जानें, उस INS Viraat के बारे में जिसका जिक्र पीएम मोदी ने कांग्रेस पर हमले के लिए किया - News Summed Up

जानें, उस INS Viraat के बारे में जिसका जिक्र पीएम मोदी ने कांग्रेस पर हमले के लिए किया


नई दिल्‍ली [जागरण स्‍पेशल]। लोकसभा चुनाव के प्रचार में अब आईएनएस विराट के शोर में काफी कुछ दब सा गया है। भारत के इस रिटायर हो चुके विमानवाहक पोत का जिक्र पीएम मोदी ने कांग्रेस पर हमले के लिए किया है। आईएनएस विक्रांत हो या फिर आईएनएस विराट ये सभी विमानवाहक पोत भारतीय नौसेना का गौरव रहे हैं। जहां तक विराट की बात है तो इस एयरक्राफ्ट करियर को भारतीय नौसेना से पिछले वर्ष 6 मार्च 2017 को डीकमीशंड किया गया था, जबकि यह नौसेना की सर्विस से 23 जुलाई 2016 को ही हटा दिया गया था। विराट के नाम की ही तरह इससे जुड़ी हर चीज बेहद अहम रही है। जिस तरह से थल सेना की हर यूनिट का एक उदघोष होता है उसी तरह से इसका 'जलामेव यस्‍य, बालमेव तस्‍य' था। संस्‍कृत की इन पक्तियों का अर्थ है कि जो समुद्र पर राज करता है वही असल में सबसे शक्तिशाली होता है।चढ़ गया राजनीतिक पाराविराट के बारे में आगे बताने से पहले आपको ये भी बता दें कि आखिर राजनीतिक गलियारों में एकाएक इस युद्धपोत का जिक्र क्‍यों हुआ है। दरअसल, बुधवार को पीएम मोदी ने दिल्‍ली के रामलीला मैदान में एक चुनावी जनसभा को संबोधित किया था। इसमें उन्‍होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने आईएनएस विराट का इस्‍तेमाल बतौर टैक्‍सी, अपने परिवार की मौज-मस्‍ती के लिए किया था। उन्‍होंने कांग्रेस पर आरोप लगाया कि राजीव गांधी ने देश की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा को ताक पर रखते हुए दस दिन की छुट्टियां मनाने के लिए इस युद्धपोत का इस्‍तेमाल किया था। इस मौके को एन्‍जॉय करने के लिए राजीव गांधी ने इटली के अपने रिश्‍तेदारों को भी बुलाया था। इतना ही नहीं उन्‍होंने यहां तक कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री ने भारतीय नौसेना के जवानों का इस्‍तेमाल भी अपने परिवार की निजी खातिरदारी के लिए किया था।1961 में बना भारतीय नौसेना का हिस्‍साविराट और राजीव गांधी पर दिए गए बयान के बाद राजनीतिक पारा बढ़ गया है। लेकिन इस बढ़ते राजनीतिक पारे में इस विशाल विमानवाहक पोत की खासियतों और उपलब्धियों को किसी भी सूरत से नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। आपको यहां पर ये भी बता दें कि भारतीय नौसेना को पहला विमानवाहक पोत 1961 में हासिल हुआ था, जिसका नाम था 'आईएनएस विक्रांत'। यह वही आईएनएस विक्रांत था जिसको डुबोने के लिए पाकिस्‍तान ने खुफिया मिशन के तहत अपनी सबसे बेहतरीन पनडुब्‍बी पीएनएस गाजी को विशाखापट्टनम भेजा था। लेकिन उसका यह दांव उलटा पड़ गया और गाजी समुद्र में समा गई थी। विराट को विक्रांत की ही जगह लाया गया था। विक्रांत अपनी गौरवमयी सर्विस के बाद 31 जनवरी 1997 को रिटायर किया गया था। जबकि विराट 12 मई 1987 को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था। आपको यहां पर ये भी बता दें कि पाकिस्‍तान के पास वर्तमान में भी कोई विमानवाहक पोत नहीं है। हालांकि चीन से पहला विमानवाहक पोत खरीदने पर दोनों देशों के बीच वार्ता जरूर चल रही है। यह पोत पहले सोवियत रूस, फिर यूक्रेन और फिर चीन की सेवा में रह चुका है।