Patna News: दांत, जबड़ा और मुंह के कैंसर मरीजों में नई उम्मीद - News Summed Up

Patna News: दांत, जबड़ा और मुंह के कैंसर मरीजों में नई उम्मीद


पटना ब्‍यूरो।दांत, मुंह और जबड़े के कैंसर से जूझ रहे मरीजों के लिए अब इलाज पहले से कहीं अधिक प्रभावी और सुरक्षित हो गया है। मेडिकल साइंस की उन्नत तकनीकों ने न सिर्फ सर्जरी को सफल बनाया है, बल्कि सर्जरी के बाद होने वाला पुनर्वास मरीजों की जिंदगी को नई दिशा दे रहा है। त्रिपोलिया हॉस्पिटल में दंत रोग विभाग के अध्यक्ष और मैक्सिलोफेशियल सर्जन डॉ। प्रतीक आनन्द बताते हैं कि आज कैंसर के इलाज में सर्जरी, कीमोथेरेपी और रेडिएशन थेरेपी का संयुक्त इस्तेमाल बेहद जरूरी है। लेकिन, असली फर्क सर्जरी के बाद किए जाने वाले पुनर्निर्माण (रीकंस्ट्रक्शन) से पड़ता है.डॉ। आनन्द के अनुसार दांत, मुंह और जबड़े के कैंसर की सर्जरी के बाद जबड़े का एक या दोनों हिस्सा कई बार निकालना पड़ता है, जिससे चेहरे की बनावट बिगड़ जाती है। ऐसे में उन्नत तकनीकें-जैसे फेशियल प्रोस्थेसिस, जबड़ा प्रत्यारोपण, बाइट गार्ड प्रोस्थेसिस और पैलेटल ऑबच्युरेटर मरीज के चेहरे की संरचना को संतुलित करती हैं। इनकी मदद से मरीज दोबारा सामान्य रूप से खाना खा और चबा पाते हैं, साफ बोल पाते हैं और आत्मविश्वास भी लौट आता है.वह बताते हैं कि रेडिएशन थेरेपी से पहले दांतों की पूरी जांच और सफाई अनिवार्य है, क्योंकि रेडिएशन के बाद एक साल तक किसी बड़ी डेंटल सर्जरी की अनुमति नहीं होती। इसलिए सड़न वाले दांत, नुकीले दांत या अंदर घुसे अक्ल दांत पहले ही निकाल दिए जाते हैं। जरूरत पड़ने पर आरसीटी, मसाला भराई, फिलिंग और फ्लोराइड एप्लीकेशन भी किया जाता है।कीमोथेरेपी, कीमोसर्जरी के बाद दोनों गाल सिकुड़ने लगते हैं और मुंह का खुलना कम हो जाता है। इसके अलावा जबड़े का जोड़ भी जकड़ जाता है और मरीज ठीक से खाना-पीना भी नहीं कर पाता। ऐसे मामलों में डॉक्टर लेजर से फाइब्रोसिस को तोड़कर जकड़न को कम करते हैं और &जॉ स्ट्रेचर&य की मदद से मुँह का खुलना बढ़ाया जाता है।


Source: Dainik Jagran December 21, 2025 01:46 UTC



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