smart varanasi: स्‍मार्ट वाराणसी में मेट्रो की जगह रोप-वे और जल परिवहन - ropeway and water transportation to start in varanasi - News Summed Up

smart varanasi: स्‍मार्ट वाराणसी में मेट्रो की जगह रोप-वे और जल परिवहन - ropeway and water transportation to start in varanasi


स्‍मार्ट सिटी बनने की ओर कदम बढ़ा चुके वाराणसी शहर में सुगम यातायात के लिए पब्लिक ट्रांसपोर्ट प्‍लेटफॉर्म तैयार करने पर काम शुरू हो गया है। इसमें मेट्रो और मोनो रेल की जगह शहर में रोप-वे और गंगा-वरुणा में जल परिवहन पर जोर है। रोप-वे के लिए प्रस्‍तावित तीन रूट पर सर्वे कराया जाएगा।शहर में सुगम बहुआयामी यातायात प्रबंधन पर वाराणसी मंडल के कमिश्‍नर दीपक अग्रवाल की अध्‍यक्षता में हुई बैठक में मेट्रो का डीपीआर तैयार करने वाली कार्यदायी संस्‍था रेल इंडिया टेक्निकल और इकॉनमिक सर्विसेज (राइट्स) की ओर से रोप-वे तथा जल परिवहन सेवा पर जोर दिया गया। राइट्स की प्रतिनिधि विशाखा ने कहा कि पुरानी काशी में जमीन मिलने की समस्‍या के साथ न तो तोड़फोड़ संभव है और न ही ड्रिलिंग करना। ऐसे में सबसे बेहतर विकल्‍प रोप-वे होगा। उन्होंने बताया कि दस सीटर रोप-वे चलाने के प्रॉजेक्‍ट पर खर्च भी कम आएगा। रोप-वे के लिए पहला रूट शिवपुर से कचहरी सिगरा, रथयात्रा होते हुए लंका, दूसरा कचहरी से लहुराबीर, मैदागिन, गोदौलिया होते हुए लंका तथा तीसरा रूट लहरतारा से नरिया होते हुए बीएचयू तक सुझाया गया है।राइट्स के प्‍लान में सबसे ज्‍यादा जोर गंगा एवं वरुणा में जल परिवन की व्‍यवस्‍था शुरू करने की है। इससे पर्यटन के विस्‍तार के साथ ही आवागमन में काफी सुविधा होगी। इसके अलावा वरुणा के दोनों रिवर फ्रंट पर रोप-वे तथा शहर के पुराने और नए हिस्‍से को जोड़ने वाले बाबतपुर एयरपोर्ट से रेलवे स्‍टेशन होते हुए बीएचयू तक के कॉरिडोर में ही मेट्रो संचालन की बात कही गई है। राइट्स ने शहर के अंदर फीडर बस सर्विस चलाने और मेट्रो स्‍टेशन तक पहुंचने के लिए बस का इस्‍तेमाल करने का सुझाव दिया है। शहर के कुछ मार्गों पर किसी एक परिवहन व्‍यवस्‍था तथा सकरी सड़कों पर केवल छोटे वाहन चलने की अनुमति दिए जाने की सलाह दी है।कमिश्‍नर ने राइट्स से आगामी बैठक में रोप-वे, लाइट मेट्रो और मेट्रो प्रॉजेक्‍ट पर आने वाले खर्च का ब्‍यौरा पेश करने का निर्देश दिया। विकास प्राधिकरण के उपाध्‍यक्ष राजेश कुमार ने वैकल्पिक परीक्षण रिपोर्ट में पॉड टैक्‍सी की भी फिजिबिलिटी रिपोर्ट तैयार करने को कहा। सभी संभावित प्रॉजेक्‍ट के खर्च की तुलनात्‍मक रिपोर्ट आने पर परीक्षण के बाद इसे सरकार के पास भेजा जाएगा।बता दें कि मेट्रो प्रॉजेक्‍ट तैयार करने पर चार करोड़ रुपये खर्च हो चुके हैं पर कागजी कार्रवाई भी पूरी नहीं हो सकी है। पिछली सरकार में राइट्स ने 17 हजार करोड़ की लागत से 29.4 किलोमीटर में दो कॉरिडोर प्रस्‍तावित किए थे। 2016 में यूपी सरकार ने डीपीआर को केंद्र सरकार के पास भेजा, लेकिन स्‍वीकृत नहीं हुआ। अक्‍टूबर 2017 में नई मेट्रो पॉलिसी बनने के बाद केंद्र ने डीपीआर संशोधित करने का निर्देश दिया। तब से अब तक यह ही तय नहीं हो सका है कि मेट्रो चलाई जाए या फिर मोनो रेल, रोप-वे या पॉड टैक्‍सी।


Source: Navbharat Times June 11, 2019 13:41 UTC



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