कुंभ मेला 2019: कुछ इस तरह से महिलाएं बनती हैं नागा साधु - News Summed Up

कुंभ मेला 2019: कुछ इस तरह से महिलाएं बनती हैं नागा साधु


बीते दिनों जूना अखाड़े ने प्रयागराज कुंभ मेला 2019 में 60 महिला नागा सन्यासियों को दीक्षा दी। आपने पहले नागा साधुओं के बारे में तो खूब सुना होगा। तरह-तरह की भ्रांतियां भी जुड़ी हुई हैं उनके नागा साधु बनने की प्रक्रिया के साथ। लेकिन महिला नागा साधु बनने की क्या प्रक्रिया है? किस तरह से उन्हें दीक्षा दी जाती है? उससे जुड़ी कुछ बातें बताते हैं आपको।6-12 साल तक करना होता है ब्रह्मचार्य का पालनसन्यासिन बनने से पहले महिलाओं को 6 से 12 वर्षों तक कठिन तपस्या करनी पड़ती है। उन्हें ब्रह्मचारी जीवन जीना होता है। इसके बाद का निर्णय उनके गुरु का होता है कि वो उन्हें नागा साधु बनने के उचित समझता है या नहीं।पिछले जीवन की जांच-पड़तालजिस अखाड़े से महिला जुड़ी है। उस अखाड़े के साधु महिला के सन्यासिन बनने से पहले के जीवन की जांच पड़ताल करते हैं। उसके घर-परिवार के बारे में जानते हैं।करना होता है खुद का पिंड दानमहिला को नागा साधु बनने से पहले खुद का पिंडदान भी करना होता है। साथ ही उसे अपना तर्पण भी करना पड़ता है। इसके बाद जिस भी अखाड़े से महिला दीक्षा लेना चाहती है उसके महामंडलेश्वर ही महिला को दीक्षा देते हैं।मुंडन के बाद करवाया जाता है शाही स्नानइसके बाद महिला साधु का विधि-विधान से मुंडन किया जाता है। उन्हें दही, गोमूत्र, भस्म, चंदन और हल्दी से स्नान करवाया जाता है। इस प्रक्रिया के बाद महिला को ताउम्र एक समय ही भोजन करना होगा।मिलता है पूरा सम्मानइसके बाद महिला को नागा साधुओं की तरह जीवन जीना होता है। वो हमेशा गेरूआ कपड़ा लपेटे रहती हैं। अखाड़े में उन्हें भी पूरा सम्मान मिलता है। अखाड़े में सभी साधु इन्हें माता कहते हैं।


Source: Navbharat Times January 31, 2019 11:03 UTC



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