जागरण संवाददाता बलिया जेपी के गांव सिताब दीयरा के लिए छपरा-बलिया सड़क मार्ग से बाईं ओरजागरण संवाददाता, बलिया : जेपी के गांव सिताब दीयरा के लिए छपरा-बलिया सड़क मार्ग से बाईं ओर मुड़ना होता है। दीयर इलाके में दूर-दूर तक सपाट खेत, ऊंची सड़क से कहीं कहीं धूल उड़ाती कार दिख जाएगी। यह बड़ा गांव है, 27 टोलों का। वैसे जेपी ने चंबल में डकैतों से सरेंडर करवाया, लेकिन उनका खुद का इलाका हमेशा से चोरों-लुटेरों के निशाने पर है। सड़क सुरक्षित नहीं है। जयप्रकाश नारायण का घर जिस टोले में है, वह पॉश कॉलोनी जैसा है। शानदार भवन, बागीचे, द्वार व अच्छी सड़कें। कोई भीड़भाड़ नहीं है। जेपी का घर, बरामदा, उनका अपना कमरा, उनकी वह चारपाई, जो शादी के समय उन्हें मिली थी, उनकी चप्पलें, कुछ कपड़े, वह ड्रेसिग टेबल जहां वे दाढ़ी बनाया करते थे, सबकुछ ठीक से रखा गया है, जिन्हें देखा और करीब से महसूस किया जा सकता है। उनके घर की बाईं ओर अद्भुद स्मारक है। यहां उनसे जुड़े पत्र, फोटोग्राफ संजोए रखे हैं। पत्रों में डा. राजेन्द्र प्रसाद द्वारा राष्ट्रपति रहते हुए भोजपुरी में लिखा गया पत्र भी है। इंदिरा गांधी, महात्मा गांधी, पंडित नेहरू समेत कई के पत्र व चित्र दर्शनीय हैं।-------------------बबूल के पेड़ से बना बाबुरवानी, चंद्रशेखर ने बनाया जयप्रकाश नगरबलिया में सांसद रहते स्व. चंद्रशेखर ने जेपी के प्रति अपनी भक्ति को अच्छी तरह साकार किया है। उनकी वजह से ही बाबुरवानी का नाम जयप्रकाश नगर रखा गया है। यहां बाहर से आने वाले शोधार्थियों के के लिए पुस्तकालय है, तीन से ज्यादा विश्राम गृह हैं। टोले का नाम पहले बाबुरवानी था, यहां बबूल के पेड़ थे। जेपी के जन्म से काफी पहले जब सिताब दीयरा में प्लेग फैला, तो बचने के लिए जेपी के पिता बाबुरवानी में घर बनाकर रहने आ गए।-------------------हर साल बाढ़ से जूझता है गांवगांव गंगा और सरयू के बीच है। कभी यह गांव बिहार में था, लेकिन अब उत्तर प्रदेश में है। राजस्व की वसूली बिहार सरकार करती है। गांव हर साल बाढ़ से जूझता है। जेपी के घर की छत खपरैल वाली ही थी। आज भी उनका घर बहुत अच्छी स्थिति में रखा गया है। देख-रेख बहुत अच्छी तरह से होती है। टोले के ज्यादातर लोग बाहर ही रहते हैं।शॉर्ट मे जानें सभी बड़ी खबरें और पायें ई-पेपर,ऑडियो न्यूज़,और अन्य सर्विस, डाउनलोड जागरण ऐप
Source: Dainik Jagran June 04, 2021 13:18 UTC