ से ही खेलते हैं।उनके आईपीएल में चयन के बाद उनके संघर्षों की कहानी जानने के लिए दैनिक भास्कर की टीम उनके वाराणसी स्थित घर पहुंची। यहां उनके पिता, माता और भाई मंगलम से बात की जो उन्हें मैच के लिए चार बजे भोर में भी स्टेशन छोड़ने के लिए तैयार रहते थे।काशी के रवि सिंह को राजस्थान रायल्स ने आईपीएल टीम में 95 लाख रुपए में खरीदा है।सबसे पहले जानिए पिता पृथ्वीराज सिंह ने बेटे के बारे में क्या बताया ...दादा दल सिंह थे एशियाड लेवल के पहलवान रवि सिंह के पिता पृथ्वीराज सिंह ने बताया- हमारा पूरा परिवार स्पोर्ट्स के माहौल में ही रहा है। हमारे पिता स्व. दल सिंह एशियाड लेवल के पहलवान हुआ करते थे। देश के कई पहलवानों के गुरु रहे दल सिंह के भी तीन बेटे हुए। इसमें मेरे दोनों भाई वीरेंद्र प्रताप सिंह और विजय प्रताप सिंह कबड्डी के अच्छे प्लेयर के साथ ही साथ रेसलर भी थे।इंडियन पुलिस के लिए कई साल खेला फुटबॉल पृथ्वीराज सिंह ने बताया- मै जब पुलिस में भर्ती हुआ तो साल 1999 में ही विजलेंस में आ गया था। तब से यहीं सेवा दे रहा हूं। स्पोर्ट्स कोटे से आता हूं। मैंने इंडियन पुलिस के लिए कई साल नेशनल फुटबॉल प्रतियोगिता खेली है। मैंने क्रिकेट भी खेला पर मेरा इंट्रेस्ट फुटबाल में था। लेकिन मेरे तीनों ही बेटे बचपन से क्रिकेट में इंट्रेस्टेड थे।पिता रवि सिंह और माता मंजू सिंह बहुत खुश हैं कि उनके बेटे की मेहनत सफल हुई है।पांडेयपुर से बीएलडब्ल्यू लेकर आते थे पृथ्वीराज सिंह ने कहा- बचपन में जगजीत, रवि और मंगलेश आपस में ही क्रिकेट खेलते थे। रवि हर समय क्रिकेट बैट के साथ ही दिखता था। हालांकि बाद में रवि का क्रिकेट के प्रति जुनून और बढ़ गया। उसने बीएलडब्ल्यू में कोचिंग शुरू कर दी।फैजल, इस समय गाजीपुर में क्रिकेट एकेडमी चला रहे राजेश गौतम, जावेद भाई और सैफई भाई ने रवि को देखा और उसे समझा और फिर उसका खेल निखारा।साल 2016 में यूपी के लिए खेला पिता पृथ्वीराज सिंह ने बताया - बीएलडब्ल्यू की कोचिंग ने उसे यूपी टीम में पहुंचा दिया और उसने साल 2016 में यूपी टीम के लिए खेला पर वहां अच्छे रन नहीं बने जबकि कैंप में अच्छा खेला था। इसके बाद स्कूली क्रिकेट में यूपी टीम का नेतृत्व किया। लगातार दो बार विजय हजारे ट्राफी का मैच खेला।रवि सिंह बाएं हाथ के बल्लेबाज और विकेटकीपर हैं।लखनऊ में चमकी किस्मत रवि के पिता ने बताया- रवि को अच्छी कोचिंग के लिए लखनऊ भेज दिया। यहां आईपीएल एकेडमी में कोच सौरभ दूबे ने उसके खेल को निखारा और 8 मार्च 2020 को कोरोना इफेक्ट के पहले उसने अपना अंतिम मैच खेला। इसके बाद कोरोना के बाद इसका मैच शुरू हुआ।साल 2023 में ही ईस्टर्न रेलवे से जॉब के लिए बुलाया गया और सिलेक्शन के बाद जॉब लग गई। रवि इस समय ईस्टर्न रेलवे में टीसी के पद पर हावड़ा स्टेशन पर कार्यरत हैं।इंजरी से कभी नहीं घबराया कोई भी प्लेयर हो वो इंजरी से घबराता है लेकिन रवि कभी इंजरी से नहीं घबराया। रवि के पिता ने बताया- इंजरी होने के बाद भी रवि ने कभी खेल को छोड़ा नहीं। कुछ दिन के आराम के बाद फिर ग्राउंड पर पहुंच जाता था। हाल ही में जब आईपीएल ऑक्शन के लिए उसका सिलेक्शन होना था।उसके कुछ दिन पहले आसनसोल में उसकी दाढ़ी में गेंद लगने से फट गया था। लेकिन उसके बावजूद वो वैसे ही हैदराबाद गया और दिन भर कभी बैटिंग और कभी कीपिंग करवाने के बाद उसका सिलेक्शन आईपीएल नीलामी के लिए हुआ था।पिता रवि सिंह ने बताया - रवि कभी इंजरी से नहीं घबराया।अब छोटे भाई मंगलम से जानिए रवि की उस रिकार्ड बुक की बात जिसमें कहीं मोटिवेशनल कोटेशन तो कहीं शून्य पर आउट होना लिखा है...हमेशा खेल के प्रति जुनून मंगलम रवि के छोटे भाई हैं और यूनिवर्सिटी की तरफ से क्रिकेट खेल रहे हैं। मंगलम ने बताया- भैया हमेशा से खेल प्रति जुनून लेकर चलते हैं। उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। वो अपनी इंजरी को जल्द से जल्द ठीक होने की बाबा विश्वनाथ से प्रार्थना करते थे और फिर प्रैक्टिस में जुट जाते थे। जिसका परिणाम है आज वो आईपीएल में सेलेक्ट हुए हैं।साल 2016 से रवि ने मेंटेन की है रिकार्ड बुक।रिकार्ड बुक में हर एक इनिंग का सच मंगलम ने रवि की एक रिकार्ड बुक दैनिक भास्कर को दिखाई। जिसमें पहला मैच रवि ने 17 अक्टूबर 2014 को सिगरा स्टेडियम में खेलना लिखा है। जिसमें रवि ने 23 रन बनाए थे और बॉलर के हाथों की कैच होकर अपना विकेट गंवाया था। इसी रिकार्ड बुक के ज्यादातर पन्नों पर मोटिवेशनल थॉट्स लिखे थे।साथ ही आखरी मैच 8 मार्च 2020 को समस्तीपुर बिहार में खेलना दिखाया है। जहां 14 रन बनाकर मिडविकेट पर कैच आउट हुए थे। मंगलम ने बताया - भैया हर मैच के बाद अपनी इस डायरी में उस दिन का अपना रिकार्ड लिखते थे और फिर उसपर मंथन करते थे कि आखिर कहां गलत
Source: NDTV December 24, 2025 12:00 UTC