यूटिलिटी डेस्क. सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले से प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों की पेंशन में कई गुना बढ़ोतरी का रास्ता साफ हो गया है। ईटी की रिपोर्ट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को EPFO की उस याचिका को खारिज कर दिया, जो उसने केरल हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ दी थी। केरल हाईकोर्ट ने रिटायर हुए सभी कर्मचारियों को उनकी पूरी सैलरी के हिसाब से पेंशन देने का आदेश दिया था। जबकि, वर्तमान में EPFO 15,000 रुपए वेतन की सीमा के साथ योगदान की गणना करता है।ईपीएस में अंशदान का है मामला दरअसल, 1995 में ईपीएस की शुरुआत की गई थी। तब नियोक्ता कर्मचारी के वेतन का अधिकतम 6500 रुपए सालाना या 541 रुपए मासिक ही ईपीएस में जमा कर सकता था। मार्च 1996 में इस नियम में बदलाव किया गया। इस बदलाव के तहत अगर कोई कर्मचारी फुल सैलरी के हिसाब से स्कीम में योगदान देता है और नियोक्ता भी तैयार है।2014 में बदलाव से बढ़ा विवाद EPFO ने सितंबर 2014 में फिर नियमों में बदलाव कर दिया। नए नियमों के तहत अधिकतम 15 हजार रुपए के 8.33 फीसदी योगदान को मंजूरी दी गई। साथ ही फुल सैलरी पर पेंशन लेने की स्थिति में पिछले पांच साल की सैलरी के हिसाब से पेंशन वाली सैलरी तय करने का नियम बनाया गया। सितंबर 2014 से पहले तक पिछले साल की औसत सैलरी के हिसाब से पेंशन वाली सैलरी तय हो रही थी। नए नियम से कर्मचारियों की पेंशन वाली सैलरी कम हो गई। इसके विरोध में कर्मचारी केरल हाईकोर्ट पहुंच गए। केरल हाईकोर्ट ने सितंबर 2014 के EPFO के फैसले को रद्द कर पुरानी व्यवस्था को बहाल कर दिया।
Source: Dainik Bhaskar April 02, 2019 07:18 UTC