Dainik Bhaskar Apr 02, 2019, 11:38 AM ISTसुप्रीम कोर्ट ने मायावती से हाथी की प्रतिमाएं लगाए जाने को लेकर जवाब मांगा थामायावती ने हलफनामे में प्रतिमाओं पर खर्च पैसे को बताया जायजनई दिल्ली. मूर्तियों पर जनता के पैसे की फिजूलखर्ची के मामले में बसपा प्रमुख मायावती ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया। उन्होंने मूर्ति बनवाने के अपने फैसले को सही ठहराते हुए कहा कि यह लोगों की इच्छा थी। उन्होंने 2007 से 2011 के बीच लखनऊ और नोएडा में अपनी और उनकी पार्टी के चिह्न हाथी की प्रतिमाएं बनवाई थीं। इसी पर टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि मायावती को प्रतिमाओं पर खर्च जनता का पैसा लौटाना होगा।दलित नेताओं के प्रति आदर व्यक्त करती हैं मूर्तियांएक याचिका में आरोप लगाया है कि मायावती ने इन प्रतिमाओं की मदद से खुद की छवि चमकाई। इस पर जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि प्रतिमाओं से राज्य के विधानमंडल ने एक दलित महिला नेता के प्रति सम्मान दिखाया है। आखिर मैं उनकी इच्छा का अनादर कैसे करुं? अदालत तय नहीं कर सकती यह पैसा किस पर खर्च किया जाएइसके साथ ही मायावती ने कहा कि यह पैसा शिक्षा, अस्पताल या किसी और चीज पर खर्च किया जाना था यह एक बहस का मुद्दा है। अदालत यह तय नहीं कर सकती। यह स्मारक लोगों को प्रेरणा दिलाने के लिए बनाए गए थे। इनमें हाथियों की मूर्तियां केवल वास्तुशिल्प की बनावट हैं। ये बसपा के प्रतीक नहीं हैं।मूर्तियां बनवाने की परियोजना पर 1400 करोड़ खर्च हुए थेमायावती ने उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री रहते हुए लखनऊ और नोएडा में दो पार्क बनवाए थे। इन पार्कों में मायावती ने अपनी, संविधान के संस्थापक भीमराव अंबेडकर, बसपा के संस्थापक कांशीराम और पार्टी के चिह्न हाथी की कई प्रतिमाएं बनवाई थीं। इस परियोजना की लागत 1,400 करोड़ रुपए से ज्यादा थी। हाथी की पत्थर की 30 मूर्तियां और कांसे की 22 प्रतिमाएं लगवाई गईं थीं। इस पर 685 करोड़ रुपए खर्च हुए थे। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस पर सरकारी खजाने को 111 करोड़ रुपए का नुकसान होने का मामला दर्ज किया था।
Source: Dainik Bhaskar April 02, 2019 05:38 UTC