7 खतरनाक बीमारी, इंसान ने कैसे हराया जान लीजिए - News Summed Up

7 खतरनाक बीमारी, इंसान ने कैसे हराया जान लीजिए


दुनिया भर में कोरोनावायरस की वजह से हाहाकार मचा हुआ है। लाखों लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं और हजारों लोगों की जान जा चुकी है। सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि इस बीमारी को हराने के लिए अब तक कोई दवा या टीका तैयार नहीं किया जा सका है। वैसे उम्मीद है कि देर से ही सही इसका भी इलाज खोज लिया जाएगा। जैसे इंसान ने पहले की कई महामारियों को हराया। इस स्टोरी में आप पहले तबाही मचाने वाली बीमारियों और उनको इंसान ने कैसे हराया, उसके बारे में जान सकेंगे...मलेरिया मलेरिया भी मच्छर से फैलने वाली बीमारी है। वैसे तो अभी भी दुनिया भर में यह बीमारी फैलती है। लेकिन इसके खतरे को काफी हद तक कम कर दिया गया है। अब इससे बहुत कम लोगों की मौत होती है। 21वीं सदी में मलेरिया को काबू किया जा सका है। एक समय था जब पूरी दुनिया में करीब 53 फीसदी लोगों को इसके संक्रमण का खतरा रहता था।​एलफंटाएसिस लसिका तंत्र शरीर को जहरीले पदार्थ, अपशिष्ट और अन्य अवांछित चीजों से छुटकारा पाने में मदद करता है। मुख्य रूप से यह लसिका नाम के एक तरल पदार्थ को शरीर में ले जाता है। लसिका में संक्रमण से लड़ने वाले श्वेत रक्त कोशिकाएं होती हैं। इस बीमारी में धागे जैसा कृमि पीड़ित के लसिका तंत्र में अपनी जगह बना लेता है और लसिका के शरीर के अंदर परिवहन को बाधित कर देता है। इससे शरीर के अंग या गुप्तांग बुरी तरह फूल जाते हैं। पीड़ित व्यक्ति से यह बीमारी दूसरों में मच्छर के काटने से फैलती है। अब तक 16 देशों में इसे पूरी तरह खत्म कर दिया गया है। सात और इसे खत्म करने की कगार पर हैं।​टेटनस दुनिया भर में टेटनस बैक्टीरिया से फैलता है। इसका बैक्टीरिया मिट्टी में रहता है। बैक्टीरिया खुले घाव के जरीये इंसान के शरीर में प्रवेश करता है और वहां एक जहरीला केमिकल छोड़ता है। इससे इंसान को लकवा मार देता है और मांसपेशियों में दर्दनाक खिंचाव होता है। चूंकि केमिकल्स और गर्मी के प्रति टेटनस के बैक्टीरिया में प्रतिरोधक क्षमता पाई जाती है, इसलिए इसे जड़ से खत्म करना संभव नहीं है। लेकिन बड़े पैमाने पर टीकाकरण से इसे काफी हद तक काबू कर लिया गया है। वर्ष 1990 में दुनिया भर में 3 लाख से ज्यादा लोग टेटनस से मरे थे जबकि 2017 में सिर्फ 38 हजार के करीब यानी करीब 88 फीसदी गिरावट आई है।खसरा खसरा खांसने और छींकने से फैलने वाली बीमारी है। इसके लक्षण खांसी, नाक बहना, आंखों में सूजन, गले में दर्द, बुखार और त्वचा पर लाल चकत्ते। चिकित्सक जॉन एफ एंडर्स ने इसका टीका विकसित किया। 2000 से 2018 के बीच खसरा से मरने वालों की संख्या में काफी गिरावट आई है। भारत समेत दुनिया भर में अब खसरा के बहुत ही कम मामले सामने आते हैं।पोलियो पोलियो का वायरस के संक्रमण से लकवा मार देता है। कभी-कभी पैरालिसिस यानी लकवा कुछ दिनों में खत्म हो जाता है लेकिन कई बार यह फेफड़े को भी संक्रमित कर देता है जिससे मरीज की मौत हो जाती है। वर्ष 1953 में जोनास साक ने इस बीमारी का टीका खोजने की घोषणा की लेकिन पेटेंट नहीं कराया। अब अफगानिस्तान, पाकिस्तान और नाइजीरिया को छोड़कर दुनिया के लगभग सभी देश पोलियो मुक्त हो गए हैं।​रिंडरपेस्ट रिंडरपेस्ट जानवरों में होने वाला प्लेग था। वर्ष 1890 में यह बीमारी अफ्रीका में फैली थी। इससे करीब 80 से 90 फीसदी मवेशियों की मौत हो गई थी। मवेशियों पर आश्रित लोगों को भूखे मरने की नौबत आ गई थी। 1960 में ब्रिटेन के वैज्ञानिक वॉल्टर प्लॉराइट ने इसका टीका खोजा। यूरोप, एशिया और अफ्रीका में मवेशियों में बड़े पैमाने पर टीका लगाया गया और 2011 में इस बीमारी को भी जड़ से खत्म कर दिया गया। (फोटो: साभार विकिमीडिया कॉमंस)


Source: Navbharat Times April 02, 2020 06:06 UTC



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