डिफॉल्ट की स्थिति में बैंक पहले कर्जदार को नोटिस भेजता है और उसका जवाब नहीं आने पर कर्जदार के साथ ही गारंटर को भी नोटिस भेजा जाता हैडिफॉल्ट की स्थिति में बैंक पहले कर्जदार को नोटिस भेजता है और उसका जवाब नहीं आने पर कर्जदार के साथ ही गारंटर को भी नोटिस भेजा जाता हैकिसी लोन की गारंटी देने वाला व्यक्ति भी लोन लेने वाले व्यक्ति के बराबर कर्जदार होता हैअगर आप पहले ही गारंटर हैं तो कर्ज लेने वाले व्यक्ति और कर्ज देने वाले बैंक से भी संपर्क में रहेंदैनिक भास्कर Jun 08, 2020, 07:21 PM ISTनई दिल्ली. कोरोना वायरस के कारण लोगों को आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि 6 महीने का मोराटोरियम (लोन की ईएमआई के भुगतान पर रोक) के चलते लोगों को राहत मिली है। इससे कुछ समय के लिए लोन के डिफॉल्ट की समस्या टल गई है। लेकिन, खत्म नहीं हुई है। लोन का डिफॉल्ट होना उन लोगों के लिए भी बुरी खबर है जो अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के कर्ज में गारंटर हैं।क्या हैं नियम? नियमों के मुताबिक किसी लोन की गारंटी देने वाला व्यक्ति भी लोन लेने वाले व्यक्ति के बराबर कर्जदार होता है। डिफॉल्ट की स्थिति में बैंक पहले कर्जदार को नोटिस भेजता है और उसका जवाब नहीं आने पर कर्जदार के साथ ही गारंटर को भी नोटिस भेजा जाता है। बैंक जितना हो सकेगा कर्जदार से ही वसूली की कोशिश करेगा, लेकिन असफल रहने पर गारंटर को भी डिफॉल्ट के लिए जिम्मेदार माना जाएगा।कब जरूरी होता है गारंटर? अगर आप किसी के गारंटर हैं और अब हटाना चाहते हैं तो इसके कई कारण हो सकते हैं। जैसे आप खुद लोन लेना चाहते हैं। हालांकि, बैंक इसकी अनुमति तब तक नहीं देते हैं जब तक कर्ज लेने वाला व्यक्ति कोई और गारंटर नहीं तलाश लेता है। यहां तक कोई दूसरा गारंटर ढूंढ लेने के बावजूद यह बैंक पर निर्भर करता है कि वह इसकी अनुमति देता है कि नहीं।डिफॉल्ट होने पर क्या करें? अगर कर्ज लेने वाला व्यक्ति नियमित रूप से इसका भुगतान नहीं कर रहा है और बैंक आपको कर्ज चुकाने के लिए कह रहा है तो कर्ज लेने वाले से बात करके आप लीन चुका सकते हैं। ऐसा करने पर गारंटर कर्ज लेने वाले से बाद में पैसा वसूल सकता है।
Source: Dainik Bhaskar June 08, 2020 09:45 UTC