हाइटैक हुआ नवलखा महल: उदयपुर के जिस महल में रूककर दयानंद सरस्वती ने सत्यार्थ प्रकाश लिखा वो महल हुआ आधुनिक - News Summed Up

हाइटैक हुआ नवलखा महल: उदयपुर के जिस महल में रूककर दयानंद सरस्वती ने सत्यार्थ प्रकाश लिखा वो महल हुआ आधुनिक


Hindi NewsLocalRajasthanUdaipurThe Palace In Udaipur Where Dayanand Saraswati Stayed And Wrote To Satyarth Prakash Became A Modernहाइटैक हुआ नवलखा महल: उदयपुर के जिस महल में रूककर दयानंद सरस्वती ने सत्यार्थ प्रकाश लिखा वो महल हुआ आधुनिकउदयपुर 16 घंटे पहलेकॉपी लिंकनवलखा महलजिस नवलखा महल में रूककर दयानंद सरस्वती ने सत्यार्थ प्रकाश लिखा था, उस नवलखा महल को अब आधुनिक और हाईटैक बना दिया गया है। उदयपुर के प्रमुख पर्यटन स्थल गुलाबबाग में मौजूद नवलखा महल को हाइटैक और आधुनिक कर दिया गया है। यह वेदों का प्रचार करता है। 19 वीं शताब्दी में स्थापित यह महल अब आर्य समाज और स्वामी दयानंद की शिक्षाओं के प्रचार-प्रसार का केंद्र है। फिलहाल इसका रखरखाव और संरक्षण आर्य समाज ट्रस्ट करता है। यहां 10 अगस्त 1882 को दयानंद सरस्वती आए थे। श्रीमद दयानंद सत्यार्थ प्रकाश ट्रस्ट के अध्यक्ष अशोक आर्य बताते हैं कि महर्षि दयानंद 10 अगस्त 1882 को उदयपुर आए थे। उन्होंने मेवाड़ साम्राज्य के 72वें शासक महाराणा सज्जन सिंह के अनुरोध पर झीलों की नगरी का दौरा किया। नवलखा महल कभी महाराणा का शाही अतिथि गृह था जिसे सन 1992 में सत्यार्थ प्रकाश न्यास को सौंप दिया गया।उन्होंने बताया कि महर्षि दयानंद 27 फरवरी 1883 तक यानी लगभग साढ़े छह महीने तक शहर में रहे और नवलखा महल में ही प्रवास किया। पवित्र नवलखा महल में महर्षि दयानंद ने युग प्रवर्तक ग्रंथ सत्यार्थ प्रकाश के लेखन को पूरा किया। यह सत्यार्थ प्रकाश मानव जीवन के लिए उनका प्रोटोकॉल था। उन्होंने इसे मानव जाति के कल्याण के लिए और दिव्य ज्ञान को लोगों तक पहुंचाने के लिए लिखा था। मेवाड़ प्रवास के दौरान महर्षि दयानंद को सुनने वागड़ अंचल से गोविंद गुरु भी आया करते थे। दयानंद से मिले ज्ञान को उन्होंने अनपढ़ आदिवासियों के बीच प्रसारित किया। गोविंद गुरु आदिवासी अंचल में सुधारवादी कार्य करते रहे।महल में हाईटैक ​थियेटर तैयार, इंटरनेशनल आर्टिस्ट आएंगेप्रकाश स्तम्भ / टॉवरआर्य समाज से जुड़ी सेवानिवृत्त बैंक अधिकारी ललिता मेहरा ने बताया कि यहां एक यज्ञशाला भी है जहाँ वैदिक भजनों और वेदपाठों के साथ सामूहिक यज्ञों सहित यज्ञ प्रतिदिन सुबह और शाम किए जाते हैं। महल की पहली मंजिल में एक चित्र दीर्घा है जहाँ 67 तेल चित्रों में महर्षि के जीवन को, उनके आध्यात्मिक ज्ञान को चित्रित किया गया है। स्वामी दयानंद सरस्वती के लेखन कक्ष में एक 14-कोण और 14-कहानी वाला सत्यार्थ प्रकाश स्तम्भ या टॉवर भी स्थापित है। आंगन के एक तरफ एक हॉल में एक वैदिक पुस्तकालय और पढ़ने का कमरा है। सत्यार्थ प्रकाश के सभी 24 अनुवाद-इसमें संस्कृत, फ्रेंच, जर्मन, स्वाहिली, अरबी और चीनी शामिल हैं। घूमने वाले कांच के मामले सत्यार्थ प्रकाश और महत्वपूर्ण वैदिक ग्रंथों को बताते हैं। ट्रस्ट के अध्यक्ष अशोक आर्य ने बताया कि वर्तमान में इस नवलखा महल और स्वामी दयानंद से इसके जुड़ाव के प्रति लेकसिटी में आने वाले पर्यटकों को आकर्षित करने के उद्देश्य से यहां पर एक हाईटेक थियेटर तैयार किया गया है। उन्होंने बताया कि जल्द ही इसके लिए अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त आर्टिस्ट की सेवाएं ली जा रही हैं।


Source: Dainik Bhaskar August 17, 2021 14:29 UTC



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