अरावली पर्वतमाला की रक्षा और पर्यावरण संरक्षण को लेकर 24 दिसंबर से प्रदेशभर में अरावली आंदोलन की शुरुआत होने जा रही है। जन आंदोलन का नेतृत्व राजस्थान विश्वविद्यालय के पूर्व अध्यक्ष निर्मल चौधरी करेंगे। आंदोलन की शुरुआत सिरोही जिले के माउंट आबू से होग. निर्मल चौधरी ने बताया कि अरावली पर्वतमाला क्षेत्र में लगातार बढ़ रहे अवैध खनन, अतिक्रमण और पर्यावरणीय दोहन के कारण जल स्रोत, वन क्षेत्र और जैव विविधता पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है। अरावली क्षेत्र के कमजोर होने से भूजल स्तर में गिरावट, वन्यजीवों के आवास का नुकसान और पर्यावरणीय असंतुलन जैसी समस्याएं बढ़ रही हैं। इन्हीं मुद्दों को लेकर सरकार और समाज का ध्यान आकर्षित करने के उद्देश्य से यह आंदोलन शुरू किया जा रहा है।आंदोलन सिर्फ पहाड़ों को बचाने की लड़ाई नहीं निर्मल चौधरी ने कहा कि यह आंदोलन सिर्फ पहाड़ों को बचाने की लड़ाई नहीं है, बल्कि जल, जंगल और जमीन को सुरक्षित रखने का संकल्प है। अरावली का संरक्षण आने वाली पीढ़ियों के भविष्य से जुड़ा हुआ है। यदि आज हम नहीं जागे, तो इसके दुष्परिणाम आने वाले वर्षों में और भयावह होंगे।बता दें कि अरावली आंदोलन के तहत निकाली जा रही यह जनयात्रा पूरी तरह पैदल होगी। यात्रा के दौरान विभिन्न गावों, कस्बों और शहरों में जनसंवाद, जागरूकता सभाएं और संवाद कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इन कार्यक्रमों के माध्यम से आमजन को अरावली पर्वतमाला के महत्व, उसके पर्यावरणीय योगदान और संरक्षण की आवश्यकता के बारे में जानकारी दी जाएगी।आंदोलन किसी एक संगठन तक सीमित नहीं रहेगा आयोजकों का कहना है कि यह आंदोलन किसी एक संगठन तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि इसे जन आंदोलन का रूप दिया जाएगा। इसमें युवाओं, पर्यावरण प्रेमियों, सामाजिक संगठनों, किसानों और बुद्धिजीवियों की भागीदारी सुनिश्चित करने का प्रयास किया जाएगा।सरकार की नीतियों पर भी सवाल उठाए जाएंगे अरावली आंदोलन की औपचारिक शुरुआत 24 दिसंबर, बुधवार को सुबह 11 बजे माउंट आबू से होगी। आंदोलन के माध्यम से अरावली पर्वतमाला को लेकर सरकार की नीतियों पर भी सवाल उठाए जाएंगे और इसके संरक्षण के लिए ठोस कदम उठाने की मांग की जाएगी।
Source: NDTV December 21, 2025 18:16 UTC