sheila dikshit who transforms delhi: दिल्ली के 10 बड़े काम, जिनके लिए हमेशा याद रखी जाएंगी शीला दीक्षित - 10 major works of shiela dikshit to tranform delhi - News Summed Up

sheila dikshit who transforms delhi: दिल्ली के 10 बड़े काम, जिनके लिए हमेशा याद रखी जाएंगी शीला दीक्षित - 10 major works of shiela dikshit to tranform delhi


हाइलाइट्स शीला दीक्षित को राजधानी दिल्ली की सूरत बदल देने वाली नेता के तौर पर हमेशा याद किया जाएगाशीला दीक्षित ने दिल्ली में आधुनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर का निर्माण किया, फ्लाइओवरों का जाल बिछाया15 साल तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं शीला के कार्यकाल में ही दिल्ली मेट्रो शुरू हुई और आगे बढ़ीतमाम विरोधों को दरकिनार कर शीला दीक्षित ने सीएनजी को प्रमोट किया, DTC से डीजल बसों को हटायादिल्ली की लगातार 15 सालों तक मुख्यमंत्री रहीं शीला दीक्षित को राष्ट्रीय राजधानी की सूरत बदलने का श्रेय जाता है। उन्हें आधुनिक दिल्ली का शिल्पी कहा जा सकता है। दिल्ली यूनिवर्सिटी के मिरांडा हाउस से हिस्ट्री में ग्रैजुएट शीला दीक्षित ने जब यूपी से 1984 में राजनीति में कदम रखा तो किसी ने भी नहीं सोचा होगा कि वह एक दिन दिल्ली और दिल्लीवासियों के दिलों पर राज करेंगी। कांग्रेस ने उन्हें 1998 में उस वक्त दिल्ली प्रदेश की कमान दी जब राजधानी की राजनीति में मदनलाल खुराना, साहिब सिंह वर्मा और विजय कुमार मल्होत्रा जैसे बीजेपी के दिग्गज नेताओं का दबदबा था। लेकिन उसके बाद उन्होंने न सिर्फ कांग्रेस को जीत दिलाई बल्कि लगातार जीत हासिल करते हुए 15 सालों तक मुख्यमंत्री रहकर दिल्ली को पूरी तरह बदल दिया। आइए नजर डालते हैं उन 10 बड़े कामों पर जिनकी वजह से हमेशा याद की जाएंगी शीला दीक्षित।दिल्ली में विश्वस्तरीय मेट्रो सेवा का श्रेय 'मेट्रो मैन' ई. श्रीधरन और पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के साथ-साथ अगर किसी और को जाता है, तो वह बेशक शीला दीक्षित ही थीं। उन्हीं की देन थी कि दिल्ली में मेट्रो का तेजी से विस्तार हुआ। दिल्ली मेट्रो का निर्माण 1998 में शुरू हुआ और दिसंबर 2002 में पहली बार दिल्ली इस आधुनिक ट्रांसपोर्ट का गवाह बनी। आज करीब 350 किलोमीटर लंबे नेटवर्क के साथ दिल्ली मेट्रो दुनिया की टॉप 10 मेट्रो सर्विसेज में शुमार है।शीला दीक्षित 1998 से 2013 तक लगातार 15 सालों तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं। इस दौरान उन्होंने राजधानी में आधुनिक इन्फ्रास्ट्रक्चर का निर्माण किया। दिल्ली में जगह-जगह फ्लाइओवरों का जाल उन्हीं की देन है। उनके कार्यकाल में दिल्ली में करीब 70 फ्लाइओवरों का निर्माण हुआ। उन्हीं के कार्यकाल में रिंग रोड को सिग्नल फ्री करने के लिए फ्लाइओवर बनाए गए। 'काम बोलता है' का दिल्ली में शीला दीक्षित के कार्यकाल से बेहतर कोई मिसाल नहीं मिल सकती।सिग्नेचर ब्रिज को लेकर जब लोगों ने कहा कि इतना पैसा खर्च करने की बजाए यहां सामान्य पुल बनाया जाए। इस पर शीला ने कहा था कि यमुनापार में ऐसा कुछ होना चाहिए, जिसकी पहचान हो।