बिना कंट्रोल और बिना प्री-प्रेशर के अगर यूरिन की समस्या किसी भी व्यक्ति के साथ हो तो उसके लिए स्थिति बहुत ही असहज करनेवाली हो जाती है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि देश में इस तरह की बीमारी से 10 से 68 प्रतिशत लोग परेशान हैं। आमतौर पर हर महिला को अपनी युवावस्था के दौरान इस तरह की समस्या से गुजरना पड़ता है जबकि पुरुषों में इस बीमारी का स्तर कम है लेकिन पुरुष भी इस बीमारी से प्रभावित होते हैं।हमारे शरीर में यूरिन को ब्लेडर में स्टोर करने का काम स्फिंक्टर मसल्स की मदद से होता है और फिर स्फिंक्टर मसल्स इस कलेक्टिव यूरिव को होल्ड करके रखती हैं। यूरिन पास करते सयम ब्लेडर की मसल्स सिकुड़ जाती हैं और यूरेट्रा के माध्यम से यूरिन पास हो जाता है। लेकिन कुछ शारीरिक और मानसिक समस्याओं के कारण जब ब्लेडर और यूरेट्रा की मसल्स यूरिन को स्टोर करने का काम ठीक ढंग से नहीं कर पातीं और लूज हो जाती हैं तो ना चाहते हुए भी अचानकर यूरिन पास होने की समस्या हो जाती है।यूरिन पर कंट्रोल ना रहने के मुख्य कारणों में स्पेशलिस्ट्स पुरानी खांसी, प्रोस्टेट ग्लैंड डिस्फंक्शन न्यूरॉलजिकल इंपेयरमेंट्स को मानते हैं। खासबात यह है कि प्रेग्नेंसी के बाद महिलाओं में इस तरह की दिक्कत होना बेहद आम होता है। सामान्य तौर पर भी महिलाओं का शरीर इस समस्या को लेकर बेहद संवेदनशील होता है।-तनाव में असंयम-उत्तेजना पर असंयम-मिश्रित असंयम-ओवरफ्लो असंयम-क्रियात्मक असंयम-नियंत्रण असंयमपेल्विक फ्लोर मसल्स को मजबूत करने के लिए एक्सर्साइज की जा सकती हैं। इसके लिए खास एंटी-इनकंटेंस एक्सर्साइज को डिजाइन किया जाता है। इनका अभ्यास वजाइनल कोन, बायोफीडबैक चिकित्सा या विद्युत उत्तेजना के साथ किया जा सकता है।कीगल एक्सर्साइज पेल्विक मसल्स को सिकोड़कर पेल्विक फ्लोर की मांसपेशियों को कसने और टोन करने का काम करती है, जिससे यूरिन कंट्रोल करने में मदद मिलती है। लेकिन अगर स्थिति ज्यादा खराब होती है तो डॉक्सर्ट शुरुआत में हाइड्रोफिलिक पॉलीयूरेथे टैंपॉन्स या अन्य तरीकों को अपनाते हैं और स्थिति नियंत्रण में आने के बाद एक्सर्साइज की सलाह देते हैं।
Source: Navbharat Times November 18, 2019 07:07 UTC