कभी रॉयल नेवी का हिस्‍सा था विराटअब हम वापस आईएनएस विराट की बात करते हैं। आईएनएस विराट सेंतौर श्रेणी का विमानवाहक पोत था। हिंद महासागर मे इसकी उपस्थिति ही दुश्‍मन के लिए खतरे का संकेत हुआ करती थी। इसे भारत सरकार ने ब्रिटेन से खरीदा था। रॉयल नेवी में इस पोत ने 1959 से 1985 तक सेवाएं दी थी। उस वक्‍त इसका नाम एचएमएस हर्मस हुआ करता था। 1986 में भारत सरकार ने इसको खरीदा और अपने मुताबिक जरूरी बदलाव भी किए। 12 मई 1987 को इसे आधिकारिक तौर पर भारतीय नौसेना को सौंप दिया गया था।ये थी खासियतइस पोत पर 12 डिग्री कोण वाला एक स्कीजंप लगा था जो सी हैरीयर क्‍लास के फाइटर प्‍लेन के टेकऑफ करने के लिए जरूरी होता है। इस पोत पर एक साथ 26 विमान खड़े हो सकते थे, जिसमें 18 फाइटर प्‍लेन, सीकिंग हेलीकॉप्‍टर, दो ध्रुव और चार चेतक हेलीकॉप्‍टर शामिल थे। सीकिंग हेलीकॉप्‍टर का काम मुख्‍यत: पनडुब्बियों पर पैनी नजर रखना होता था। इतना ही नहीं इस विमान के ढांचे को करीब डेढ़ इंच मोटे लोहे की चादरों से तैयार किया गया था। इस पोत पर 750 कर्मी एक समय में रह सकते थे। इसके अलावा इस पर चार लेंडिंग क्राफ्ट भी थे जिनका इस्‍तेमाल सैनिकों को तट तक छोड़ने में किया जाता था। इस पर 80 से अधिक हल्के टारपिडो को रखा जा सकता था। इसमें 76 हजार हॉर्स पावर वाला टरबाइन इंजन लगा था जो इसको 28 नॉट या यूं कहें कि 52 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार देता था। दुश्‍मन के छक्‍के छुड़ाने के लिए इस पर 40 एमएम की दो बोफोर्स एए गन लगी थीं। इसके अलावा बराक एसएएम वीएल मिसाइल भी इस पर मौजूद थीं। यह किसी भी आपात स्थिति में आसमान में मौजूद दुश्‍मन को पलक झपकते ही खत्‍म कर सकती थीं।आखिरी सफररिटायर किए जाने से पहले 23 जुलाई 2016 को विराट ने अपनी आखिरी यात्रा मुंबई से कोच्चि के बीच की थी। अपने पूरे कार्यकाल में यह 2250 दिनों तक समुद्र की लहरो से खेलता रहा था। इसके दौरान इसने 1,094,215 किमी की यात्रा की थी। डीकमीशन होने से पहले कोच्चि में इसके बॉयलर, इंजन, प्रोपेलर समेत दूसरी जरूरी चीजों को निकाल लिया गया था। 4 सितंबर को यह पोत मुंबई पहुंचा था, जहां 28 अक्‍टूबर को यह भारतीय नौसेना की सेवा से हटा दिया गया और 6 मार्च 2017 को इसको आधिकारिक विदाई दे दी गई। इस पोत के रिटायर होने से पहले ही भारतीय नौसेना को आईएनएस विक्रमादित्‍य के रूप में तीसरा विमानवाहक पोत मिल चुका था।अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप को कारोबार में उठाना पड़ा 81 अरब रुपये से ज्‍यादा का नुकसानलोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एपPosted By: Kamal Verma


Source: Dainik Jagran May 09, 2019 06:13 UTC



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