हाईकोर्ट ने निचली अदालत के आदेश को निरस्त करते हुए कहा कि सिर्फ अंतिम बार अभियुक्त और पीड़िता को एक साथ देखा जाना दोष सिद्धि के लिए काफी नहीं है। इसके अलावा अभियुक्त के इस अपराध में संलिप्तता के संबंध में कुछ और साक्ष्य भी जरूरी है।राज्य ब्यूरो, रांची। Jharkhand High Court: झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस आर मुखोपाध्याय व जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ ने राजमहल में छह वर्षीय बच्ची के साथ दुष्कर्म के बाद हत्या मामले में फांसी की सजा पाए राहत शेख उर्फ कलुआ को बरी कर दिया है।तीन-चार लोगों ने अभियुक्त को उस बच्ची को ले जाते देखा था। इसके अलावा घटना का समय एवं नाबालिग की लाश मिलने के समय का उल्लेख भी नहीं किया गया है।आरोपी की परिवार से नहीं थी दुश्मनीअभियुक्त और मृतका के परिवार के बीच सौहार्दपूर्ण संबंध थे। उसकी उनसे कोई दुश्मनी भी नहीं थी। आरोपित प्रतिदिन बच्ची को घुमाने साथ ले जाता था और उसके पास बच्ची की हत्या का कोई उद्देश्य नहीं था।राजमहल के पॉक्सो की विशेष अदालत ने राहत शेख को एक दिसंबर 2022 को दोषी करार दिया था और 12 दिसंबर 2022 को उसे फांसी की सजा सुनाई थी। सरकार ने फांसी की सजा को कंफर्म कराने एवं पॉक्सो की अदालत के आदेश के खिलाफ प्रार्थी राहत शेख ने हाईकोर्ट में अपील दाखिल की थी।12 गवाहों का हुआ परीक्षणनिचली अदालत में सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने अनुसंधानकर्ता समेत 12 गवाहों का परीक्षण कराया था। घटना के संबंध में बताया गया है कि चार मार्च 2015 को राहत शेख उस बच्ची को शाम पांच बजे घुमाने शिमला पोखर मैदान ले गया था।जब रात सात बजे तक बच्ची नहीं लौटी तो उसके मां-बाप ने खोजबीन शुरू की। इस दौरान कुछ लोगों ने बच्ची के मां-बाप को बताया कि राहत शेख बच्ची को कंधे पर बैठाकर शिमला पोखर मैदान की ओर ले जाते देखा गया है। बच्ची के परिजन शिमला पोखर मैदान पहुंचे थे, जहां बच्ची मृत पाई गई थी। उसके कपड़े भी अस्त- व्यस्त थे। बच्ची के गले में चोट एवं काला निशान था।यह भी पढ़ें -Hemant Soren: चम्पाई सोरेन ने राज्यपाल को सौंपा इस्तीफा, हेमंत ने पेश किया CM बनने का दावाNew Chief Justice: झारखंड हाई कोर्ट के नए चीफ जस्टिस होंगे बीआर सारंगी, एस चंद्रशेखर की लेंगे जगह
Source: Dainik Jagran July 04, 2024 03:31 UTC