इक्विटी F & O क्या होता है? इक्विटी मार्केट में कैश सेगमेंट यानी हाजिर बाजार और एक डेरिवेटिव्स सेगमेंट यानी वायदा बाजार होता है। वायदा बाजार को ही F & O सेगमेंट कहा जाता है। क्या F & O सेगमेंट के डेरिवेटिव्स की वैल्यू कैश सेगमेंट से तय होती है? डेरिवेटिव्स को उनके नाम के मुताबिक ही अंडरलाइंग इंस्ट्रूमेंट से वैल्यू हासिल होती है। हम इक्विटी F & O की बात कर रहे हैं तो इसमें अंडरलाइंग इंडेक्स निफ्टी और सेंसेक्स के अलावा कैश सेगमेंट के चुनिंदा स्टॉक्स भी होते हैं। यानी निफ्टी का F & O डेरिवेटिव निफ्टी फ्यूचर्स होगा? जी हां। F & O में न सिर्फ इंडेक्स के फ्यूचर कॉन्ट्रैक्ट, बल्कि ऑप्शंस भी होते हैं। चुनिंदा स्टॉक्स के फ्यूचर्स और ऑप्शंस, दोनों डेरिवेटिव्स होते हैं। हालांकि ऐसा नहीं है कि सभी स्टॉक ऑप्शंस में बड़े पैमाने पर ट्रेडिंग होती हो। अधिकांश गतिविधियां इंडिविजुअल स्टॉक फ्यूचर्स में होती हैं। फ्यूचर्स और ऑप्शंस कॉन्ट्रैक्ट्स क्या होते हैं? NSE और BSE, दोनों ही कैश सेगमेंट के अलावा स्टॉक और कमोडिटी डेरिवेटिव्स में ट्रेडिंग फैसिलिटी ऑफर करते हैं। MCX, NCDEX और ICEX पर कमोडिटी डेरिवेटिव्स में ट्रेडिंग होती है।NSE और BSE, दोनों ही कैश सेगमेंट के अलावा स्टॉक और कमोडिटी डेरिवेटिव्स में ट्रेडिंग फसिलिटी ऑफर करते हैं। आइए जानें, डेरिवेटव मार्केट के बारे में हर बात।
Source: Navbharat Times January 01, 2020 08:03 UTC