Adil Ahmed Dar: pulwama attack in two years the suicide bomber adil ahmed dar was detained six times - पुलवामा अटैक: दो साल में छह बार हिरासत में लिया गया था आत्मघाती हमलावर आदिल अहमद डार - News Summed Up

Adil Ahmed Dar: pulwama attack in two years the suicide bomber adil ahmed dar was detained six times - पुलवामा अटैक: दो साल में छह बार हिरासत में लिया गया था आत्मघाती हमलावर आदिल अहमद डार


शनिवार को भोपाल में सीआरपीएफ जवानों ने अपने परिजनों के साथ पुलवामा हमले के शहीदों को श्रद्धांजलि दी। भोपाल के शौर्य स्मारक में सैनिकों और उनके परिवारों नें शांति मार्च निकाला। देखें तस्वीरें14 फरवरी को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में हुए फिदायीन हमले में 40 सीआरपीएफ जवान शहीद हो गए थे।सीआरपीएफ जवानों ने शौर्य स्मारक में मोमबत्ती जलाकर शहीदों को श्रद्धांजलि दी।सीआरपीएफ जवानों के साथ उनके परिवारीजनों ने भी शांति मार्च में हिस्सा लिया।40 जवानों की शहादत के बाद देशभर के लोगों में गुस्सा और दुख है।शांति मार्च में हिस्सा लेते हुए पुलिस के जवान।देशभर में लोग शहीदों को श्रद्धांजलि दे रहे हैं। कोई कैंडल लाइट मार्च, शांति मार्च तो कोई फूलों और सैंड आर्ट के जरिए जवानों की शहादत को याद कर रहा है।भोपाल में शांति मार्च में बच्चों ने भी हिस्सा लिया और मोमबत्ती जला देश के शहीदों को याद किया।सीआरपीएफ जवानों और उनके परिवारों ने शौर्य स्मारक में मोमबत्तियां जलाकर देश के लिए शहीद होने वाले 40 वीर सपूतों को अपनी श्रद्धांजलि अर्पित की।भोपाल में सीआरपीएफ जवानों को याद करने के लिए निकले शांति मार्च में महिलाएं भी बड़ी संख्या में शामिल हुईं।"आदिल के जैश से जुड़ने से पहले उसे सुरक्षा बलों पर पत्‍थर फेंकने के आरोप में दो बार हिरासत में लिया गया था। साथ ही लश्‍कर आतंकियों को सहयोग देने के आरोप में उसे 4 बार हिरासत में लिया गया था।" -आईबी अधिकारीपुलवामा आतंकी हमला: पाकिस्तान ने भारत के डर से LoC के पास अपने लॉन्च पैड्स कराए...Xजम्‍मू-कश्‍मीर के पुलवामा जिले में हुए आतंकवादी हमले को अंजाम देने वाला जैश-ए-मोहम्‍मद आतंकी आदिल अहमद डार सितंबर 2016 से मार्च 2018 के बीच छह बार पत्‍थरबाजी और आतंकवादी संगठन लश्‍कर-ए-तैयबा की मदद के आरोप में हिरासत में लिया गया था। हालांकि, हर बार आदिल अहमद को बिना किसी आरोप के रिहा कर दिया गया।आईबी और पुलिस के अधिकारियों ने हमारे सहयोगी अखबारको इसकी जानकारी दी। पुलवामा जिले के गुंडीबाग गांव का रहने वाला आदिल दो साल के अंदर छह बार हिरासत में लिया गया, जो दर्शाता है कि वह एक ऐसा शख्‍स था जिस पर सुरक्षा एजेंसियों को नजर रखने की जरूरत थी। इससे यह सवाल उठ रहा है कि क्‍या खुफिया खामियों की वजह से वह सुरक्षा एजेंसियों की नजर से बचने में सफल रहा?हालांकि, दोनों अधिकारियों ने स्‍पष्‍ट किया कि आदिल पर कभी भी औपचारिक रूप से आरोप नहीं लगाया और न ही एफआईआर दर्ज की गई। बता दें किपुलवामा आदिल ने 150 किलोग्राम विस्‍फोटक के साथ अपनी कार को जम्‍मू-कश्‍मीर नैशनल हाइवे पर सीआरपीएफ की बस से टकरा दी थी। इसमें 40 जवान शहीद हो गए थे। पुलवामा के पुलिस अधिकारी ने बताया कि आदिल ने वर्ष 2016 में एक ओवर ग्राउंड वर्कर के रूप में काम करना शुरू किया था।उन्‍होंने बताया कि आदिल लश्‍कर आतंकियों को छिपने में मदद करता था। इसके अलावा वह लश्‍कर कमांडरों और उनके साथ जुड़ने की इच्‍छा रखने वाले स्‍थानीय युवकों के बीच मध्‍यस्‍थ का काम भी करता था। अधिकारी ने बताया कि आदिल के परिवार के कुछ सदस्‍यों के आतंकवादियों के संबंध हैं। अधिकारी ने कहा, 'आदिल के जैश से जुड़ने से पहले हमने उसे सुरक्षा बलों पर पत्‍थर फेंकने के आरोप में दो बार हिरासत में लिया था। इसके अलावा लश्‍कर आतंकियों को सहयोग देने के आरोप में उसे 4 बार हिरासत में लिया गया था।'अधिकारी ने कहा कि आदिल ने सुरक्षा बलों के खिलाफ विरोध-प्रदर्शनों में हिस्‍सा लिया था, जिसमें वह घायल हो गया था। उधर, आईबी के अधिकारी ने बताया कि आदिल मंजूर से बहुत ज्‍यादा प्रभावित था। मंजूर की मौत के बाद वह पूरी तरह से आतंकवादियों के साथ मिल गया। उन्‍होंने कहा, 'एक शीर्ष लश्‍कर कमांडर के साथ मंजूर की मौत के बाद आदिल अपने गृह कस्‍बे से लापता हो गया। उसे और कुछ अन्‍य स्‍थानीय युवकों को पाकिस्‍तान के जैश कमांडर ओमर हाफिज ने ट्रेनिंग दी। उसे कामरान और अब्‍दुल राशिद के नाम से भी जाना जाता है।'आईबी अधिकारी ने बताया कि हाफिज पिछले साल घाटी में आया था और उसे आत्‍मघाती हमले के लिए ट्रेनिंग देने का काम दिया गया था। उन्‍होंने कहा, 'नए लोगों को लश्‍कर-ए-तैयबा में शामिल होने के लिए शर्त है कि उन्‍हें पुलिसवालों की हत्‍या या उनकी बंदूक को छीनना होगा। इससे आदिल लश्‍कर से न जुड़कर जैश-ए-मोहम्‍मद में शामिल हो गया, जहां ऐसी कोई शर्त नहीं है।' जैश ने पहले 9 फरवरी को अफजल गुरु की मौत के दिन इस हमले को अंजाम देने की साजिश रची थी, लेकिन खराब मौसम के कारण ऐसा नहीं हो सका।


Source: Navbharat Times February 17, 2019 08:33 UTC



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