भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय ने 2017 में याचिका दाखिल की थीइसमें केंद्र-राज्य सरकारों को घुसपैठियों को देश से बाहर करने के निर्देश जारी करने की मांग की गईयाचिकाकर्ता ने घुसपैठ को देश की सुरक्षा और एकीकरण के लिए खतरा बतायाDainik Bhaskar Jul 04, 2019, 09:16 PM ISTनई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट घुसपैठियों के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया। याचिका में बांग्लादेशियों और रोहिंग्या समेत सभी अवैध अप्रवासियों और घुसपैठियों को देश से बाहर निकालने के मुद्दे को सूचीबद्ध करने की मांग की गई थी।गुरुवार को चीफ जस्टिस रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली पीठ ने वकील और भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर तत्काल सुनवाई करने का निर्णय लिया। यह याचिका 2017 में दायर की गई थी। पीठ ने कहा- इस मामले पर 9 जुलाई को सुनवाई होगी।घुसपैठियों की पहचान के निर्देश दें: याचिकाकर्ताउपाध्याय ने अपनी याचिका में केंद्र और राज्य सरकार को बांग्लादेशी और रोहिंग्या नागरिकों समेत सभी अवैध अप्रवासियों और घुसपैठियों की पहचान कर उन्हें उनके देश वापस भेजने की प्रक्रिया शुरू करने के निर्देश देने की मांग की थी।राष्ट्रीय सुरक्षा प्रभावित होती है- याचिकाकर्तायाचिका में कहा गया- विशेष रूप से म्यांमार और बांग्लादेश से बड़े पैमाने पर आए अवैध प्रवासियों ने सीमावर्ती जिलों की जनसांख्यिकीय संरचना को खतरे में डाल दिया है। इसने सुरक्षा और राष्ट्रीय एकीकरण को भी गंभीर रूप से प्रभावित किया है।चार सप्ताह में जवाब दें- सुप्रीम कोर्टएक अन्य मामले में, सुप्रीम कोर्ट ने लौह अयस्क खदानों को लेकर दायर की गई याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा। याचिकाकर्ता ने केंद्र पर बिना किसी ताजा मूल्यांकन के देशभर की 358 से अधिक लौह अयस्क खदानों का आवंटन बढ़ाने का आरोप लगाया। याचिका में कहा गया कि फरवरी में 288 खदानों की लीज अवधि मोटी रकम लेकर बढ़ाई गई। इससे सरकार को चार लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। याचिका में इस लीज को निरस्त करने की मांग भी की गई।
Source: Dainik Bhaskar July 04, 2019 15:43 UTC