18,100 करोड़ रुपए की स्कीम: बैटरी स्टोरेज इक्विपमेंट के लिए PLI स्कीम को मंजूरी, तेल के आयात बिल में होगी ढाई लाख करोड़ की बचत - News Summed Up

18,100 करोड़ रुपए की स्कीम: बैटरी स्टोरेज इक्विपमेंट के लिए PLI स्कीम को मंजूरी, तेल के आयात बिल में होगी ढाई लाख करोड़ की बचत


Hindi NewsBusinessNarendra Modi Government Approves PLI Scheme For Battery Storage EquipmentAds से है परेशान? बिना Ads खबरों के लिए इनस्टॉल करें दैनिक भास्कर ऐप18,100 करोड़ रुपए की स्कीम: बैटरी स्टोरेज इक्विपमेंट के लिए PLI स्कीम को मंजूरी, तेल के आयात बिल में होगी ढाई लाख करोड़ की बचतमुंबई 20 घंटे पहलेकॉपी लिंककेंद्र सरकार ने पिछले साल कोरोना के समय PLI स्कीम की शुरुआत की थी। इसका मतलब 12 सेक्टर को इस स्कीम के जरिए फायदा पहुंचाना था। इसी कड़ी में बैटरी स्टोरेज के लिए इसे आज मंजूरी दी गई है। इस स्कीम के तहत कुल 45 हजार करोड़ का निवेश एसीसी बैटरी स्टोरेज मैन्युफैक्चरिंग प्रोजेक्ट में होगाइस मंजूरी से आयात के खर्च को कम करने और घरेलू इंधन को बढ़ावा मिलेगामैन्युफैक्चरिंग फैसिलिटी को दो सालों के भीतर चालू करना होगाकेंद्र सरकार ने बैटरी स्टोरेज इक्विपमेंट के लिए प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव्ज (PLI) की 18,100 करोड़ रुपए की स्कीम को मंजूरी दे दी है। यह मंजूरी आयात के खर्च को कम करने और घरेलू इंधन को बढ़ावा देने के लिए की गई है। इससे देश में इलेक्ट्रिक मोबिलिटी को रफ्तार मिलेगी। तिपहिया, चार पहिया और हैवी व्हीकल को फायदा होगा। इससे 2 से ढाई लाख करोड रुपए के तेल के बिल की बचत होगी।एसीसी के तहत दी गई है मंजूरीइसके तहत 'नेशनल प्रोग्राम ऑन एडवांस्ड केमिस्ट्री सेल (एसीसी) बैटरी स्टोरेज' को मंजूरी दी गई है। एसीसी एडवांस्ड स्टोरेज टेक्नोलॉजी की नई जेनेरेशन है जो इलेक्ट्रिक ऊर्जा को इलेक्ट्रोकेमिकल के रूप में या रासायनिक ऊर्जा के रूप में स्टोर कर सकती है। जरूरत पड़ने पर इसे इलेक्ट्रिक ऊर्जा में वापस बदल सकती है। फिलहाल एसीसी की सभी मांग भारत में आयात के जरिए पूरी की जा रही है। एसीसी बैटरी स्टोरेज से आयात पर निर्भरता कम होगी।पिछले साल शुरू हुई थी स्कीमकेंद्र सरकार ने पिछले साल कोरोना के समय PLI स्कीम की शुरुआत की थी। इसका मतलब 12 सेक्टर को इस स्कीम के जरिए फायदा पहुंचाना था। इसी कड़ी में बैटरी स्टोरेज के लिए इसे आज मंजूरी दी गई है। इस स्कीम के तहत कुल 45 हजार करोड़ का निवेश एसीसी बैटरी स्टोरेज मैन्युफैक्चरिंग प्रोजेक्ट में होगा। इस स्कीम के दौरान कम से कम 2 से ढाई लाख करोड़ रुपए तेल के आयात के बिल में बचत होगी। एसीसी की मैन्युफैक्चरिंग इलेक्ट्रॉनिक व्हीकल की मांग को पूरा करेगी। भारत चूंकि रिन्यूएबल एनर्जी एजेंडा पर काम कर रहा है, ऐसे में इससे काफी मदद होगी।84 पर्सेंट वाहन दोपहिया और तिपहिया हैंदेश में कुल बिकने वाले वाहनों में 84 पर्सेंट वाहन दो पहिया और तिपहिया हैं। इसलिए सरकार इन दोनों सेगमेंट में तेजी से इलेक्ट्रिक पर काम कर रही है। 2025 तक ऐसा अनुमान है कि इस तरह के 40 लाख वाहन हर साल बेचे जाएंगे। इसे बढ़ाकर 2030 तक 1 करोड़ करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके लिए एक कमिटी भी बनाई गई है जिसमें इलेक्ट्रिक वाहन के निर्माता, ऑटो और इलेक्ट्रॉनिक कंपोनेंट के सप्लायर्स, पावर युटिलिटीज और अन्य सेक्टर हैं।चार्जिंग प्वाइंट की शुरुआत हो चुकी हैढेर सारे भारतीय निर्माताओं ने चार्जिंग प्वाइंट डिवाइस की शुरुआत भी की है। इसका कम से कम प्राइस 3,500 रुपए रखा गया है। यह लो कास्ट एसी चार्ज प्वाइंट के रूप में होता है। इससे 3 किलो वाट के पावर से ई-स्कूटर्स और ई-ऑटो रिक्शा को चार्ज किया जा सकता है। चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर पर बने ग्रुप डीएसटी-पीएसएओ के चेयरमैन डॉ. वी सुमांत्रन ने कहा कि जब भी इंडस्ट्री और सरकार की संस्थाएं राष्ट्रीय लक्ष्यों पर काम करने के लिए साथ आती हैं तो इससे एक अच्छी प्रोग्रेस होती है। यह योजना कीमतों को कम करने के साथ भारत में इलेक्ट्रिक की मांग को पूरा करने में मदद करेगी।बिडिंग के माध्यम से होगा कंपनियों का चुनावकेंद्र सरकार ने कहा कि एसीसी बैटरी स्टोरेज निर्माताओं का चयन पारदर्शी तरीके से बिडिंग के माध्यम से किया जाएगा। निर्माण सुविधा को दो वर्ष के भीतर चालू करना होगा। इसके बाद पांच वर्ष में इंसेंटिव की रकम दी जाएगी। 2 साल के भीतर अनिवार्य निवेश करना होगा। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने कहा कि इस फैसले से मेक इन इंडिया को बढ़ावा मिलेगा, स्टार्ट-अप के लिए संभावनाएं खुलेंगी। नौकरियां पैदा होंगी। रेलवे, शिपिंग और हेल्प जैसे विभिन्न क्षेत्रों को फायदा होगा।


Source: Dainik Bhaskar May 12, 2021 12:10 UTC



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