नई दिल्ली,एजेंसी। देशभर में डॉक्टर राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) बिल के विरोध में शुक्रवार को भी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर रहेंगे। इसकी घोषणा देर रात हड़ताल कर रहे संगठनों की बैठक में की गई। डॉक्टरों के विरोध के चलते मरीजों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इलाज के लिए उन्हें दर-दर भटकना पड़ रहा है। आज (शुक्रवार) केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने हड़ताल कर रहे डॉक्टरों से मुलाकात की है। उन्होंने बताया कि मैंने डॉक्टरों से मुलाकात की और बिल के कुछ प्रावधानों के बारे में उनकी गलतफहमी को दूर किया। साथ ही उन्हें समझाया कि यह बिल देश के हित में है और डॉक्टरों और मरीजों के हित में है। साथ ही उनसे विरोध खत्म करने के लिए कहा।गुरुवार को हड़ताल के चलते मरीजों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा। हजारों मरीजों को इलाज के लिए भटकना पड़ा। पटना के पीएमसीएच, आइजीआइएमएस, एम्स और एनएमसीएच में इसका सबसे अधिक असर देखने को मिला। यहां मरीजों और परिजनों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा. पीएमसीएच में 20 और एनएमसीएच में 24 ऑपरेशन टाल दिये गये।एम्स के रेजिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन ने कहा कि AIIMS की गवर्निंग बॉडी मीटिंग में, URDA, FORDA & AIIMS RDA के अधिकारियों ने संयुक्त रूप से अनिश्चितकालीन हड़ताल (नेशनल मेडिकल कमिशन बिल के खिलाफ) जारी रखने का फैसला किया है।इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने लोकसभा में पास हुए नेशनल कमीशन बिल 2019 पास होने का विरोध कर रहे हैं। सरकारी डॉक्टरों का कहना है अगर ये विधेयक राज्यसभा में पारित हो जाता है तो वे ओपीडी, आपात विभाग, आईसीयू और ऑपरेशन थियेटरों में काम नहीं करेंगे और अपना विरोध अनिश्चितकाल के लिए जारी रखेंगे। पुलिस ने इस दौरान कुछ डॉक्टरों को भी हिरासत में लिया गया था और बाद में उन्हें रिहा कर दिया गया था। गुरुवार को संसद के आसपास के इलाकों में भारी संख्या में पुलिस बल की तैनात था। संसद के आसपास की सड़कों पर बैरिकेड लगाए गए थे।जानकारी के लिए बता दें कि एम्स, सफदरजंग, आरएमएल, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज समेत दिल्ली सरकार व नगर निगमों के 50 से ज्यादा सरकारी अस्पतालों के करीब 20 हजार रेजिडेंट डॉक्टर बृहस्पतिवार को हड़ताल पर रहे। हड़ताल के चलते एम्स और ट्रामा सेंटर में नए मरीजों को भर्ती करने से साफ इनकार कर दिया।जानें क्या है डॉक्टरों की दलीलआईएमए का कहना है कि इस बिल की वजह से मेडिकल कॉलेजों में चिकित्सा शिक्षा महंगी हो जाएगी। बिल में कहा गया है कि मेडिकल कॉलेजों के प्रबंधन 50 फीसदी से ज्यादा सीटों को अधिक दर पर बेच पाएंगे। साथ ही उनका कहना है कि इस बिल में मौजूदा धारा-32 के तहत करीब 3.5 लाख लोग जिन्होंने चिकित्सा की पढ़ाई नहीं की है उन्हें भी लाइसेंस मिल जाएगा। इससे लोगों की जान खतरे में पढ़ सकती है। साथ ही आईएमए ने यह भी कहा कि इस बिल में कम्युनिटी हेल्थ प्रोवाइडर शब्द को ठीक से परिभाषित नहीं किया है। जिससे अब नर्स, फार्मासिस्ट और पैरामेडिक्स आधुनिक दवाओं के साथ प्रैक्टिस कर सकेंगे और वह इसके लिए प्रशिक्षित नहीं होते हैं।अब खबरों के साथ पायें जॉब अलर्ट, जोक्स, शायरी, रेडियो और अन्य सर्विस, डाउनलोड करें जागरण एपPosted By: Ayushi Tyagi
Source: Dainik Jagran August 02, 2019 05:22 UTC