Ayodhya Case: 5 जजों की बेंच करेगी अयोध्या राम जन्मभूमि मामले की सुनवाई - News Summed Up

Ayodhya Case: 5 जजों की बेंच करेगी अयोध्या राम जन्मभूमि मामले की सुनवाई


माला दीक्षित, नई दिल्ली। बहुप्रतीक्षित अयोध्या राम जन्मभूमि मुकदमे के जल्द निपटारे की उम्मीद जगी है। मुकदमे की सुनवाई के लिए पीठ गठित हो गई है। 10 जनवरी को पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ मामले की सुनवाई करेगी। पीठ की अध्यक्षता मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई करेंगे। इसके अलावा जस्टिस एसए बोबडे, जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस यूयू ललित और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ पीठ में शामिल हैं।इस पीठ की सबसे बड़ी खासियत है कि इसकी अध्यक्षता स्वयं मुख्य न्यायाधीश कर रहे हैं और सुप्रीम कोर्ट का वरिष्ठता क्रम देखा जाए तो बाकी के चार न्यायाधीश भी भविष्य में मुख्य न्यायाधीश बनेंगे। यानी पीठ गठन में वरिष्ठता का खयाल रखा गया है।इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 30 सितंबर 2010 को दिए गए फैसले में राम जन्मभूमि को रामलला विराजमान, निर्मोही अखाड़ा और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के बीच तीन बराबर हिस्सों में बांटने का आदेश दिया था। इस फैसले को रामलला सहित सभी पक्षकारों ने 13 अपीलों के जरिये सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। सुप्रीम कोर्ट में यह मामला 2010 से लंबित है, लेकिन अभी तक इसकी मेरिट पर सुनवाई का नंबर नहीं आया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश से फिलहाल मामले में यथास्थिति कायम है।पिछली सुनवाई गत चार जनवरी को मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई और जस्टिस संजय किशन कौल की पीठ ने मामले को उचित पीठ के समक्ष 10 जनवरी को सुनवाई पर लगाने का आदेश दिया था। इसी से तय हो गया था कि 10 जनवरी तक नई पीठ का गठन हो जाएगा। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट से जारी नोटिस में पीठ गठन की जानकारी दी गई है।कई मायनों में खास है पीठमुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने सुनवाई पीठ का गठन करने में काफी सावधानी बरती है। सबसे पहले तो अहम मुकदमे को पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ में सुनवाई के लिए लगाया जबकि इससे पूर्व सुनवाई करने वाली पीठ ने मुस्लिम पक्ष के मुकदमे को संविधान पीठ को भेजने की मांग ठुकरा दी थी। दूसरी खासियत पीठ में शामिल न्यायाधीशों की वरिष्ठता की है।वरिष्ठता क्रम में मुख्य न्यायाधीश के बाद जस्टिस एके सीकरी आते हैं, लेकिन वह दो माह बाद ही छह मार्च को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इसलिए पीठ में नहीं रखे गए हैं। पीठ के बाकी सदस्य इनके बाद के वरिष्ठता क्रम में हैं। वैसे बात बता दें कि सुप्रीम कोर्ट का हर न्यायाधीश बराबर अहमियत रखता है। उसके फैसले की भी समान अहमियत होती है।पुराने न्यायाधीश नहीं हैं पीठ मेंनई पीठ में इस मामले की सुनवाई की तैयारी के आदेश में शामिल रही पीठ के पुराने न्यायाधीश शामिल नहीं हैं। पहले इस मुकदमे की सुनवाई तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस. अब्दुल नजीर की पीठ कर रही थी। इसी पीठ ने अयोध्या भूमि अधिग्रहण कानून को सही ठहराने वाले इस्माइल फारुखी फैसले के उस अंश को दोबारा विचार के लिए संविधानपीठ भेजने की मांग ठुकरा दी थी जिसमें मस्जिद को नमाज के लिए इस्लाम का अभिन्न हिस्सा नहीं माना गया है। इसके बाद जस्टिस मिश्रा सेवानिवृत्त हो गए थे और नई पीठ का गठन होना था।जल्द आ सकता है फैसलाइस पीठ के गठन को देखकर लगता है कि इस मुकदमे का फैसला अधिकतम इस वर्ष के अंत तक आ जाएगा। जस्टिस गोगोई इसी वर्ष 17 नवंबर को सेवानिवृत हो जाएंगे। ऐसे में उम्मीद है कि वह मुकदमे की सुनवाई नवंबर तक पूरी करके फैसला दे देंगे। इसके अलावा जस्टिस गोगोई की कार्यशैली बहस के दौरान कानूनी मुद्दों पर कायम रहने और मामला जल्दी निपटाने की है, जिससे जल्दी फैसले की उम्मीद जगती है।Posted By: Arun Kumar Singh


Source: Dainik Jagran January 08, 2019 11:44 UTC



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