Bihar News: गरीबी से लड़कर बिहार के एक नौजवान की किंग महेंद्र की कहानी...राज बनकर 16 साल बाद लौटा अपने गांव..... - News Summed Up

Bihar News: गरीबी से लड़कर बिहार के एक नौजवान की किंग महेंद्र की कहानी...राज बनकर 16 साल बाद लौटा अपने गांव.....


Bihar News: बिहार के 'किंग' महेंद्र प्रसाद की आज चतुर्थ पुण्यतिथि है। 27 दिसंबर 2021 को उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया था। महेंद्र प्रसाद भारत के सबसे अमीर सांसद में से एक थे। दिल्ली के अपोलो अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। मौत की शय्या पर लेटने से पहले वह लंबे समय तक बीमार रहे। महेंद्र प्रसाद एक गरीब किसान के बेटे थे उनका पूरा बचपन गरीबी में बीता लेकिन जब उन्होंने दुनिया से विदा लिया तब वो करीब 4 हजार करोड़ रुपए की संपत्ति के मालिक थे। एक गरीब किसान के बेटे का अरबपति बनने की कहानी किसी फिल्म की पथकथा से कम नहीं है। महेंद्र प्रसाद बिहार के ऐसे नेता थे जो कभी राज्यसभा चुनाव नहीं हारे। पार्टी कोई भी हो उनकी जीत निश्चित थी। 1985 में महेंद्र प्रसाद पहली बार राज्यसभा पहुंचे थे। जिसके बाद से वो लगातार राज्यसभा सांसद रहे। महेंद्र प्रसाद दावे के साथ कहते थे कि अगर राज्यसभा में एक ही सीट खाली होती तो भी मैं ही चुना जाता। महेंद्र प्रसाद की किंग बनने की कहानी आसान नहीं हैं। उन्हें यह उपाधि विरासत में नहीं मिली बल्कि उन्होंने इस उपाधि को खुद कमाई। घर से भागा हुआ बेरोजगार 24 साल का लड़का जब 16 साल बाद अपने गांव लौटा तो 'किंग' बनकर लौटा। महेंद्र प्रसाद की कहानी आज भी जहानाबाद के लोगों की जुबान पर बसती है। उनका जाना उनके क्षेत्र के लिए अपूरणीय क्षति थी।महेंद्र प्रसाद की चौथी पुण्यतिथि आजआज नम आंखों से उनकी चौथी पूण्यतिथि मनाई जा रही है। महेंद्र प्रसाद को उनके परिजन सहित तमाम दल के नेता श्रद्धांजलि दे रहे हैं। अब महेंद्र प्रसाद की जीवन यात्रा पर नजर डालते हैं। महेंद्र प्रसाद का जन्म 8 जनवरी 1940 में बिहार के जहानाबाद जिले से करीब 17 किलोमीटर दूर गोविंदपुर गांव में एक भूमिहार परिवार में हुआ था। उनके पिता वासुदेव सिंह साधारण किसान थे। आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद उन्होंने महेंद्र को पटना कॉलेज से अर्थशास्त्र में स्नातक (BA) की पढ़ाई करवाई। स्नातक के बाद नौकरी नहीं मिलने पर वे गांव लौट आए और बेरोजगारी से जूझते रहे। 1964 में हुई एक घटना ने उनके जीवन को बदल कर रख दिया।कैसे बने बिहार के 'किंग'गरीबी और बेरोजगारी से जुझते हुए महेंद्र प्रसाद ने 1964 में अपने गांव को छोड़ दिया और मुंबई चले गए। यहीं से उनके जीवन की नई पारी शुरु हुई। मुंबई में उन्होंने दवा उद्योग में कदम रखा। शुरुआत में वे एक छोटी दवा कंपनी में साझेदार बने और बाद में 1971 में मात्र 31 वर्ष की उम्र में अपनी खुद की कंपनी अरिस्टो फार्मा की स्थापना की। समय के साथ वे देश के बड़े फार्माउद्योगपतियों में शामिल हो गए। करीब 16 साल बाद, 1980 में वे जहानाबाद लौटे। दरअसल, 1980 में लोकसभा चुनाव के दौरान वो कांग्रेस के उम्मीदवार बनकर अपने गांव लौटे तब पहली बार जहानाबाद के लोगों ने चुनाव में एक साथ इतनी गाड़ियां और प्रचारकों को देखा था। कहा जाता है कि गाड़ियों की चमक और पैसों की खनक ने लोगों के मन में उनकी छवि किंग वाली बना दी और वो तब से किंग के रुप में जाने जाने लगे। हालांकि उन्हें चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था।कभी नहीं हारे राज्यसभा चुनावलोकसभा चुनाव हारने के बाद भी राजीव गांधी के करीबी होने के कारण वे कांग्रेस के टिकट पर राज्यसभा पहुंचे। इसके बाद वे लगातार राज्यसभा सदस्य रहे। 2021 में उनका सातवां कार्यकाल था। समय-समय पर उन्होंने पार्टी बदली, लेकिन हर बार राज्यसभा पहुंचने में सफल रहे। कभी लालू प्रसाद यादव तो कभी नीतीश कुमार के समर्थन से वे संसद पहुंचे। 2005 में नीतीश कुमार के कहने पर उन्होंने जदयू की सदस्यता ली। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के अनुसार, महेंद्र प्रसाद को कभी पद की लालसा नहीं रही। वे राज्यसभा सदस्य के रूप में मिलने वाली भूमिका, प्रभाव और सुविधाओं से संतुष्ट रहते थे और व्यवसाय व राजनीति के बीच संतुलन बनाए रखना जानते थे।गांव के लोगों, छात्रों और लड़कियों के लिए बनेमहेंद्र प्रसाद ने अपने गांव के लोगों के लिए कई प्रमुख कामों को किया। स्थानीय लोगों की मांग पर उन्होंने जहानाबाद के ओकरी में एक कॉलेज की स्थापना की, जिससे गरीब और वंचित तबके के छात्रों, विशेषकर लड़कियों को उच्च शिक्षा का अवसर मिला। उनके परोपकारी कार्यों के कारण वे युवाओं के बीच एक अलग पहचान बना सके। शिक्षा और समाजसेवा में उन्होंने अहम योगदान दिया। 1985 में पंजाब में एक कार विस्फोट में वो बाल बाल बचे थे। महेंद्र प्रसाद अरिस्टो फार्मा के मालिक थे। इसका कॉपोरेट मुख्यालय मुंबई में है। उनकी कंपनियों का नेटवर्क वियतनाम, श्रीलंका, म्यांमार, बांग्लादेश समेत यूरेशिया और अफ्रीका के कई देशों तक फैला हुआ है। इसके अलावा माप्रा लेबोरेटरीज और इंडेमी हेल्थ स्पेशलिटीज जैसी कंपनियां भी उनके स्वामित्व में थीं। भारत में हैदराबाद से लेकर दमन और सिक्किम तक उनकी कई फैक्ट्रियां संचालित होती हैं।


Source: NDTV December 27, 2025 08:51 UTC



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