Daughter of Sanjay Gandhi: संजय गांधी की बेटी होने का दावा करने वाली प्रिया लड़ेंगी नेहरू की सीट से लोकसभा चुनाव - women who claimed to be daughter of sanjay gandhi will fight from nehru's loksabha se - News Summed Up

Daughter of Sanjay Gandhi: संजय गांधी की बेटी होने का दावा करने वाली प्रिया लड़ेंगी नेहरू की सीट से लोकसभा चुनाव - women who claimed to be daughter of sanjay gandhi will fight from nehru's loksabha se


Xसमाजवादी पार्टी से अलग होकर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) बनाने वाले शिवपाल सिंह यादव ने प्रयागराज की ऐतिहासिक फूलपुर लोकसभा सीट से संजय गांधी की बेटी होने का दावा करने वाली प्रिया सिंह पॉल को उम्मीदवार बनाया है। गुरूग्राम की रहने वाली प्रिया केंद्र सरकार में अडिशनल डीजी रह चुकी हैँ और उन्होंने कई टीवी प्रोग्राम और फीचर फिल्मों पर भी काम किया है। गांधी-नेहरू परिवार की विरासत से जुड़े होने का दावा करने वाली प्रिया को फूलपुर सीट से उम्मीदवार बनाकर शिवपाल ने एक बड़ा दांव खेला है। वह भी ऐसे समय में जब इस सीट से प्रियंका गांधी को लड़ाने की मांग की जा रही थी।प्रिया पॉल फिलहाल अपने जन्म प्रमाण पत्र को हासिल करने के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रही हैं। जिससे वह कानूनी रूप से खुद को इंदिरा गांधी की पोती साबित कर सकें। अपने दावे को साबित करने के लिए प्रिया ने दिल्ली की एक अदालत में केस भी दाखिल किया है और डीएनए मैच कराने की मांग भी की है। प्रिया, डॉ शीला सिंह पॉल की बेटी हैं जिन्होंने भारत का पहला बच्चों का अस्पताल स्थापित किया था। प्रिया के अनुसार, उन्हें 2010 में पूर्व प्रधानमंत्री इंद्रकुमार गुजराल की बहन विमला गुजराल ने बताया था कि, संजय गांधी उनके जैविक पिता थे। वह कहती हैं कि, अपनी दत्तक मां की मृत्यु के बाद उन्होंने जड़ों की तलाश शुरू कर दी और बाद में तीस हजारी अदालत में केस दायर किया।आपातकाल के विवादास्पद विषय पर आधारित फिल्म इंदु सरकार के निर्माताओं को कानूनी नोटिस भेजकर वह दो साल पहले सुर्खियों में आयी थीं। उनका दावा है कि, उनकी नोटिस के कारण ही फिल्म निर्माताओं को कई ऐसे दृश्यों को हटाना पड़ा, जो गलत तरीके से आपातकाल और इससे जुड़े गांधी परिवार के लोगों की भूमिका को प्रस्तुत कर रहे थे।फूलपुर से चुनाव लड़ने पर वह कहती हैं कि, इस सीट का देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू द्वारा तीन बार प्रतिनिधित्व किया गया। यह एक ऐसा शहर था, जिसमें भारत के स्वतंत्रता संग्राम और कई प्रधानमंत्रियों की विरासत की गवाही है। इसलिए इसे एक विरासत वाले शहर के रूप में परिवर्तित किया जाना चाहिए था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। प्रिया कहती हैं कि, पार्टी में शामिल होने के बाद मुझे इलाहाबाद और फूलपुर के बीच चयन करने के लिए कहा गया था और मैंने बिना सोचे-समझे फूलपुर का चयन किया।इसी तरह इलाहाबाद से पार्टी ने 1980-90 के दौरान यूपी और एमपी में आतंक का पर्याय रहे दस्यु हनुमान पटेल के छोटे भाई अभिमन्यु पटेल को मैदान में उतारा है। इलाहाबाद निवासी अभिमन्यु पटेल कहते हैं कि, भाई की पृष्ठभूमि से उनकी पहचान नहीं होनी चाहिए। क्योंकि वह 2014 का लोकसभा चुनाव भी वाराणसी से लड़ चुके हैँ और वह पेशे से वकील हैं।


Source: Navbharat Times April 09, 2019 17:03 UTC



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