दैनिक भास्कर Jun 12, 2020, 05:30 AM ISTबीकानेर. यूं तो जिला परिषद में काफी गहमागहमी मची है। अधिकारियों के क्रियाकलाप पर सवाल उठ रहे हैं। सरपंच पेमेंट ना होने पर धरने पर बैठ रहे हैं। अतिरिक्त मुख्य सचिव के आदेश भी दरकिनार हैं। लेकिन अब जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने एक ऐसा आदेश जारी किया जिसमें लेबर एक्ट के नियमों का भी ध्यान नहीं रखा गया।रात्रि कालीन ड्यूटी के लिए सीईओ ने दो कर्मचारियों को साढे 15 घंटे ड्यूटी करने के आदेश दिए। यह दोनों संविदा कर्मी हैं। शाम 6:00 बजे से सुबह 9:30 बजे तक एक कर्मचारी की कार्यालय में ड्यूटी लगाई। रोटेशन से अगले दिन दूसरे कर्मचारी को भी इसी तरह शाम 6:00 से सुबह 9:30 तक कार्यालय में ड्यूटी करनी होगी। श्रमिक नियम के तहत अधिकतम 8 घंटे की ड्यूटी होती है।सरकारी कामकाज के लिए भी सुबह दस से शाम को 6:00 बजे की ड्यूटी होती है लेकिन संविदा कर्मियों के लिए यह ड्यूटी साढे 15 घंटे करना अपने आप में एक सवालिया निशान है। खास बात यह है कि नियमित सहायक कर्मचारियों को रात्रि कालीन ड्यूटी से दूर कर दिया गया। जबकि जिनका वेतन कम है और संविदा कर्मी है उनको रात्रि कालीन ड्यूटी दी गई है।इससे भी बड़ा सवाल यह है कि जिस कर्मचारी ने शाम 6 से सुबह 9:30 तक ड्यूटी की और यदि उसकी ड्यूटी अगली रात को नहीं है तो वह दिन में भी ड्यूटी करेगा ऐसा आदेश में स्पष्ट उल्लेख है। सीईओ जिला परिषद नरेंद्र पाल सिंह शेखावत का कहना है की श्रमिक एक्ट के हिसाब से आदेश में संशोधन करूगा।
Source: Dainik Bhaskar June 12, 2020 00:00 UTC