Bihar News In Hindi : Madhepura Loksabha seat Triangular fight between NDA, Mahagathbandhan and Pappu Yadav party - News Summed Up

Bihar News In Hindi : Madhepura Loksabha seat Triangular fight between NDA, Mahagathbandhan and Pappu Yadav party


Dainik Bhaskar Apr 21, 2019, 11:58 PM ISTमहागठबंधन के शरद यादव, एनडीए के दिनेशचंद्र यादव और जाप के पप्पू यादव के बीच त्रिकोणीय मुकाबलाइस सीट से सबसे ज्यादा जीत का रिकॉर्ड जदयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव के नाम, 4 बार चुने गएपूर्व मुख्यमंत्री और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव भी इस सीट से दो बार सांसद बने, एक बार हारेमधेपुरा. कभी मधेपुरा लोकसभा सीट से पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद को हराने वाले शरद यादव इस बार राजद के झंडे पर मैदान में हैं। एनडीए के दिनेशचंद्र यादव और जन अधिकार पार्टी (जाप) के पप्पू यादव से उन्हें कड़ी टक्कर मिल रही है। राजनीतिक जानकारों की मानें तो मधेपुरा लोकसभा सीट पर मुकाबला त्रिकोणीय है।पप्पू यादव ने महागठबंधन में शामिल होने की पूरी कोशिश की लेकिन, तेजस्वी के विरोध के चलते वे शामिल नहीं हो सके। इससे नाराज पप्पू यादव ने जाप से चुनावी मैदान में उतरने का फैसला किया। पप्पू यादव के चुनाव लड़ने की वजह से मुकबला त्रिकोणीय हो गया है। 23 अप्रैल को इस सीट पर वोटिंग होनी है।2014 में मोदी लहर के बावजूद इस सीट पर भाजपा की हार हुई थी। राजद के टिकट पर चुनाव लड़ रहे पप्पू यादव ने जदयू प्रत्याशी शरद यादव और भाजपा के विजय कुमार सिंह को हराया था। इससे पहले 2004 में लालू यादव के इस्तीफे के बाद इस सीट पर हुए उपचुनाव में पप्पू यादव ने शरद यादव को हराया था। ओबीसी वोटबैंक को देखते हुए एनडीए ने इस बार यहां से जदयू प्रत्याशी को उतारने का फैसला किया।सबसे ज्यादा जीत का रिकॉर्ड शरद यादव के नाम, 4 बार चुने गएमधेपुरा से सबसे ज्यादा जीत का रिकॉर्ड शरद यादव के नाम है। वे यहां से 4 बार सांसद चुने गए। मध्यप्रदेश के रहने वाले और बिहार को अपनी राजनीतिक जमीन बनाने वाले शरद यादव 1991 में जनता दल के टिकट पर लोकसभा पहुंचे। वे यहां से 1996, 1999 और 2009 में भी चुने गए। 1999 में शरद ने लालू प्रसाद को करीब 30 हजार वोटों से हराया था। हालांकि, शरद को इस सीट से चार बार हार का मुंह भी देखना पड़ा है। 1998, 2004 में लालू प्रसाद और 2004 (उपचुनाव), 2014 में पप्पू यादव ने शरद यादव को पटखनी दी।वीपी सिंह और अटल सरकार में मंत्री रहे शरद यादव ने जदयू से अलग होकर लोकतांत्रिक जनता दल बनाई थी। जदयू के महागठबंधन छोड़ने और भाजपा के साथ दोबारा सरकार बनाने की वजह से शरद नीतीश से काफी नाराज थे। इसी वजह से शरद ने नई पार्टी बना ली और महागठबंधन में शामिल हो गए। महागठबंधन में हुए सीटों के बंटवारे में एक सीट शरद यादव को मिली और फैसला हुआ कि वे राजद के सिंबल पर चुनाव लड़ेंगे। इलेक्शन के बाद उनकी पार्टी का विलय राजद में हो जाएगा।14 लोकसभा चुनाव में 12 बार यादव चुने गए1967 से 2014 तक मधेपुरा सीट पर हुए आम चुनावों में 12 बार यादव चुने गए हैं। 1967 और 1977 लोकसभा चुनाव में यहां से बिंदेश्वरी प्रसाद मंडल चुने गए। इस सीट से 4 बार शरद यादव, 2 बार लालू प्रसाद यादव, 2 बार पप्पू यादव, 2 बार राजेंद्र प्रसाद यादव और एक-एक बार महाबीर प्रसाद यादव और रमेश प्रसाद यादव को मौका मिला।लोकसभा का चुनावी गणितयादव बहुल मधेपुरा सीट पर मुस्लिमों और सवर्णों का भी दबदबा है। मधेपुरा संसदीय क्षेत्र में करीब 22 फीसदी यादव, 13 फीसदी मुस्लिम, 19 फीसदी सवर्ण, 14 फीसदी दलित, 11 फीसदी कुशवाहा और 21 फीसदी वैश्य समुदाय के लोग हैं। इस सीट पर 18,84,216 मतदाता हैं जिनमें 9,74,722 पुरूष और 9,07, 592 महिला वोटर्स हैं।मधेपुरा संसदीय क्षेत्र में विधानसभा की 6 सीटें आती हैं- आलमनगर, बिहारीगंज, मधेपुरा, सोनबरसा, सहरसा और महिषी। 2015 के बिहार विधानसभा चुनाव में इन 6 सीटों में से 3 पर जदयू और 3 पर राजद की जीत हुई थी।स्थानीय मुद्देभारत द्वारा पाकिस्तान पर एयर स्ट्राइक के बाद मधेपुरा में जनता के सारे मुद्दे हवा हवाई हो गए हैं। एक तरफ राष्ट्रवाद जबकि दूसरी तरफ जातीय मुद्दों पर चुनाव लड़ा जा रहा है। कोसी नदी के चलते हर साल बाढ़ की वजह से होने वाली तबाही भी किसी राजनीतिक पार्टी के लिए बड़ा मुद्दा नहीं। रोजगार के लिए मधेपुरा में एक रेलवे फैक्ट्री बनकर तैयार हुई है लेकिन यहां अब तक काम शुरू नहीं हो सका। यही वजह है कि हर साल यहां से सैकड़ों लोग रोजगार की तलाश में पलायन करने को मजबूर है। शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए यहां मेडिकल और इंजीनियरिंग कॉलेज बनाए गए लेकिन अब तक पढ़ाई शुरू नहीं हुई है।मधेपुरा सीट एक नजर-


Source: Dainik Bhaskar April 21, 2019 12:11 UTC



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