(सिग्नेचर ब्रिज के लिए चल रहे काम का मुआयना करतीं शीला दीक्षित)शीला दीक्षित ने अपने कार्यकाल में दिल्ली के पब्लिक ट्रांसपोर्ट में आमूल-चूल बदलाव किया। मेट्रो के साथ-साथ उन्होंने सड़क परिवहन पर काफी ध्यान दिया। प्रदूषण और अराजकता का पर्याय बन चुकीं ब्लू लाइन बसों को उन्होंने ही दिल्ली की सड़कों से बाहर किया, जो बड़ी चुनौती थी। इसके लिए उन्होंने दिल्ली ट्रांसपोर्ट कॉर्पोरेशन (DTC) के बेड़े में सीएनजी से चलने वाली बसों को शुरू किया। आज डीटीसी स्वच्छ ईंधन से चलने वाली दुनिया की सर्वश्रेष्ठ बस सेवाओं में से एक का संचालन करता है।शीला दीक्षित की खासियत यह थी कि वह दिल्ली के लिए जो भी कार्य करतीं, उनमें डिजाइन से लेकर हर छोटी बड़ी चीज को खुद पसंद करतीं। जब कॉमनवेल्थ गेम्स के लिए बसें खरीदने की बात आई तो उन्होंने आगे बढ़कर एसी बसों की वकालत की। उन्होंने उन बसों का चेरी कलर भी पसंद करके कहा कि जिस तरह लंदन में बसें चलती हैं, वैसी दिल्ली में भी नजर आनी चाहिए। तब विरोध किया गया कि दिल्ली में एसी बसों की बजाय सामान्य बसें लाई जाएं, लेकिन उनका कहना था कि दिल्ली वाले भी एसी बसों में सफर के हकदार हैं।शीला दीक्षित की दूरदर्शिता का अंदाजा दिल्ली में स्वच्छ ईंधन को बढ़ावा देने के उनके फैसले से भी लगाया जा सकता है। उनके इस तरह के फैसलों के पीछे सुप्रीम कोर्ट के कुछ अहम आदेश भी थे। शीला दीक्षित ने तमाम विरोधों को दरकिनार कर पब्लिक ट्रांसपोर्ट के लिए डीजल के बजाय सीएनजी से चलने वाली बसों को उतारने का कड़ा फैसला किया। आज दिल्ली में प्रदूषण एक गंभीर समस्या है। अंदाजा लगा सकते हैं कि अगर शीला दीक्षित ने सीएनजी को प्रमोट नहीं किया होता तो प्रदूषण की समस्या कितनी विकराल होती।(दिल्ली में फूड सिक्यॉरिटी स्कीम लॉन्च करतीं शीला दीक्षित)वैसे तो 2010 के कॉमनवेल्थ गेम्स की चर्चा भ्रष्टाचार को लेकर ज्यादा होती है। लेकिन कम समय के बावजूद गेम्स के विश्वस्तरीय आयोजन का श्रेय शीला दीक्षित को ही जाता है। कॉमनवेल्थ गेम्स को शीला ने दिल्ली में इन्फ्रास्ट्रक्चर को आधुनिक बनाने के मौके के रूप में भी देखा और इसमें वह कामयाब भी हुईं। हालांकि, कॉमनवेल्थ गेम्स ही उनके राजनीतिक पतन का भी जिम्मेदार रहा।दिल्ली में हरियाली के लिए शीला दीक्षित ने गंभीरता से काम किया। पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए शीला दीक्षित ने न सिर्फ दिल्ली की हरियाली को संरक्षित किया, बल्कि उसका दायरा बढ़ाने के लिए भी काम किया। वह खुद दिल्ली में हरियाली को अपनी 3 बड़ी उपलब्धियों में शुमार करती थीं।शीला दीक्षित ने गवर्नेंस के लिए सीधे जनता की भागीदारी को काफी महत्व दिया। उन्होंने 'भागीदारी' सिस्टम के जरिए सरकार और जनता को जोड़ने की कोशिश की।शीला दीक्षित ने दिल्ली में स्कूलों की स्थिति में सुधार और लड़कियों की शिक्षा के लिए काफी प्रयास किए। लड़कियों को स्कूल में लाने के लिए उन्होंने सैनिटरी नैपकिन बंटवाए।केंद्रशासित दिल्ली में शीला दीक्षित ने जिस समन्वय के साथ केंद्र के साथ काम किया, वह हमेशा याद किया जाएगा। यह कोई कम उपलब्धि नहीं है कि उनके पूरे कार्यकाल में कभी 'दिल्ली बनाम केंद्र' की चर्चा तक नहीं हुई। यह उनके सियासी हुनर के साथ-साथ 'समन्वय की राजनीति' का श्रेष्ठ उदाहरण है। ध्यान रहे कि 1998 से 2004 तक केंद्


Source: Navbharat Times July 21, 2019 04:26 UTC



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