अमेरिका में 6 भारतीय कॉल सेंटर्स का फर्जीवाड़ा: बुजुर्गों को निशाना बनाकर हड़पे 41 करोड़ रुपए, डरा-धमका कर वसूली की - News Summed Up

अमेरिका में 6 भारतीय कॉल सेंटर्स का फर्जीवाड़ा: बुजुर्गों को निशाना बनाकर हड़पे 41 करोड़ रुपए, डरा-धमका कर वसूली की


Hindi NewsInternationalAmerica Georgia 6 Indian Call Centers Did 41 Crore Rupees By Fraudअमेरिका में 6 भारतीय कॉल सेंटर्स का फर्जीवाड़ा: बुजुर्गों को निशाना बनाकर हड़पे 41 करोड़ रुपए, डरा-धमका कर वसूली कीजॉर्जिया एक दिन पहलेकॉपी लिंकभारतीय कॉल सेंटरों से फोन कॉल कर कई अमेरिकी बुजुर्गों से लगभग 41 करोड़ रुपए हड़पने पर अमेरिका में पहली बार फ्रॉड (धोखाधड़ी) का केस दर्ज हुआ है। अमेरिकी जांच एजेंसियों ने लंबी जांच के बाद भारत से संचालित छह कॉल सेंटरों पर मुकदमा दायर किया है। जॉर्जिया के डिस्ट्रिक्ट अटाॅर्नी कर्ट एरस्काइन ने बताया कि भारतीयों कॉल सेंटरों से कॉल करके ज्यादातर बुजुर्ग अमेरिकियों को निशाना बनाया गया। फर्जी कॉल के जरिए बुजुर्गों से उनकी जिंदगी भर की कमाई हड़प ली गई।फर्जी रोबोकॉल से अपना सबकुछ गंवा चुके कई बुजुर्गों को मानसिक अवसाद भी झेलना पड़ा है। कई बुजुर्गों की पेंशन राशि में भी सेंध लगाई गई। फ्रॉड करने वाले कई बार इन बुजुर्गों को डरा-धमका कर वसूली भी करते थे। 2018 में ये मामले सामने आए थे। अटॉर्नी एरस्काइन ने कोर्ट में बताया कि इस प्रकार के कॉल सेंटर फ्रॉड से कई अमेरिकियों में भारत और भारतीयों के बारे में गलत छवि भी बन गई है।लोन देने के नाम पर झांसा, अकाउंट से रकम कर देते थे साफभारतीय कॉल सेंटरों से अमेरिकियों को फोन कॉल किया जाता था। इसमें कॉलर खुद को फाइनेंस कंपनी से बताकर लोन का ऑफर देता था। इससे पहले कॉलर पीड़ित को लोन चुकाने की क्षमता साबित करने के लिए पहले फीस जमा करने को कहता था। इसके लिए कॉलर पीड़ित का बैंक अकाउंट नंबर पूछता था। इस प्रक्रिया को ऐसा बनाया जाता था कि पीड़ित को लगा था कि उसका लोन पास हो रहा है।पीड़ित को कहा जाता था कि अब वो वायर ट्रांसफर या फिर गिफ्ट कार्ड से फंड को कॉलर के बताए गए अकाउंट में डाले। जैसे ही वायर ट्रांसफर की प्रक्रिया पूरी होती थी, पीड़ित के अकाउंट से उसकी पूरी रकम साफ हो जाती थी। चंद मिनटों में इस धोखाधड़ी को अंजाम दिया जाता था।वीओआईपी से कॉल, ऐसे में कॉल ट्रेसिंग करना मुश्किलभारतीय कॉल सेंटरों से अमेरिका में की जाने वाली कॉल वीओआईपी से की जाती थीं। ऐसे में सभी कॉल फॉरवर्ड होती थीं। इससे कॉल के ओरिजन के बारे में अमेरिका में पीड़ितों को पता ही नहीं चला पाता था। यानी वे ये समझ ही नहीं पाते थे कि कॉल उनके देश यानी अमेरिका से आ रही है या दूसरे देश से। ऐसे में पीड़ित आसानी से अपने बैंक अकाउंट की जानकारी उन्हें देते थे।खुद को सरकारी कर्मचारी बता टैक्स की मांग करते थेकॉल सेंटरों से कॉल करने वाले अमेरिकी उच्चारण से फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते थे। वे खुद को सरकारी कर्मचारी या टैक्स अधिकारी बताकर पीड़ित से उसका सोशल सिक्योरिटी नंबर मांगते थे। साथ ही अकांउट की डिटेल हासिल कर टैक्स के रूप में रकम भरने को कहते थे। टैक्स के रूप में बड़ी रकम नहीं भरने की सूरत में पीड़ित को कानूनी कार्रवाई की धमकी देते थे।इन BPO के खिलाफ दर्ज हुआ केसगौरव गुप्ता की बीपीओ ई-संपर्क से भी अमेरिकियों के साथ ऐसी धोखाधड़ी हो चुकी है। अब मनु चावला की अचीवर्स सॉल्यूशन, सुशील सचदेवा की फिनटॉक ग्लोबल, दिनेश की ग्लोबल, गजेसिंह की शिवाय लि., संकेत मोदी की टेक्नोमाइन और राजीव सोलंकी की टेक्नोमाइंड कॉल सेंटरों के खिलाफ फ्रॉड के मामले अमेरिका में पहली बार दर्ज किए गए हैं।


Source: Dainik Bhaskar February 14, 2022 05:31 UTC



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