Bhopal News: समरधा के जंगल के बीच 100 एकड़ में चल रहा मिशनरी स्कूल, बच्चों को इसाई प्रार्थना, कर्मचारियों को दी बाइबल - News Summed Up

Bhopal News: समरधा के जंगल के बीच 100 एकड़ में चल रहा मिशनरी स्कूल, बच्चों को इसाई प्रार्थना, कर्मचारियों को दी बाइबल


Bhopal News: समरधा के जंगल के बीच 100 एकड़ में चल रहा मिशनरी स्कूल, बच्चों को इसाई प्रार्थना, कर्मचारियों को दी बाइबलBhopal News: राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने शनिवार को यहां कार्रवाई की तो कई चौंकाने वाली अनियमतितताएं मिलीं।HighLights राष्ट्रीय बाल आयोग की टीम ने अमोनी पहुंचकर की कार्रवाई दल पहुंचने के पहले स्कूल ने धार्मिक पुस्तकें जलाईं छेड़छाड़ कर रहा था कर्मचारी, प्रबंधन ने मुंह बंद करायाप्रवीण मालवीय, भोपाल। शहर से 30 किलोमीटर से अधिक दूरी पर समरधा के घने जंगलों के बीच मिशनरी स्कूल संचालित किया जा रहा है। करीब 100 एकड़ के परिसर के बीच पीएफआई आवासीय स्कूल स्कूल एमपी बोर्ड से मान्यता प्राप्त है लेकिन सीबीएसई पैटर्न का बोर्ड लगाकर अंग्रेजी माध्यम स्कूल होने के दावे के साथ चलाया जाता है।राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने शनिवार को यहां कार्रवाई की तो कई चौंकाने वाली अनियमतितताएं मिलीं। दुर्गम इलाके में हुई इस कार्रवाई के दौरान नवदुनिया टीम ने मौके पर पहुंचकर कवर किया। स्कूल में बच्चों को इसाई प्रार्थना कराई जाती है तो कर्मचारियों को बाइबल पढ़ने को दी जाती है। दल के पहुंचने के पूर्व छुपाने के लिए कई धार्मिक किताबें जला दी गईं जिन्हें जब्त किया गया। यहां एक बालिका छेड़छाड़ का शिकार मिली जिसकी शिकायत दर्ज कराई जा रही है। कानूनगो के साथ मध्य प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण अधिकार आयोग के अध्यक्ष देवेंद्र मोरे, महिला एवं बाल विकास के सहायक संचालक रामगोपाल यादव एवं शिक्षाक फंदा ब्लाक के आयोग ने शिक्षा विभाग, महिला एवं बाल विकास विभाग एवं पुलिस को जांच एवं कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।चारों ओर जंगल, नजर रखने के लिए वाच टावर समरधा गांव से गिद्धगढ़ जाने वाले मार्ग पर बंद वन चौकी से तीन किमी अंदर अमोनी वनक्षेत्र में फेसिंग से घिरा इलाका नजर आता है। यहां बाहरी व्यक्तियों पर नजर रखने के लिए वाच टावर हैं तो तीन गेट पार करके ही स्कूल तक पहुंचा जा सकता है। 100 एकड़ के परिसर में स्कूल और छात्रावास लेकिन आसपास कहीं आबादी नहीं। टीम बमुश्किल इस सीएफआई स्कूल तक पहुंची। कर्मचारियों ने आयोग को बताया गया कि स्कूल मे आसपास के गांव के बच्चे आते हैं जिन्हें स्वजन लेकर आते हैं। छात्रावास कोविड के बाद से बंद है पहले यहां 60 से अधिक बच्चे थे लेकिन कौन से विद्यार्थी यहां रहते थे उनका कोई रिकार्ड प्रबंधन नहीं दिखा सका।


Source: Dainik Jagran January 13, 2024 12:02 UTC



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