Business News: सोयाबीन भावांतर - soya bean difference - News Summed Up

Business News: सोयाबीन भावांतर - soya bean difference


सोयाबीन भावांतरसोयाबीन पर भावांतर भुगतान योजना पूरे देश में लागू की जाये : प्रसंस्करणकर्ता इंदौर (मध्यप्रदेश), नौ अक्टूबर (भाषा) देश में खाद्य तेलों के धड़ल्ले से जारी आयात पर चिंता जताते हुए प्रसंस्करणकर्ताओं के एक संगठन ने बुधवार को केंद्र सरकार से मांग की कि पूरे देश में सोयाबीन पर भावांतर भुगतान योजना लागू की जाये। इंदौर स्थित सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के चेयरमैन डेविश जैन ने यहां अंतरराष्ट्रीय सोयाबीन सम्मेलन के दौरान संवाददाताओं से कहा, अगर सरकार सोयाबीन पर पूरे देश में भावांतर भुगतान योजना लागू करती है, तो किसानों को उनकी उपज का बेहतर मोल मिलेगा और इसडिसक्लेमर : यह आर्टिकल एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड हुआ है। इसे नवभारतटाइम्स.कॉम की टीम ने एडिट नहीं किया है।सोयाबीन पर भावांतर भुगतान योजना पूरे देश में लागू की जाये : प्रसंस्करणकर्ता इंदौर (मध्यप्रदेश), नौ अक्टूबर (भाषा) देश में खाद्य तेलों के धड़ल्ले से जारी आयात पर चिंता जताते हुए प्रसंस्करणकर्ताओं के एक संगठन ने बुधवार को केंद्र सरकार से मांग की कि पूरे देश में सोयाबीन पर भावांतर भुगतान योजना लागू की जाये। इंदौर स्थित सोयाबीन प्रोसेसर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सोपा) के चेयरमैन डेविश जैन ने यहां अंतरराष्ट्रीय सोयाबीन सम्मेलन के दौरान संवाददाताओं से कहा, अगर सरकार सोयाबीन पर पूरे देश में भावांतर भुगतान योजना लागू करती है, तो किसानों को उनकी उपज का बेहतर मोल मिलेगा और इस तिलहन फसल का उत्पादन बढ़ेगा। नतीजतन घरेलू संयंत्रों में सोयाबीन तेल उत्पादन में भी इजाफा होगा और आयातित खाद्य तेलों पर हमारी निर्भरता घटेगी।" जैन ने बताया, "भारत को अपनी भोजन संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिये हर साल 1.55 करोड़ टन खाद्य तेल आयात करना पड़ रहा है। इस पर हमें बेहद बड़ी राशि की विदेशी मुद्रा खर्च करनी पड़ रही है। उन्होंने यह मांग भी की कि केंद्र सरकार को सोया खली और सोयाबीन प्रसंस्करण से बनने वाले अन्य उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने में प्रसंस्करणकर्ताओं की मदद करनी चाहिये। इसके साथ ही, राज्य सरकारों द्वारा वसूला जाने वाला मंडी शुल्क खत्म किया जाना चाहिये।गौरतलब है कि अगर मंडियों में व्यापारियों द्वारा किसी कृषि जिंस की खरीदी सरकार के घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से कम कीमतों पर की जाती है, तो किसानों को सरकारी खजाने से दोनों भावों के अंतर का भुगतान किया जाता है। इसे आम शब्दों में भावांतर भुगतान योजना के नाम से जाना जाता है जिसे मध्यप्रदेश में कुछ जिंसों पर आजमाया जा चुका है।


Source: Navbharat Times October 09, 2019 14:37 UTC



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