सरकार को समेकन की प्रक्रिया शुरू करने से पहले सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनियों की वित्तीय सेहत सुधारने के लिए करीब 13,000 करोड़ रुपये की आवश्यकता है। न्यूज एजेंसी पीटीआइ ने सूत्रों के हवाले से यह जानकारी दी है। सरकार राज्य के स्वामित्व वाली सामान्य बीमा कंपनियों के न्यू इंडिया एश्योरेंस के साथ विलय सहित विभिन्न समेकन विकल्प तलाश रही है।वित्त मंत्रालय के तहत आने वाला निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (DIPAM), राज्य के स्वामित्व वाली तीन बीमा फर्मो में हिस्सेदारी की बिक्री सहित अन्य कई विकल्पों पर गौर कर रहा है। सूत्रों के अनुसार, ये तीन कंपनियां नेशनल इंश्योरेंस कंपनी, ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी और यूनाइटेड इंडिया इंश्योरेंस कंपनी है।पीटीआइ की रिपोर्ट के अनुसार, सूत्रों ने कहा है कि सरकार को तीन कंपनियों मे 12 से 13 हजार करोड़ रुपये खर्च करने की आवश्यकता है जिससे उनकी सॉल्वेंसी में सुधार किया जा सके और उन्हें विलय के लिए तैयार किया जा सके। सूत्रों के अनुसार, आने वाले बजट में इसके लिए प्रावधान हो सकता है।गौरतलब है कि साल 2018-19 के बजट में केंद्र ने घोषणा की थी कि तीनों कंपनियों का एक एकल बीमा इकाई में विलय किया जाएगा। हालांकि, खराब वित्तीय स्थिति सहित अन्य कई कारणों से इन कंपनियों की विलय प्रक्रिया पूरी नहीं की जा सकी थी। इनमें से दो कंपनियां तो अपने सॉल्वेंसी अनुपात को बनाए रखने के लिए संघर्ष कर रही हैं। सार्वजनिक क्षेत्र की सामान्य बीना कंपनियों का समेकन सरकार की विनिवेश रणनीति का हिस्सा है।Posted By: Pawan Jayaswal
Source: Dainik Jagran July 01, 2019 08:27 UTC