कठोर वचन के प्रश्न पर इस तरह गौतम बुद्ध ने दिया राजकुमार अभय को जवाब - News Summed Up

कठोर वचन के प्रश्न पर इस तरह गौतम बुद्ध ने दिया राजकुमार अभय को जवाब


संकलन: सुभाष चन्द्र शर्माएक बार गौतम बुद्ध से राजकुमार अभय ने एक उभय प्रश्न किया। उभय प्रश्न वह होता है, जिसका उत्तर न तो हां में दिया जा सकता और न ही ना में। राजकुमार अभय का प्रश्न था, ‘क्या बुद्ध कभी कठोर वचन कहते हैं?’ उसने सोच रखा था कि नहीं कहने पर वह बताएगा कि एक बार उन्होंने देवदत्त को नारकीय नरकगामी कहा था, और अगर हां कहेंगे, तो उनसे पूछा जा सकता है कि जब आप खुद कठोर वचन कहते हैं, तो दूसरों को इसे न कहने का उपदेश कैसे दे सकते हैं? जानिए क्यों भगवान श्रीकृष्ण ने केवल अर्जुन को ही सुनाई थी गीताबुद्ध ने अभय के प्रश्न का आशय जान लिया। उन्होंने कहा, ‘इसका उत्तर न तो हां में दिया जा सकता है और न ही ना में।’ राजकुमार की गोद में उस समय एक छोटा बालक था। उसकी ओर इशारा करते हुए बुद्ध ने पूछा, ‘अगर अनजाने में यह बालक अपने मुख में काठ का टुकड़ा डाल ले, तो तुम क्या करोगे?’ ‘मैं उसे निकालने का प्रयास करूंगा।’ राजकुमार बोला। ‘अगर वह आसानी से न निकला तो?’ बुद्ध ने प्रश्न किया। ‘तो उंगली टेढ़ी करके उसे निकालूंगा।’ ‘अगर खून निकलने लगे तो?’ अब बुद्ध ने पूछा।धर्म के नाम पर लूट-पाट और अन्याय करने वालों को ऐसा हुआ हश्र‘तो भी मेरा यही प्रयास रहेगा कि वह काठ का टुकड़ा किसी न किसी तरह बाहर निकल आए।’ बुद्ध बोले, ‘ऐसा क्यों?’ ‘इसलिए कि भंते, इसके प्रति मेरे मन में अनुकंपा है।’ अब बुद्ध बोले, ‘ठीक इसी तरह तथागत जिस वचन के बारे में जानते हैं कि यह मिथ्या है या अनर्थकारी है और उससे दूसरों के हृदय को ठेस पहुंचती है, तब वे उसका उच्चारण कभी नहीं करते। पर इसी तरह जो वचन उन्हें सत्य और हितकारी प्रतीत होते हैं, भले वे दूसरों को अप्रिय लगते हैं, उनका उच्चारण वे सदैव करते हैं। इसका कारण यही है कि तथागत के मन में सभी प्राणियों के प्रति अनुकंपा है।’


Source: Navbharat Times September 14, 2020 03:45 UTC



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