जिनका पैसा बकाया है, उन पर कानून में इस बदलाव का निगेटिव असर होगाबिजनेस करने में और आसानी हो, इसलिए इन कानूनों में किया जाएगा बदलावदैनिक भास्कर Jun 11, 2020, 06:56 PM ISTमुंबई. किसी कारोबारी को दिया हुआ चेक बाउंस हो जाता है। लोन का पेमेंट नहीं हो पाता है तो ऐसे मामले में जेल नहीं जाना होगा। वित्त मंत्रालय ऐसे छोटे आर्थिक मामलों को अपराध के दायरे से बाहर रखने पर विचार कर रहा है। मौजूदा आर्थिक हालत में लिक्विडीटी कमजोर होने और व्यापार को आसान बनाने के लिए सरकार ऐसे प्रस्ताव पर विचार कर रही है। सरकार ने इसे लेकर संबंधित पक्षों से राय मांगाी है।सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वासदरअसल छोटे अपराधों को गैरकानूनी घोषित किए जाने की योजना है। इससे व्यापार को आसान बनाने और उसमें सुधार लाने में काफी मदद मिलने की उम्मीद है। वित्तीय सेवा विभाग (फाइनेंशियल सर्विसेस डिपॉर्टमेंट) ने कहा कि यह भारत सरकार के 'सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास' को प्राप्त करने के उद्देश्य में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। वित मंत्रालय ने 23 जून तक सभी स्टेकहोल्डर्स की राय मांगी है।कई छोटे कानूनों में होगा बदलावमंत्रालय ने निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट, सरफेशी एक्ट, एलआईसी एक्ट, पीएफआरडीए एक्ट, आरबीआई एक्ट, बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट और चिट फंड्स एक्ट सहित 19 कानूनों की 36 धाराओं में गैर-अपराधीकरण (decriminalization) का प्रस्ताव रखा है। उदाहरण के लिए, निगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट के तहत, बैंक खाते में कम पैसा होने पर चेक बाउंस पर दो साल की कैद हो सकती है। चेक की राशि या दोनों की राशि दोगुनी हो सकती है।अपराध की बजाय सिविल कानून लागू होगाअभी तक के कानून के मुताबिक कोई भी जमा कराने वाला, जो डिपॉजिट को बढ़ावा देता है। या Unregulated Deposits Act के तहत डिपॉजिट स्वीकार करने के लिए विज्ञापन जारी करता है, उसे पांच साल तक की कैद और 10 लाख रुपए तक का जुर्माना होता है। सरकार ने अब इन्हें सिविल में शामिल करने की योजना बनाई है।नए कानून से विदेशी निवेशकों को राहत मिल सकती हैइंडिया लॉ एलायंस के पार्टनर सुमित बत्रा ने कहा कि छोटे अपराधों को गैरकानूनी घोषित करने के प्रस्ताव से विदेशी निवेशकों को राहत मिलने की संभावना है। इनके लिए आर्थिक अपराधों के लिए आपराधिक जिम्मेदारी एक बड़ी चिंता का विषय है। लेकिन जिनका पैसा बकाया है, उन पर कानून में इस बदलाव का निगेटिव असर होगा। उन्हें बकाए की वसूली के लिए लंबा इंतजार करना पड़ सकता है। यह कदम व्यापार को बढ़ावा देने के लिए पिछले एक वर्ष में घोषित कदमों के अनुरूप है।
Source: Dainik Bhaskar June 11, 2020 13:18 UTC