new year challenges: 2020 के सामने इकॉनमी से जुड़े कई सवाल, क्या हो सकते हैं इनके जवाब? - challenges for economy in year 2020 - News Summed Up

new year challenges: 2020 के सामने इकॉनमी से जुड़े कई सवाल, क्या हो सकते हैं इनके जवाब? - challenges for economy in year 2020


हाइलाइट्स नए साल 2020 में स्लोडाउन से उबरने के आसार तो कम हैं, लेकिन ग्रोथ में थोड़ी तेजी आ सकती हैपर्सनल इनकम टैक्स में यदि कटौती होती है तो ग्राहक खर्च बढ़ा सकते हैंरेवेन्यू बढ़ता है तो जीएसटी सुधार हो सकते हैं लेकिन इनकम टैक्स के स्तर पर बदलाव की गुंजाइश कम हैअप्रैल 2020 के बाद लोन सस्ते होने की गुंजाइश बनती दिख रही हैहमारे सामने कई सवाल छोड़कर चला गया है। ET ने 10 ऐसे बड़े और अहम सवाल चुने हैं और बताया है कि इनके जवाब 2020 में किस तरह सामने आ सकते हैं जिनसे निकट भविष्य में भारतीय अर्थव्यवस्था की राह तय हो सकती है। आइए जानें क्या हैं ये सवाल और क्या हो सकते हैं जवाब।इकॉनमी की रफ्तार छह साल के निचले स्तर पर जा चुकी है और राहत देने वाले इक्का-दुक्का आंकड़ों के अलावा ऐसी कोई बात नहीं दिख रही है, जिससे रिकवरी की राह बनने का पता चलता हो। इसकी वजह यह है कि कन्जम्पशन, इन्वेस्टमेंट्स और एक्सपोर्ट्स सहित इकॉनमी के तीनों मुख्य स्तंभ किसी न किसी वजह से चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। एक्सपोर्ट्स ग्लोबल डिमांड पर निर्भर है, जिसमें कमजोरी दिख रही है। वहीं इन्वेस्टमेंट्स को भी कई मसलों का सामना करना पड़ रहा है। लिहाजा इकनॉमिक रिकवरी काफी हद तक इस पर निर्भर करेगी कि कन्ज्यूमर्स क्या करेंगे। क्या नया साल सेंटिमेंट में ऐसा बदलाव लाएगा, जिससे कंज्यूमर खर्च बढ़ा सकेंगे, जिसके कारण कॉरपोरेट प्रॉफिट में बढ़ोतरी होगी, निवेश का हौसला बढ़ेगा और अंतत: ग्रोथ रफ्तार पकड़ेगी? पहली तो इस बात से कि इकनॉमी संभवत: गिरावट का निचला स्तर छूकर वापसी की राह पर है और जल्द ही यह सुस्त रफ्तार से ही सही, बेहतर होने की दिशा में बढ़ सकती है। इससे इस साल जॉब्स के मोर्चे पर दिखी परेशानी कम हो सकती है। दूसरी बात यह है कि कंस्ट्रक्शन सेक्टर को रिवाइव करने की सरकार की कोशिशों से फर्क पड़ सकता है। तीसरी बात यह है कि अमेरिका-चीन व्यापार विवाद के नरम पड़ने से ग्लोबल ट्रेड में रिकवरी हो सकती है। इससे इंडियन एक्सपोर्ट्स को कुछ मदद मिल सकती है। चौथी बात यह है कि बैंकिंग-NBFC क्राइसिस का समाधान शुरू हो सकता है, जिससे कर्ज की उपलब्धता बेहतर होगी, डिमांड बढ़ेगी और इनवेस्टमेंट्स को बढ़ावा मिलेगा। बजट में भी सेंटिमेंट मजबूत करने के लिए कुछ राजकोषीय उपाय किए जा सकते हैं।फाइनैंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण ने 20 सितंबर को कॉर्पोरेट टैक्स रेट में बड़ी कमी कर सबको हैरान कर दिया था। क्या वह आगामी बजट में ऐसा ही काम पर्सनल इनकम टैक्स के मामले में करेंगी और बिना एग्जेम्पशन के फ्लैट टैक्स रेट का ऐलान करेंगी? क्या वह GST 2.0 की ओर बढ़ने के लिए गुड्स ऐंड सर्विसेज टैक्स में बदलाव का कदम बढ़ाएंगी? क्या वह जीएसटी को टू रेट स्ट्रक्चर पर शिफ्ट करेंगी? या वे इस बार कुछ ज्यादा ही धीरज दिखा रहे हैं?


Source: Navbharat Times January 01, 2020 03:55 UTC



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