वर्ष 1930 में स्विटजरलैंड के खगोलशास्त्री फ्रिट्ज जविकी ने एक बात गौर की। वह यह कि दूर ब्रह्मांड में आकाशगंगाओं का एक झुंड एक दूसरे की परिक्रमा कर रहा है। परिक्रमा में असाधारण बात यह थी कि उनका जितना वजन दिख रहा था, उसके मुकाबले कई गुना ज्यादा उनकी परिक्रमा की रफ्तार थी। इस गुत्थी को सुलझाने के लिए उन्होंने विचार व्यक्त किया कि कोई चीज है जो इन आकाशगंगाओं की ओर गुरुत्वाकर्षण बल की मदद से खिंच रही है। उन चीजों को उन्होंने डार्क मैटर कहा। फिर शोधकर्ताओं ने इस बात की पुष्टि की कि पूरे ब्रह्मांड में इस तरह की रहस्यमय चीजें हैं। उन्होंने बताया कि तारे और इंसान जिन साधारण चीजों से मिलकर बने हैं, उनकी तुलना में ये डार्क मैटर हमारे ब्रह्मांड में छह गुना ज्यादा है। पूरे ब्रह्मांड में डार्क मैटर की उपस्थिति का दावा करने के बाद भी वैज्ञानिक इससे जुड़े कुछ रहस्यों को लेकर हैरान हैं।डार्क मैटर की खासियतें क्या हैं? आम पदार्थों के गुण पता हैं लेकिन डार्क मैटर के गुण को लेकर अब तक खगोलशास्त्री किसी ठोस नतीजे पर नहीं पहुंचे हैं। कुछ थ्योरियों के मुताबिक, डार्क मैटर के पार्टिकल्स का अपना खुद का ऐंटि पार्टिकल्स होगा जिसका मतलब है कि जब डार्क मैटर के दो पार्टिकल्स आपस में मिलते होंगे तो एक-दूसरे को तबाह कर देते होंगे। लेकिन अब तक इसका भी कोई ठोस प्रमाण नहीं मिला है।क्या डार्क मैटर ऐक्सियन से बना है? कुछ थ्योरियों में माना जाता है कि डार्क मैटर ऐक्सियन नाम के पार्टिकल से बने होंगे। उसका वजन प्रोटॉन के वजन से 1031 गुना कम होगा। कुछ प्रयोगों में ऐक्सियन को खोजने की कोशिश की जा रही है।डार्क मैटर कोई खास बल महसूस करता है? सामान्य चीजों के बीच फोटोन के आदान-प्रदान से इलेक्ट्रोमैग्नेटिक फोर्स उत्पन्न होता है जिसे आम चीजें महसूस करती हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या डार्क मैटर भी इस तरह का कोई बल महसूस करते हैं।क्या डार्क मैटर में एक से ज्यादा कण हैं? सामान्य चीजें प्रोटॉन और इलेक्ट्रॉन जैसे कणों से मिलकर बनी हैं। शोधकर्ताओं का मानना है कि डार्क मैटर जो हमारे ब्रह्मांड का 85 फीसदी है, उसकी भी रचना जटिल होगी। इसलिए यह मान लेना उचित नहीं है कि डार्क मैटर किसी एक कण से मिलकर बना है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि फिर आखिर वे कौन से कण हैं जिससे मिलकर डार्क मैटर बना है। ये गुत्थी भी अब तक नहीं सुलझी है।क्या हम डार्क मैटर का पता लगा सकते हैं?
Source: Navbharat Times March 29, 2020 05:15 UTC