economy: विदेशी कंपनियों को चीन से भारत लाने और व्यापार घाटा कम करने के लिए मोदी सरकार की रणनीति तैयार - indian strategy ready for attracting foreign companies looking to exist china - News Summed Up

economy: विदेशी कंपनियों को चीन से भारत लाने और व्यापार घाटा कम करने के लिए मोदी सरकार की रणनीति तैयार - indian strategy ready for attracting foreign companies looking to exist china


भारत ने चीन के बाजार में अपने कृषि उत्पादों की पहुंच बढ़ाने और दवाओं के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए रणनीति तैयार कर ली है। साथ ही, उसने अमेरिका तथा चीन के बीच ट्रेड वॉर के मद्देनजर चीन से अपने मैन्युफैक्चरिंग बेस को हटाने की इच्छा रखने वाली विदेशी कंपनियों को लुभाने के लिए एक ठोस रणनीति को भी अमली जामा पहनाया गया है। विभाग द्वारा तैयार किए गए रणनीतिक दस्तावेज को केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु को सौंप दिया गया है।केंद्रीय वाणिज्य विभाग के रणनीतिक दस्तावेज का उद्देश्य चीन के साथ व्यापार घाटे को कम करना, इलेक्ट्रॉनिक्स, टेलिकॉम, इलेक्ट्रिकल इक्विपमेंट और फार्मास्यूटिकल्स के आयात का विकल्प तलाशने के लिए क्षेत्रवार रणनीति तैयार करना है। चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा वित्त वर्ष 2018 में रेकॉर्ड 63.04 अरब डॉलर रहा है।सितंबर 2017 में मंत्रालय का कार्यभार ग्रहण करने के बाद ही प्रभु चीन के साथ व्यापार घाटे को कम करने को लेकर रणनीति तैयार करने के लिए खुद दिशा-निर्देश देने का काम कर रहे थे। इस रणनीति का उद्देश्य चीन को निर्यात बढ़ाना और लोकल मैन्युफैक्चरिंग के जरिये आयात कम करना है।टेलिकॉम इंडस्ट्री के विचारों का हवाला देते हुए दूरसंचार विभाग ने कहा कि चीन भारतीय कंपनियों के साथ कई तरह के भेदभाव करता है और उनके खिलाफ प्रतिबंध लगाता है। उद्योग ने प्रिंटेड सर्किट बोर्ड और कैमरा मॉड्यूल की लोकल मैन्युफैक्चरिंग तथा क्षेत्र के लिए एक रिसर्च ऐंड डेवलपमेंट फंड तैयार करने का सुझाव दिया है।सोलर पावर के मामले में विभाग ने कहा है कि भारत को प्रतिस्पर्धी बोलियों के जरिये 'रिंगफेंस गवर्नमेंट प्रोक्योरमेंट' तथा पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप मोड में यहां प्लांस सेटअप करने की जरूरत है।ऑटो कंपोनेंट्स के लिए दस्तावेज में कहा गया है कि यूरोपिय संघ तथा अमेरिकी गुणवत्ता को टक्कर देने वाले स्टैंडर्ड और कॉमन टेस्टिंग फैसलिटिज की स्थापना से स्थानीय उत्पादन को मजबूती मिलेगी।दस्तावेज के मुताबिक, 'अपनी व्यापक आबादी के साथ भारत चीन से अपना मैन्युफैक्चरिंग बेस हटाने की इच्छा रखने वाली कंपनियों के लिए अच्छा गंतव्य है। साथ ही, भारत में निर्माण को बढ़ाने को लेकर मैन्युफैक्चरिंग यूनिट लगाने की इच्छा रखने वाली चीनी कंपनियों के लिए भी यह बढ़िया जगह है।' इलेक्ट्रॉनिक्स, कंज्यूमर अप्लायंसेज, कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स, टेक्सटाइल्स, हेल्थकेयर इक्विपमेंट और हेवी इंडस्ट्री जैसे क्षेत्रों की कंपनियां अपनी मैन्युफैक्चरिंग इकाई चीन से हटाकर भारत में लगा सकती हैं।दस्तावेज एशिया पैसिफिक ट्रेड अग्रीमेंट (सात एशियाई देशों के बीच एक समझौता) में टैरिफ में कमी और प्रस्तावित आरसीईपी के जरिये निर्यातकों को समर्थन प्रदान करता है। विभाग के मुताबिक, चीन में भारतीय औषधी कंपनियों को नियामकीय बाधाएं सहनी पड़ती हैं और उन्हें ड्रग रजिस्ट्रेशन के लिए लंबे समय तक इंतजार करना पड़ता है। उन्हें रजिस्ट्रेशन के वक्त विस्तृत रूप से क्लिनिकल ट्रायल डेटा सौंपने और ड्रग फॉर्म्यूलेशन प्रॉसेस का खुलासा करने के लिए कहा जाता है।इस मामले में मंत्रालय भारत तथा चीन के खाद्य एवं औषधि प्रशासन के बीच एक इंटरफेस बनाने पर विचार करेगा। इसका उद्देश्य रेग्युलेटरी स्टैंडर्ड्स तथा चीन में डॉजियर्स फाइलिंग की प्रक्रिया पर नियमित रूप से ट्रेनिंग प्रोग्राम करना तथा प्रॉडक्ट रजिस्ट्रेशन में अभी लगने वाले 3-5 साल के वक्त को घटाकर एक साल पर लाना होगा।


Source: Navbharat Times May 25, 2019 04:54 UTC



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