जूडा हड़ताल: जूनियर डाॅक्टरों ने खून देकर कहा- हम जनता के सेवक हैं, विरोधी नहीं, सरकार हमारी मांगें माने - News Summed Up

जूडा हड़ताल: जूनियर डाॅक्टरों ने खून देकर कहा- हम जनता के सेवक हैं, विरोधी नहीं, सरकार हमारी मांगें माने


Hindi NewsLocalMpRewaJunior Doctors Gave Blood And Said We Are Public Servants, Not Opponents, The Government Should Accept Our Demandजूडा हड़ताल: जूनियर डाॅक्टरों ने खून देकर कहा- हम जनता के सेवक हैं, विरोधी नहीं, सरकार हमारी मांगें मानेरीवा 15 घंटे पहलेकॉपी लिंकहड़ताली जूडा रक्त दान करते हुए।विस अध्यक्ष को ज्ञापन सौंपकर मध्यस्थता की अपील कीमध्यप्रदेश जूडा एसोसिएशन के नेतृत्व में 6 सूत्रीय मांगों को लेकर रीवा के जूनियर डाॅक्टर हड़ताल में डटे रहे। यहां पांचवें दिन जूडा ने रक्तदान कर जनता का भरोसा जीतने की कोशिश की। जूडा ने कहा कि हम जनता के सेवक है, विरोधी नहीं। सरकार हमारी मांगे माने। हम पहले भी सेवक थे और अब भी हैं। बीते कई वर्षों से मांगों को लेकर सरकार से आश्वासन मिल चुका है।न्यायालय ने भी सरकार के पक्ष में ही फैसला सुनाया है। हम चाहते हैं कि हमारी ओर भी एक बार ध्यान दिया जाए। हमारे भी परिवार और बच्चे हैं। जो भी हमारी मांगे हैं, वह सब जायज मांगे हैं। यदि हमें जनता का विरोधी बताया जाता है, तो यह गलत है। हम सेवा भाव के लिए ही चिकित्सा क्षेत्र में आते हैं। हमेशा ही जनता के सेवक रहेंगे।रक्तदान के बाद बोले जूडा के पदाधिकारीजेडीए के पदाधिकारियों की ओर से शुक्रवार को बयान दिया गया है कि हमारी हड़ताल सभी जगह चल रही है। आगे जो भी दिशा निर्देश एसोसिएशन की ओर से जारी किया जाएगा। उसी आधार पर रीवा में जूनियर डॉक्टर भी हड़ताल को लेकर फैसला लेंगे।विस अध्यक्ष को जूडा ने सौंपा ज्ञापनरीवा प्रवास पर आए मध्यप्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम से शुक्रवार सुबह जूडा पदाधिकारियों ने ज्ञापन सौंपा। जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन ने गिरीश गौतम से मिलने के बाद अपनी मांगे रखी। उन्होंने यह आश्वासन दिया है कि वे मध्यस्थता कर जूडा का पक्ष मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग से के पास रखने का प्रयास करेंगे।अटेंडर कर रहे मरीज का उपचारप्रदेशभर में जूनियर डॉक्टर की चल रही हड़ताल का असर अब विंध्य के अस्पतालों में दिखने लगा है। दावा है कि शुक्रवार को संजय गांधी अस्पताल में अटेंडर मरीज का उपचार कर रहे है। हालांकि मेडिकल प्रबंधन इस बात को सिरे से खारिज कर रहा है। प्रबंधन का दावा है कि सीनियर डाॅक्टरों ने उपचार व्यवस्था सम्भाली हुई है, जबकि अस्पताल के अंदर खाली पड़ी डाॅक्टरों की केबिन कुछ और ही बता रही है। सूत्रों का दवा है कि कई मरीजों परिजन दिन में उपचार के लिये यहां वहां भटकते रहे। फिर भी समय पर उपचार नहीं मिला है।


Source: Dainik Bhaskar June 04, 2021 17:03 UTC



Loading...
Loading...
  

Loading...