ब्रिटेन अब बांड खरीदकर कुल 745 अरब पाउंड की पूंजी बाजार में डालेगाकेंद्रीय बैंक ने ब्याज दर को 0.1 फीसदी के रिकॉर्ड निचले स्तर पर बनाए रखाबैंक ऑफ इंग्लैंड के फैसले से भारतीय पूंजी बाजार में बढ़ सकता है विदेशी निवेशदैनिक भास्कर Jun 19, 2020, 06:45 PM ISTनई दिल्ली. कोरोनावायरस महामारी से अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए बैंक ऑफ इंग्लैंड बाजार में 100 अरब पाउंड (करीब 9.4 लाख करोड़ रुपए) की और नकदी बढ़ाएगा। इस राशि का उपयोग बांड खरीदने में किया जाएगा। हालांकि बैंक ने कहा कि इस बात के अब ज्यादा प्रमाण मिल रहे हैं कि आर्थिक झटका उतना बड़ा नहीं लगेगा, जितने का डर पहले लगाया गया था। इसके साथ ही बैंक की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने मुख्य ब्याज दर को 0.1 फीसदी के रिकॉर्ड निचले स्तर पर बनाए रखा। बैंक ऑफ इंग्लैंड के फैसले से बड़े पैमाने पर विदेशी निवेशकों की पूंजी भारतीय बाजार में आ सकती है।ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था में अप्रैल में 20.4 फीसदी की गिरावटब्रिटेन की अर्थव्यवस्था में अप्रैल में 20.4 फीसदी की गिरावट आई है। मार्च से मई के बीच पेरोल पर काम करने वालों की संख्या में 6 लाख से ज्यादा की गिरावट आई है। बैंक ने कहा कि ताजा आंकड़ों को देख कर लगता है कि अर्थव्यवस्था में वापस तेजी आने लगी है। एमपीसी की जून की बैठक के ब्योरे में कहा गया है कि मई और जून में उपभोक्ता खर्च में बढ़ोतरी हुई है। हाल में हाउसिंग गतिविधियों में भी तेजी आई है।745 अरब पाउंड पर पहुंचा ब्रिटेन का बांड खरीदारी कार्यक्रमबाजार में नकदी बढ़ाने के लिए की गई नई घोषणा के साथ बैंक ऑफ इंग्लैंड के बांड खरीदारी कार्यक्रम का आकार बढ़कर 745 अरब पाउंड पर पहुंच गया है। नीति निर्माताओं के मुताबिक नकदी बढ़ाने से वितीय बाजार को मजबूती मिलेगी और आर्थिक तेजी को बल मिलेगा।भारतीय पूंजी बाजार में बढ़ सकता है विदेशी निवेशबाजार में नकदी बढ़ाने के लिए ब्रिटेन के केंद्रीय बैंक द्वारा की जा रही कोशिशों से बड़े पैमाने पर विदेशी पूंजी उभरते बाजारों में पहुंच सकती है। इसका लाभ भारत को भी मिल सकता है। ब्रिटेन का बैंक जब बांड खरीदेगा तो पैसा बांड बेचने वाले आम लोगों के हाथ में पहुंचेगा। इसी तरह से ब्याज दर कम रहने के कारण लोग ज्यादा कर्ज लेते हैं। इन उपायों से बड़े पैमाने पर आम लोगों के हाथ में नकदी पहुंचती है। इसके एक बड़े हिस्से का निवेश उभरते बाजारों में होता है। 2008 के वित्तीय संकट के दौरान भी अमेरिका, यूरोप, जापान, आदि देशों ने बांड खरीदारी कर बाजार में नकदी बढ़ाई थी। इसके कारण भारत सहित अन्य उभरते बाजारों में उन दिनों बड़े पैमाने पर विदेशी निवेश हुआ था।
Source: Dainik Bhaskar June 19, 2020 12:08 UTC