Gorakhpur News : कचरहरी बस स्टेशन पर ताला, साथ में अव्यवस्थाओं का बोलबाला - News Summed Up

Gorakhpur News : कचरहरी बस स्टेशन पर ताला, साथ में अव्यवस्थाओं का बोलबाला


गोरखपुर (ब्यूरो)।इसके चलते बस स्टेशन पर नवजात शिशुओं को फीड कराने वाले महिलाओं को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।केस 1-मोहद्दीपुर की रहने वाली सरिता देवी का कहना है कि बस स्टेशन पर शिशु को दूध पिलाने के लिए बेबी फीडिंग कक्ष बना है, लेकिन अक्सर ताला लगा रहता है। इसकी वजह से माताओं को प्रॉब्लम होती है। सफर के दौरान कई बार जरूरत पड़ी है, लेकिन राहत नहीं मिली है।केस-2-महराजगंज की रहने वाली सुमित्रा सिंह को वाराणसी जाना था। वह कचहरी बस स्टेशन पर पहुंचे। बच्चा रो रहा था। उसे दूध पिलाने के लिए वह शिशु देखभाल कक्ष के बाहर पहुंची, लेकिन उसमें ताला लटक रहा था। मजबूरी में एक किनारे बैठक कर अपने बच्चे को दूध पिलाया।यह दो केस तो एग्जामपल भर है। यहां पर अक्सर ताला लटका रहता है। इतना ही नहीं कक्ष को स्टोर बना दिया गया है। जहां झाड़ू, बेलचा और डस्टबिन रखा जाता है। जबकि दावा था कि स्टेशन पर हजारों यात्री माताओं को नवजात को हाईजेनिक तरीके से फीडिंग कराने की व्यवस्था की जाएगी। लेकिन कचहरी बस स्टेशन पर मां और शिशुओं को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है।रेलवे बस स्टेशन पर चकाचकशिशु देखभाल कक्ष की हकीकत जानने के लिए दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम शुक्रवार की दोपहर गोरखपुर रेलवे बस स्टेशन पहुंची। जहां कक्ष में माताओं के बैठने के लिए कुर्सियां लगी नजर आई। साथ ही बच्चों के खेलने के लिए तरह-तरह के खिलौने भी दिखाई दिए। वहीं गोरखपुर रेलवे बस स्टेशन बेबी फिडिंग कक्ष भी खुला मिला, जहां माताएं अपने बच्चों को फीडिंग करा रही थी।कचहरी बस स्टेशन पर अव्यवस्थाहैरानी तब हुई जब टीम राप्तीनगर कचहरी बस स्टेशन पहुंची। यहां जो देखा वह वह हैरान कर देने वाला था। कक्ष के बाहर ताला लटका हुआ था। सामने ही झाड़ू, बेलचा और डस्टबिन रखा नजर आया। चैंबर में टेबल, एलईडी लाइट और पंखे तक गायब मिले। इतना ही नहीं पैनिक बटन, अलार्म की सुविधा भी नहीं थी। जबकि यह सुविधाएं माताओं के लिए उपलब्ध कराई जानी थी। कक्ष के प्रवेश द्वारा एवं सभी दीवारों पर केवल मां और शिशु के प्रयोग के लिए संदेश और चित्र प्रदर्शित किए गए हैं।डेली सैकड़ों महिलाएं करती हैं सफरराप्तीनगर कचहरी बस स्टेशन से डेली 100 से 150 बसों का संचालन किया जाता है। इसें से करीब सैकड़ों महिलाएं अपने लाल के साथ सफर करती है। सफर के दौरान स्टेशन परिसर में नवजात शिशु को स्तनपान के लिए माताओं को शिशु देखभाल कक्ष की सुविधा मुहैया कराई गई हैं, लेकिन यह काफी समय से बंद पड़ा है। उधर रोडवेज प्रशासन का कहना हैं कि कक्ष की जिम्मेदारी स्टेशन इंचार्ज की है, लेकिन हकीकत में कुछ और है।बस स्टेशन पर नवजात शिशुओं की माताओं के लिए बना शिशु देखभाल कक्ष को खोलने की जिम्मेदारी इंचार्ज की है। यदि उसमें ताला लगा है तो गलत है। इसकी जांच कराई जाएगी।- पीके तिवारी, आरएम गोरखपुर


Source: Dainik Jagran May 06, 2023 15:19 UTC



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