नई दिल्ली (बिजनेस डेस्क)। वस्तु एवं सेवा कर जीएसटी के 2 साल पूरे होने पर पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने सोमवार को कई महत्वपूर्ण बातें कही। उन्होंने कहा कि रेवेन्यू के बढ़ने पर जीएसटी के 12 फीसदी और 18 फीसदी के स्लैब मर्ज किये जा सकते हैं। साथ ही जेटली ने यह भी कहा कि जीएसटी की दरों को घटाने से बीते दो सालों में देश को 90 हजार करोड़ का घाटा हुआ है। वित्त मंत्री ने एक फेसबुक पोस्ट में ये बाते कही।अरुण जेटली ने कहा कि उपभोक्ताओं से जुड़ी ज्यादातर वस्तुएं 18 फीसद, 12 फीसद और 5 फीसद के स्लैब में भी लाई जा चुकी हैं। उन्होंने कहा कि पिछले 2 साल में जीएसटी काउंसिल ने कई बार टैक्स की दरें घटाईं है। इस कारण से सरकार को 90 हजार करोड़ रुपए का राजस्व घाटा हुआ है।अरुण जेटली ले लिखा कि रेवेन्यू बढ़ने पर जीएसटी को केवल 2-टियर स्लैब का ही किया जा सकता है। जेटली का कहना था कि लग्जरी और हानिकारक वस्तुओं को छोड़ 28 फीसद वाला स्लैब करीब-करीब खत्म हो चुका है। उन्होंने लिखा कि सभी श्रेणियों में टैक्स की दरें एकसाथ घटाने से राजस्व का भारी नुकसान हो सकता था। इसी वजह से इस काम को चरणबद्ध तरीके से किया गया है।बता दें कि एक जुलाई 2017 को 17 स्थानीय टैक्स खत्म करके पूरे देश में जीएसटी को लागू किया गया था। पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली ने लिखा कि वस्तु एवं सेवा कर के लागू होने के दो साल बाद देश में 20 राज्यों के राजस्व में 14 फीसद की वृद्धि दर्ज की गई है, जो कि जीएसटी की सफलता का सबसे बड़ा उदाहरण है।अरुण जेटली ने लिखा कि जीएसटी परिषद भारत की पहली वैधानिक संघीय संस्थाद है, जो सर्वसम्म ति के सिद्धांत पर काम करती है। उन्होंने लिखा कि वस्तु एवं सेवा कर उपभोक्ता और करदाता दोनों के लिए अनुकूल साबित हुआ है। साथ ही उन्होंने अपनी पोस्ट में इस बात का भी उल्लेख किया कि पिछले दो सालों में देश में करदाताओं की संख्या में 84 फीसद की बढ़ोतरी हुई है।Posted By: Pawan Jayaswal
Source: Dainik Jagran July 01, 2019 11:08 UTC